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मेरा फोकस हमेशा नंबर से ज्यादा अपने मूल्यों पर

वैश्विक परिदृश्य में भारतीय औद्योगिक परिवेश निरंतर नवोन्मेषी, सुधारवादी और विकासवादी उभार के साथ आगे बढ़ा है. इसमें दूरदृष्टि और पक्के इरादेवाले उन कारोबारियों की बड़ी भूमिका है, जिन्होंने छोटे स्तर पर शुरुआत की और कम समय में बड़ा मुकाम हासिल किया. स्टार्ट-आप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया के लिए ये बड़े इंस्पिरेशन हैं. उनसे रूबरू कराने […]

वैश्विक परिदृश्य में भारतीय औद्योगिक परिवेश निरंतर नवोन्मेषी, सुधारवादी और विकासवादी उभार के साथ आगे बढ़ा है. इसमें दूरदृष्टि और पक्के इरादेवाले उन कारोबारियों की बड़ी भूमिका है, जिन्होंने छोटे स्तर पर शुरुआत की और कम समय में बड़ा मुकाम हासिल किया. स्टार्ट-आप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया के लिए ये बड़े इंस्पिरेशन हैं. उनसे रूबरू कराने और उनकी कामयाबी के सूत्रों से अवगत कराने के लिए पेश है यह नयी श्रृंखला. पहली कड़ी में पढ़ें देश की जानी-मानी शेयर ब्रोकर कंपनी नारनोलिया सेक्योरिटीज लिमिटेड के चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णानंद नारनोलिया से संवाददाता श्रीकांत शर्मा की बातचीत.

Qआरंभिक जीवन के बारे में थोड़ा बताइए?

मेरा परिवार झारखंड के एक छोटे से शहर जामताड़ा में रहता है. शुरुआती शिक्षा जामताड़ा से ही हुई. बाद की पढ़ाई रांची एवं दिल्ली से हुई. लगातार काॅलेज टाॅपर रहा. अविभाजित बिहार में तृतीय स्थान प्राप्त होने के कारण रांची विश्वविद्यालय में सम्मानित किया गया था. मेरे परिवार का कोई सदस्य शेयर बाजार इंडस्ट्री में नहीं है, लेकिन शेयर बाजार के प्रति मेरे लगाव को देखते हुए परिवार से मुझे हर प्रकार की मदद मिली. मेरे पिता सदानंद नारनोलिया इस दुनिया में नहीं हैं. उनके द्वारा दिये गये संस्कार मेरे साथ हैं. उनके मार्गदर्शन की बदौलत ही मैं इस मुकाम पर हूं.

Qकब ख्याल आया कि शेयर बाजार में कदम रखना है?

1987-1988 का दौर था और मैं स्नातक की पढ़ाई रांची से पूरी करने के बाद दिल्ली चला गया. सिविल सर्विसेस की तैयारी करने लगा. उस समय मेरे रूम-पार्टनर बिहार के सासाराम निवासी प्रदीप भारती थे.

वह शेयर बाजार पर पीएचडी कर रहे थे. हालांकि, उस समय शेयर बाजार के बारे में काफी कम लोग जानते थे. भारती जी को शेयर बाजार की चर्चा करते, पुस्तकें पढ़ते देख मेरे मन में भी शेयर बाजार के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हुई. दिनभर में एक बार शेयर बाजार को लेकर चर्चा तो हो ही जाती. उनके द्वारा पता चला कि आने वाले दिनों में देश में शेयर बाजार बुम करनेवाला है. बस, यहीं से मैंने शेयर बाजार की बारीकियों को सीखा और उसी में रम गया.

Qअपनी कंपनी कब शुरू की ?

15 अगस्त 1993 को मैंने शेयर ब्रोकिंग के क्षेत्र में प्रवेश किया और चार वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद, 1997 में अपनी कंपनी नारनोलिया सिक्यूरिटीज की शुरुआत की. आज गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, झारखंड और मध्य प्रदेश के साथ-साथ 18 राज्यों एवं विदेशों में भी हमारी शाखाएं हैं.

Qशुरुआती पूंजी कितनी थी ? अभी कंपनी का आकार क्या है ?

मेरे कारोबार की शुरुआती पूंजी साढ़े छह लाख रुपये थी. जनवरी, 2018 के डेटा के अनुसार हमारी कंपनी का एसेट अंडर कस्टडी मैनेजमेंट 11 हजार करोड़ था, 300 से ज्यादा आउटलेट्स हैं. देशभर में तीन लाख से ज्यादा कस्टमर हैं.

आज नारनोलिया देश की सबसे तेजी से प्रगति करने वाली ब्रोकिंग एवं एडवाइजरी फर्म में से एक है, इसकी वजह से कंपनी को देश के कई सर्वोच्च सम्मान भी मिले हैं.

Qलोग मुंबई और अन्य मेट्रो सिटीज से श्रेणी दो और श्रेणी तीन के शहरों में आते हैं, पर आपकी यात्रा उलटी रही है. यह संयोग है या आपकी रणनीति ?

यहां का मूल निवासी होने के कारण रांची और पटना जैसे छोटे शहरों से काम शुरू करना एक संयोग ही था. उसके बाद आज तक का सफर एक सोची-समझी योजना के अनुसार ही तय हुआ. मैंने 15 वर्ष तक अच्छे प्रोडक्ट्स के लिए रिसर्च किया. 2012 में जब लगा कि हमारे पास अच्छे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज बन गये हैं, तब अपनी कंपनी का विस्तार करना शुरू किया. पिछले छह वर्ष में कंपनी का एसेट अंडर कस्टडी मैनेजमेंट 28 से 30 गुणा बढ़ गया है.

Qआपके जीवन का टर्निंग प्वाइंट क्या था ?

मैंने 1996 का मंदी का दौर भी देखा है. मगध स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट के कारण मुझे साढ़े आठ लाख रुपये का नुकसान हुआ था. साथ ही कंपनी पर दो लाख से ज्यादा की देनदारी हो गयी थी. लगा था कि कंपनी बंद कर देनी पड़ेगी.

शेयर बाजार में काफी उथल-पुथल थी. उस दौर में जहां कइयों ने अपना सब कुछ गवां दिया, वहीं बेईमानी करने वाले रातोंरात मालदार हो गये. उसके बाद शेयर इंडस्ट्री को लेकर आम धारणा बन गयी थी कि आप बिना बेईमानी किये इसमें नहीं टिक सकते. हैरत की बात यह कि मगध स्टाॅक एक्सचेंज में ट्रेनिंग के दौरान भी हमें इस पर गौर करने को कहा गया था, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में परिवार ने मेरा हौसला टूटने नहीं दिया. लग रहा था जब कंपनी बंद हो जायेगी, तब भी पिता ने सख्ती से ईमानदारी के पथ पर अडिग रहने की सीख दी.

उन्होंने समझाया कि यह परीक्षा की घड़ी है. इसमें फेल हुए तो जीवनभर फेल होते रहोगे. जब लगे कि बेईमानी के बिना काम नहीं होनेवाला है, तो यह मान लेना चाहिए की ईमानदारी का महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि वह स्कारसिटी में हो जाती है. सच कहूं, ताे यही वह टर्निंग प्वाइंट था. उस वक्त मुश्किलें तो बहुत हुई थी, लेकिन उसके बाद हमारी कंपनी पर ईमानदारी का ऐसा ठप्पा लगा कि आज तक हमने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

Qअपने जीवन की उपलब्धि क्या मानेंगे ?

कंपनी के सारे स्टेकहोल्डर निवेशक, इम्प्लाई, पार्टनर, रेगुलेटर, बैंकर एवं पूरी सोसाइटी का लगातार हमारे ऊपर बढ़ता हुआ भरोसा. इस भरोसे की वजह, इंडस्ट्री की लीडिंग व नाॅलेज बेस प्रोडक्ट्स, जिन्होंने हमें ईस्ट के एक छोटे से सब ब्रोकर फर्म से ग्लोबल व नेशनल स्तर की पहचान दी है. बहुत खुशी होती है कि कंपनी के द्वारा मैनेज फंड ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 29 प्रतिशत प्रतिवर्ष के रिटर्न से जहां एक ओर कंपनी को एक अलग पहचान मिली है, वहीं निवेशकों को इंडिया ग्रोथ स्टोरी को पूरा फायदा भी मिल पाया है.

Qपांच साल बाद आप अपने को कहां पाते हैं ?

नारनोलिया को देश की सबसे प्रतिष्ठित फुल सर्विस ब्रोकरेज फर्म के रूप में देखने का सपना पूरी कंपनी का है. अगले पांच वर्ष में हमलोग इस सपने को सच कर पायेंगे, मुझे ऐसी उम्मीद है.

Qआपकी तरक्की में अध्यात्म का योगदान कितना रहा है ?

मैं खुशनसीब हूं कि मेरे माता-पिता ने मुझे बचपन से ही अध्यात्म के सही मायने एवं महत्व को समझाया. अध्यात्म से मेरे जीवन को सही दिशा मिली. सही मुकाम मिला.

Qकंपनी का फोकस ?

हमारे प्रोडक्ट्स हमारे सर्विसेज की क्वालिटी बेहतर बनी रहे. उसकी डिलिवरी छोटे-छोटे निवेशकों को उनकी जरूरत के अनुसार मिलती रहे, सिर्फ इन तीन चीजों पर हमारा फोकस रहने पर हमें अपनी मेहनत का रिजल्ट मिलना तय है. मेरा फोकस हमेशा नंबर से ज्यादा अपने मूल्यों व सिद्धांतों पर होता है.

Qशेयर इंडस्ट्री में अच्छे कार्य के लिए आपको मिले प्रतिष्ठित अवार्ड के बारे में बताएं ?

वर्ष 2008 में जेडी बिरला अवार्ड मिला. 2010 सिंगापुर में चैंपियन ऑफ चैंपियन अवार्ड प्राप्त हुआ. पिछले पांच वर्षों से दुनिया की जानी-मानी शेयर कंपनी एमनेशन ग्रुप के साथ भारत के सबसे बड़े फ्रेंचाइजी होने का अवार्ड प्राप्त हुआ. इसके साथ रिटेल में कंपनी के किये गये कार्यों को देखते हुए आइआइएम बेंगलुरु में शोधकार्य भी कराया जा चुका है.

2017 में थाईलैंड में मोस्ट प्रोमिसिंग ब्रांड ऑफ द कंट्री का अवार्ड, डब्ल्यूसीआरसी इंटरनेशनल द्वारा प्रदान किया गया. 2017 में ही बीएससी टेला द्वारा इमर्जिंग पोर्टफोलियो ऑफ द कंट्री अवार्ड 2017 मिला, इसी वर्ष 2018 देश में ही मोस्ट कंसिस्टेंट पोर्टफोलियो मैनेजर ऑफ द कंट्री अवार्ड मिला. लंदन में वर्ल्ड रिसर्च कंसल्टेंसी द्वारा इंस्पिरेशनल लीडर ऑफ द कंट्री के अवार्ड से सम्मानित किया गया.

Qनये एवं छोटे निवेशकों को सलाह ?

आनेवाले समय में भारतीय शेयर बाजार में निवेश से बैंक डिपॉजिट या किसी भी अन्य निवेश के विकल्पों की तुलना में काफी अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना है. एक निवेशक को यह जानना जरूरी है कि उसकी बचत का कितना हिस्सा शेयर एवं अन्य विकल्पों में लगाना चाहिए, उसके बाद यह निर्णय लेना होता है कि निवेश सीधे शेयर में करें या म्यूचुअल फंड के माध्यम से. साधारणतया एक छोटे एवं नये निवेशक को म्यूचुअल फंड में ही निवेश करना चाहिए. निवेश के बाद डिसिप्लीन एवं पेशेंस की जरूरत होती है.

Qम्युचुअल फंड की डायरेक्ट स्कीम में निवेश करना ठीक है या किसी सलाहकार की मदद से ?

