36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

विकीलीक्स के दावे का सच और जानिए अमेरिकी जासूसी का इतिहास

-इंटरनेट रिसर्च डेस्क- खुफिया दस्तावेजों को जारी कर कई मामलों का खुलासा करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स ने फिर एक खुलासा कर सनसनी फैला दी है. विकीलीक्स ने खुलासा किया है कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा साल 2006 से 2012 के बीच तीन फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों की जासूसी कराई गयी. विकीलीक्स के मुताबिक तीन राष्ट्रपति […]

-इंटरनेट रिसर्च डेस्क-

खुफिया दस्तावेजों को जारी कर कई मामलों का खुलासा करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स ने फिर एक खुलासा कर सनसनी फैला दी है. विकीलीक्स ने खुलासा किया है कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा साल 2006 से 2012 के बीच तीन फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों की जासूसी कराई गयी. विकीलीक्स के मुताबिक तीन राष्ट्रपति याक शिराक, निकोलस सरकोजी और फ्रांसुआ ओलांद के आलावा यहां के कई मंत्रियों और राजदूतों की भी जासूसी करायी गयी.

अमेरिका एनएसए द्वारा जासूसी कराने का यह पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी अमेरिका ने कई देशों और उनके महत्वपूर्ण नेताओं की जासूसी करायी है. रुस, चीन, फ्रांस, भारत, जर्मनी जैसे कई देशों ने उनपर आरोप लगाये हैं कि अमेरिका अपनी एनएसए के माध्यम से कई देशों की जासूसी कराता है. इसमें इसका मकसद उन देशों की खुफिया जानकारी को प्राप्त करना होता है. मामला यहां तक भी पहुंचा है कि कुछ संगठनों ने मिलकर अमेरिका के इस रवैये पर उसके खिलाफ मुकदमा भी दायर किया है.

जब ओबामा ने एंजेला मर्केल से मांगी माफी

एनएसए पर इससे पहले जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की जासूसी के आरोप भी लगे थे. ऐसा कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) पिछले एक दशक से जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के मोबाइल फोन टैप कर रही थी. साथ ही कहा गया कि एनएसए ने बर्लिन में समीपवर्ती अमेरिकी दूतावास से जर्मनी के पूरे सरकारी परिसर की जासूसी की. इस खबर के सार्वजनिक होने पर बराक ओबामा ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी. हालांकि बाद में ओबामा ने इस मामले पर मर्केल से माफी भी मांगी थी.

अमेरिका पर भारत में जासूसी का संदेह

वर्ष 2013 में खुफिया सूचना एकत्र करने के उद्देश्य से अमेरिका पर भारत की जासूसी करने का आरोप लगा था. भारत ने गुप्तचर सूचना एकत्र करने के उद्देश्य से अमेरिका द्वारा उसकी जासूसी कराये जाने पर चिंता जताते हुए इस मुद्दे को यहां स्थित अमेरिकी दूतावास के उपराजदूत के समक्ष उठाया था और इस पर विरोध जताते हुए कहा था कि यह स्वीकार्य नहीं है. इस जासूसी मामले का खुलासा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के कान्ट्रैक्टर से विसलब्लोयर बने स्नोडेन ने किया था.

अमेरिकी पर यह भी आरोप लगा कि एनएसए ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जासूसी कराई थी. स्नोडेन के मुताबिक अमेरिकी एजेंसी एनएसए ने दुनिया की छह राजनैतिक पार्टियों की जासूसी का आदेश दिया था और बीजेपी भी उनमें से एक थी. सूत्रों के मुताबिक भारत ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताने के लिए दिल्ली में अमेरिकी राजनयिकों को तलब किया. भारत ने अमेरिका से आश्वासन मांगा है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो. सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत को इस तरह की जासूसी बर्दाश्त नहीं है.

इंदिरा गांधी का संदेह व आपातकाल

ऐसा माना जाता है कि इंदिरा गांधी को ऐसा लगता था कि अमेरिका उसकी जासूसी करवा रहा है. विकीलीक्स ने दावा भी किया था कि आपातकाल (1975-77) के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के घर अमेरिकी जासूस मौजूद था. इस जासूस को अमेरिकी दूतावास ने भेजा था. लेकिन वह जासूस अमेरिकी था या भारतीय इसकी जानकारी नहीं दी गयी. यह भी साफ नहीं है कि आपातकाल लगाने में अमेरिका की भूमिका थी या नहीं. ऐसा भी कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को जयप्रकाश नारायण को लेकर यह धारणा थी कि कही वे अमेरिका की खुफिया एजेंसी को सपोर्ट करता है और उनकी सरकार को अस्थिर कर सकता है. इसी कारण से शायद उसने आपातकाल की घोषणा कर दी थी. हालांकि इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पायी.

रूस के शोधकर्ता का खुलासा

इसी वर्ष फरवरी में रूस के रिसर्चर ने अमेरिका को लेकर एक बड़ा खुलासा किया कि अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी एनएसए दुनियाभर के लगभग एक लाख कंप्यूटरों की जासूसी कर रही है. इसके लिए कंप्यूटरों में जासूसी में सक्षम सॉफ्टनेयर इंस्टॉल किए हैं. भारत, रूस, पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों के लोगों के कंप्यूटर की जासूसी की जा रही है.

जासूसी के कारण बनते बिगडते हैं अमेरिका रूस और चीन के रिश्ते

रुस से तो अमेरिका के संबंध जगजाहिर है. इधर हाल ही में विवादित दक्षिणी चीन सागर के ऊपर यूएस सर्विलांस विमानों द्वारा कथित जासूसी को लेकर चीन और अमेरिका के बीच भी तनातनी का माहौल बन गया था. चीनी नेवी ने इसी वर्ष मई में अमेरिकी सर्विलांस प्लेन को आठ बार चेतावनी जारी की. यहां तक कहा गया कि इस विवाद से यह संकेत मिल रहे है कि भविष्य में अमेरिका और चीन के बीच शर्तिया तौर पर जंग का खतरा पनप सकता है.

गौरतलब है कि अमेरिका के इस जासूसी रवैये के मामले में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के खिलाफ 19 संगठनों ने मुकदमा दायर किया था और कहा था कि उसका गोपनीय इंटरनेट और टेलीफोन जासूसी कार्यक्रम अमेरिकी संविधान का उल्लंघन करता है. याचिका में अमेरिका सरकार पर नागरिकों के फोन कॉल्स का ब्यौरा अवैध तरीके से हासिल कर उनके अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें