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मैकरोन ने दिखाया करिश्मा बने राष्ट्रपति : दक्षिणपंथी उभार को मजबूत झटका

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव में इमैनुएल मैकरोन की जीत फ्रांस की परंपरागत राजनीतिक परिदृश्य में ‘बाहरी’ के प्रवेश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने पश्चिमी राजनीति में धुर दक्षिणपंथ और उग्र राष्ट्रवाद के बढ़ते प्रभाव को बड़ा झटका दिया है. बतौर शासनाध्यक्ष उनके कामकाज की दशा और दिशा का अंदाजा तो कुछ समय […]

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव में इमैनुएल मैकरोन की जीत फ्रांस की परंपरागत राजनीतिक परिदृश्य में ‘बाहरी’ के प्रवेश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने पश्चिमी राजनीति में धुर दक्षिणपंथ और उग्र राष्ट्रवाद के बढ़ते प्रभाव को बड़ा झटका दिया है. बतौर शासनाध्यक्ष उनके कामकाज की दशा और दिशा का अंदाजा तो कुछ समय बाद ही लग सकेगा, पर यूरोप की एकजुटता, मुक्त अर्थव्यवस्था और बेहतर लोकतंत्र के समर्थक उनकी जीत से बहुत उत्साहित हैं. फ्रांसीसी इतिहास के इस सबसे युवा राष्ट्रपति से जुड़े विभिन्न आयामों को रेखांकित करती आज के इन-डेप्थ की प्रस्तुति…
फ्रांस के निर्वाचित राष्ट्रपति मैकरोन पेशेवर बैंकर रहे हैं. हालांकि वे निवर्तमान सरकार में मंत्री रह चुके हैं पर इस चुनाव से पहले वे किसी निर्वाचित पद पर नहीं रहे हैं. मुक्त व्यापार के समर्थक मैकरोन सरकार से इस्तीफा देकर एक स्वतंत्र राजनीतिक आंदोलन ‘एन मार्शे’ की अगुवाई करते हैं.
शिक्षा :चिकित्सक माता-पिता की संतान मैकरोन की शुरुआती शिक्षा फ्रांस के एक छोटे शहर एमिएंस में हुई और फिर उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए राजधानी पेरिस का रुख किया. वहां उन्होंने प्रतिष्ठित संस्थानों- लाइसी हेनरी-IV तथा साइंस पो- में पढ़ाई की. उन्हें शानदार पियानो बजाने के लिए पुरस्कृत भी किया चुका है. दर्शनशास्त्र में एमए मैकरोन के भाषणों में इस विषय पर उनकी पकड़ साफ झलकती है. कुछ समय के लिए वे प्रसिद्ध दार्शनिक पॉल रिकोर के सहयोगी भी रहे थे.
राजनीतिक जीवन : शासन में उनका कैरियर फ्रेंच ट्रेजरी से शुरू हुआ था, जहां वे देश के विकास के लिए बने आयोग में सेवारत थे. इस आयोग के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति फ्राक्वा मित्रां के सलाहकार जैक अट्टाली थे जिन्होंने मैकरोन के काम को देख कर कहा था कि इस व्यक्ति में ‘राष्ट्रपतियों के लक्षण’ हैं. पर, 2008 में मैकरोन ने सरकारी नौकरी छोड़ कर रोथ्सचाइल्ड बैंक का रुख कर लिया और वहां भी अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी. कुछ सालों बाद राष्ट्रपति ओलां ने उन्हें आर्थिक सुधारों के लिए सलाहकार बनाया. तब फ्रांसीसी मीडिया ने उन्हें राष्ट्रपति भवन के मोजार्ट की संज्ञा दी थी.
वर्ष 2014 में वे अर्थव्यवस्था मंत्री बने. वालेरी गिस्कार्ड डी’एस्टैंग के बाद से इस पद को पानेवाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. यह भी एक दिलचस्प संयोग है कि डी’एस्टैंग भी बाद में राष्ट्रपति बने थे. पिछले साल सरकार से इस्तीफा देकर मैकरोन ने अपनी पार्टी का गठन किया था.
पारिवारिक जीवन : मैकरोन ने अपने से 24 साल बड़ी ब्रिगिट से 2007 में शादी की थी. जब उनकी उम्र 15 साल थी, तब दोनों की मुलाकात उस स्कूल में हुई थी जहां ब्रिगिट उनकी फ्रेंच भाषा और ड्रामा की शिक्षिका थीं. ब्रिगिट अपनी पहली शादी से तीन बच्चों की मां हैं और उनके नाती-पोतों की संख्या सात है. ब्रिगिट अपने पति के सार्वजनिक जीवन के कामों में सक्रिय सहयोग करती हैं.
विचारधारा :मैकरोन खुद को वामपंथी या दक्षिणपंथी विचारधारा से संबद्ध नहीं मानते हैं और सिर्फ फ्रांस के हितों का पक्षधर बताते हैं. हालांकि पिछले साल नवंबर में प्रकाशित अपनी किताब ‘रिवोल्यूशन’ में उन्होंने अपने को वामपक्षी और उदारवादी दोनों बताया है. व्यापारिक सुधारों के समर्थक मैकरोन सामाजिक मुद्दों पर वामपंथियों के करीब प्रतीत होते हैं. वे धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और आप्रवासन के समर्थक हैं.
नीतियां : मार्च के महीने में अपने घोषणापत्र को जारी करते हुए मैकरोन ने उम्मीद जतायी थी कि ब्रिटेन के व्यावसायी और बैंक पेरिस आयेंगे. उन्हें आकर्षित करने के लिए मैकरोन ने 33.3 फीसदी के मौजूदा कॉरपोरेशन टैक्स को घटाकर 25 फीसदी करने का वादा किया है. यूरोप की एकजुटता के कट्टर पैरोकार नये राष्ट्रपति सार्वजनिक खर्च में 60 बिलियन यूरो की कमी और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 1.20 लाख की कटौती करना चाहते हैं.
उन्होंने बेरोजगारी भत्ता और संबंधित लाभ पानेवाले ऐसे लोगों से कड़ाई से निपटने का वादा किया है जो नौकरी के प्रस्तावों को लगातार ठुकराते रहते हैं. सेवानिवृत्ति की सीमा को लचीला बनाने की बात भी उन्होंने कही है जो फिलहाल 60 वर्ष है. वैधानिक रूप से हर सप्ताह 35 घंटे काम के मसले पर भी वे नयी पहल के पक्षधर हैं. उन्होंने 80 फीसदी घरों के प्रोपर्टी टैक्स को हटाने की योजना भी उनके कार्यक्रम में है. इन चीजों के अलावा वे हरित ऊर्जा, रोजगार, यातायात, प्रशासन और विद्यालय प्रबंधन में सुधारों के हिमायती हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में मैकरोन की जीत
रविवार, 7 मई को राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे चरण में मैकरोन ने 66.1 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत पायी है. उनकी प्रतिद्वंद्वी धुर दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट की ला पेन को 33.9 प्रतिशत मत ही मिले. हालांकि फ्रांस में इस बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में लोगों का उत्साह पहले के चुनावों से कम रहा.
खासकर वामपंथी तबके के मतदाताओं में यह उत्साह कुछ ज्यादा ही कम नजर आया क्योंकि इस चुनाव में उनका पसंदीदा उम्मीदवार नहीं था. हार के बाद ला पेन ने अपनी पार्टी में बड़े बदलाव के संकेत दिये हैं. उन्होंने संसदीय चुनाव में नयी ताकत के साथ उतरने की बात भी कही है. फ्रांस के इतिहास में लंबे समय बाद ऐसा हुआ है, जब यहां के दो प्रमुख पार्टियों से इतर किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है. वर्ष 1958 के बाद से ही यहां दो प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार ही बारी-बारी से राष्ट्रपति बनते रहे हैं.