दवा खरीदते समय आपके पास तीन आॅप्सन होते हैं, आप खुद एक्सपर्ट हैं, तो जाकर डायरेक्ट मेडिकल स्टोर से दवा खरीद सकते हैं. दूसरा आॅनलाइन में अपनी बीमारी के बारे में पता करके डायरेक्ट आॅनलाइन खरीद सकते हैं. तीसरा डाॅक्टर से मिलकर उसके प्रिसक्रिप्शन के अनुसार दवा ले सकते हैं. तीनों ही विकल्प अच्छे हैं.

मेरा मानना है कि एक अच्छा फैमिली डाॅक्टर सिर्फ दवा ही नहीं देता, वह आपको खराब वक्त में इमोशनल सपोर्ट भी देता है. म्यूचुअल फंड के समय में भी आपको यही ध्यान रखना है. हां, आपको सलाहकार के चयन में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. आज देश में लगभग चार हजार म्यूचुअल फंड की स्कीम है उसमें से किस स्कीम में पैसा लगाएं और फिर कब उसमें चेंज लाएं. इन बातों की सलाह के लिए काफी रिसर्च की जरूरत होती है, जो कि एक आम एजेंट के लिए थोड़ा मुश्किल होता है.

Qडेली ट्रेडिंग कितना लाभप्रद है?

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि शेयर बाजार का जन्म निवेश के लिए ही हुआ है, ट्रेडिंग के लिए नहीं. शेयर बाजार का उद्देश्य डेली ट्रेडिंग करवाना नहीं है. मेरा मानना है कि निवेशक को लांग या शॉर्ट टर्म में ही अपना पैसा लगाना चाहिए, लेकिन यदि किसी निवेशक को ऐसा लगता है कि उसे बाजार की अच्छी जानकारी है, तब भी उस निवेशक को मेरी सलाह होगी कि वह अपनी पूंजी का मात्र 20 प्रतिशत ही डेली ड्रेडिंग में निवेश करें. युवाओं को खर्च करना तो आ गया है, लेकिन उन्हें इन्वेस्टमेंट करने के बारे में अभी भी सीखने की आवश्यकता है.

Qइसके लिए न्यूनतम कितनी पूंजी की जरूरत होगी ?

म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर बाजार में पांच सौ रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है, जबकि शेयर बाजार में सीधा निवेश करना है, तो निवेशक किसी शेयर ब्रोकिंग फॉर्म में जाकर ट्रेडिंग और डिपॉजिटरी एकाउंट खुलवा सकते हैं, जिसके लिए कोई लिए कोई न्यूनतम सीमा नहीं है.

Qसुना जाता है कि शेयर बाजार में पैसा लगा कर अनेक लोग बर्बाद हो गये, तो वहीं कुछ लोग इसमें कमाई कर लाल हो गये. यह तकदीर ही है या कुछ और भी राज है इसमें ?

शेयर बाजार एक बहती हुई नदी है. इसमें आप चाहें तो कूद कर सुसाइड भी कर सकते हैं और इससे पावर भी बना सकते हैं. शेयर बाजार इसलिए बना था कि लोग यहां निवेश करके लाभ कमाएं. दुनिया के 16 देशों के दो सौ वर्षों का डेटा रिसर्च करने के बाद हमने देखा की इक्विटी का रिटर्न एफडी से हमेशा ज्यादा रहता है.

आगे भी यही स्थिति रहने की उम्मीद है. जिस भी देश में इक्विटी का रिटर्न लंबे समय में एफडी से कम आयेगा, तो यह मानना चाहिए कि उस देश की अर्थव्यवस्था में रिस्क है. उस देश के एफडी में और भी ज्यादा रिस्क है. जहां तक तकदीर की बात है, तो तकदीर से कमाया गया पैसा ज्यादा समय तक पास में नहीं रह सकता. निवेशक जिस कंपनी का शेयर ले रहा है, तो उसके बारे में खुद रिसर्च कर ले या फिर किसी शेयर बाजार एडवाइजर से सलाह लेकर निवेश करे.

Qफ्री समय में आपके इंटरेस्ट और हाबीज क्या हैं ?

पढ़ना और आत्मनिरीक्षण करना.

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