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दक्षेस सम्मेलन: आतंकवाद क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती: सुषमा

काठमांडो: आतंकवाद को क्षेत्र के लिए सबसे बडी चुनौती बताते हुए भारत ने आज इस समस्या से निपटने के लिए एक ‘सामूहिक प्रतिक्रिया’ की मांग की और साथ ही दक्षिण एशिया में शांति एवं समृद्धि को लेकर गहरे एकीकरण के लिए संस्कृति, वाणिज्य एवं संपर्क का समर्थन किया. यहां दक्षेस देशों के विदेश मंत्रियों की […]

काठमांडो: आतंकवाद को क्षेत्र के लिए सबसे बडी चुनौती बताते हुए भारत ने आज इस समस्या से निपटने के लिए एक ‘सामूहिक प्रतिक्रिया’ की मांग की और साथ ही दक्षिण एशिया में शांति एवं समृद्धि को लेकर गहरे एकीकरण के लिए संस्कृति, वाणिज्य एवं संपर्क का समर्थन किया.
यहां दक्षेस देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आर्थिक विकास को बढावा देने के लिए सदस्य देशों में सड़क, रेल, समुद्री एवं वायु संपर्क सुधारने पर मजबूती से जोर दिया और क्षेत्र का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत की पड़ोस को पहली प्राथमिकता देने की नीति दोहरायी.
अफगानिस्तान में हाल में हुए आत्मघाती हमले की ओर इशारा करते हुए सुषमा ने कहा, वॉलीबॉल मैच देख रहे लोगों की जान लेने और उन्हें अपंग बनाने के इस कायरतापूर्ण वारदात से एक बार फिर पता चलता है कि आतंकवाद आज हमारे क्षेत्र के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए एक सामूहिक प्रतिक्रिया की जरुरत है. इस हमले में 50 से अधिक लोग मारे गए. विदेश मंत्री ने इस दुखद त्रासदी के लिए अफगानिस्तान की सरकार और वहां लोगों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं.
दक्षेस को अधिक प्रभावशाली बनाने के बारे में बात करते हुए सुषमा ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली नई सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दृष्टि पर काम कर रही है और क्षेत्रीय समूह के लिए भी भारत की यही दृष्टि है.
सुषमा ने कहा, सभी आठ सदस्य देश और तेज प्रगति और हमारी जनता के लिए जीवन की गुणवत्ता बेहतर कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए दक्षेस को क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक उद्देश्यपूर्ण माध्यम के तौर पर अधिक प्रभावशाली एवं कुशलतापूवर्क तरीके से संचालन के लिए खुद को ढालना होगा. विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय शांति, समृद्धि एवं विकास की साझा दृष्टि की दिशा में भारत की ‘गंभीर एवं स्थायी प्रतिबद्धता’ जतायी और कहा कि क्षेत्र को अधिक सुरक्षित, मजबूत एवं बेहतर बनाने की दिशा में भारत सरकार अंतर-क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया को तेज करने और भारत की तकनीकी, वैज्ञानिक एवं मानव संसाधन क्षमता अपने दक्षेस पडोसियों के साथ साझा करने के लिए हरसंभव सहयोग करना चाहेगी.
बेहतर संपर्क की जरुरत पर जोर देते हुए सुषमा ने कहा कि दक्षेस को ‘कल्पनाशील’ होना चाहिए और सड़क एवं रेल, समुद्री एवं वायु या एकीकृत मल्टी-मोडल परिवहन के माध्यम से देशों को जोडने के नए तरीकों पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, संपर्क बेहतर करने से ना केवल उत्पादकता बढेगी, लागत में कमी आएगी और हमारा आर्थिक विकास बढेगा बल्कि हमें क्षेत्र की स्थानिक गरीबी को दूर करने में भी मदद मिलेगी. सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष कल से शुरु हो रहे दो दिनों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
विदेश मंत्री ने कहा, दक्षेस ने 29 साल पूरे कर लिए हैं. 2015 में हम अपने संगठन के 30 साल पूरे करने का जश्न मनाएंगे. जैसे लोगों के जीवन में होता है, उसी तरह एक संगठन के जीवन में भी 30वां साल एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है. यह वह समय है, जब इस इमारत में ऊर्जा भरी जाए और संगठन को जरुरी गति दी जाए. आर्थिक विकास को लेकर सुषमा ने कहा कि दक्षेस देशों के बीच व्यापार से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को तेज करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) ने अंतर-दक्षेस व्यापार को कुछ गति दी है लेकिन यह अब भी क्षमता से कम है. भारत ने अंतर-क्षेत्रीय व्यापार को बढावा देने के लिए पहले ही कई उपाय किए हैं जिनमें दक्षेस के अल्प विकसित देशों की वस्तुओं को भारत में शुल्क मुक्त प्रवेश की उपलब्धता शामिल है.

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