जन्म- 21 दिसंबर, 1977
पूर्व पद- अर्थव्यवस्था, उद्योग एवं डिजिटल मामलों के मंत्री
पार्टी- एन मार्शे (बढ़ते हुए)
– अगस्त, 2016 में सरकार से इस्तीफा देकर एक मध्यममार्गी पार्टी बनाने और राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतरने की घोषणा
– रविवार, सात मई, 2017 को ला पेन को हराकर फ्रांस के पांचवे गणतंत्र के इतिहास के सबसे युवा राष्ट्रपति निर्वाचित हुए
इमैनुएल मैकरोन की चुनौतियां
फ्रांस के निर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैकरोन भले ही अपनी जिम्मेवारियाें को संभालने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं, लेकिन नेशनल एसेंबली में उनकी पार्टी का एक भी सदस्य नहीं होने के कारण सरकार चलाने के लिए टीम गठन का काम एक बड़ी चुनौती साबित होगी. उनकी पार्टी-एन मार्शे- का गठन 2016 में हुआ था और अब इसका नाम बदलकर ला रिप्यूब्लिक एन मार्शे किया जा रहा है. अगले महीने की 11 और 18 तारीख को फ्रांस में संसदीय चुनाव होने वाले हैं. उम्मीदवार तय करना, चुनाव लड़ना और जीतना मैकरोन के लिए आसान काम न होगा. उनकी दूसरी मुश्किल फ्रांस के विभाजित समाज को साधने की है.
संसदीय चुनाव से संबंधित ओपिनियन पोल
अगले महीने फ्रांस में होनेवाले संसदीय चुनाव के संबंध में आये ओपिनियन पोल के अनुसार, मैकरोन व उनकी सहयोगी पार्टी मोडेम को इस चुनाव के पहले चरण में यानी 11 जून को होने वाले चुनाव में 24 से 26 प्रतिशत मत प्राप्त होगा और वे सबसे ऊपर रहेंगी. वहीं रूढ़िवादी रिपब्लिकन और ला पेन की नेशनल फ्रंट को 22-22 प्रतिशत और धुर वामपंथी पार्टी फ्रांस अनबाउंड को 13 से 15 प्रतिशत तक मत प्राप्त होगा. जबकि राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलां की सत्तारूढ़ सोशलिस्ट पार्टी को महज नौ प्रतिशत मत मिलने का अनुमान है.
फ्रांस की संसद- नेशनल एसेंबली- में 577 सीटें हैं. वर्तमान में नेशनल फ्रंट के पास संसद की दो सीटें हैं और ओपिनियन पोल के मुताबिक, ला पेन की राष्ट्रपति चुनाव में हुई हार के बाद उनकी पार्टी को महज 15 से 25 सीटें ही प्राप्त होंगी. ओपिनियन पोल के ये सर्वेक्षण राष्ट्रपति चुनाव के तुरंत बाद आये हैं. अगर इसी तरह अनिश्चितता बनी रही तो यह तय है कि अपने घोषणापत्र से अन्य दलों को सहमत कराने के लिए मैकरोन को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
दुनिया के युवा राष्ट्रीय नेता
– 39 वर्ष के इमैनुएल मैकरोन 225 साल के फ्रांसीसी लोकतंत्र के इतिहास के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति हैं.
– 29 वर्ष की वनेसा डी’एंब्रोसिओ दुनिया में सबसे कम उम्र की शासनाध्यक्ष हैं. वे सैन मरीनो की प्रमुख हैं.
– उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन उम्र के लिहाज से दूसरे स्थान पर है. उनकी उम्र 34 साल है और वे 2012 से राष्ट्रपति हैं.
– पिछले साल जुरी राटास 38 वर्ष की आयु में एस्टोनिया के प्रधानमंत्री बने.
– कतर के मौजूदा अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की उम्र 3६ वर्ष है.
– वोलोदिमीर ग्रोय्समैन भी 38 साल में 2016 में यूक्रेन के प्रधानमंत्री बने.
– पिछले साल जनवरी में मेसेडोनिया में एमिल दिमित्रिदेव 38 साल की आयु में
प्रधानमंत्री बने.
इतिहास में युवा नेतृत्व
– वर्ष 1783 में विलियम पिट ‘द यंगर’ मात्र 24 साल की आयु में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे.
– सिकंदर महान को सिर्फ 20 साल की आयु में 226 ईसा पूर्व में मेसेडोनिया का तख्त हासिल हुआ था. उसके बाद उसने विश्व के बड़े हिस्से को जीत कर विश्वविजेता की संज्ञा पायी.

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