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27-28 जुलाई को शताब्दी का सबसे लंबा संपूर्ण चंद्रग्रहण, 4 राशि वालों को हो सकती हैं परेशानियां, इन बातों का रखें ध्यान

भारत के सभी हिस्सों से संपूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा इस वर्ष पूर्ण चंद्रग्रहण का संयोग बन रहा है. यह ग्रहण पूरे भारत के अलावा एशिया, यूूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका सहित कई देशों में दिखाई देगा. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा तिथि 27 जुलाई गुरु पूर्णिमा के दिन शुक्रवार की रात्रि 11:54 मिनट से प्रारंभ होगी, […]

भारत के सभी हिस्सों से संपूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा
इस वर्ष पूर्ण चंद्रग्रहण का संयोग बन रहा है. यह ग्रहण पूरे भारत के अलावा एशिया, यूूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका सहित कई देशों में दिखाई देगा. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा तिथि 27 जुलाई गुरु पूर्णिमा के दिन शुक्रवार की रात्रि 11:54 मिनट से प्रारंभ होगी, जो रात्रि 1:52 मिनट पर रहेगा. यानी ग्रहण रात्रि एक बजे से 2.43 मिनट तक रहेगा. यह चंद्रग्रहण पूरे भारत में खग्रास के रूप में दिखाई देगा, यानी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा.
पंडित राकेश झा शास्त्री के अनुसार 27 जुलाई को चंद्र ग्रहण पूरे तीन घंटा 55 मिनट तक रहेगा, जो अगले दिन 20 जुलाई दिन शनिवार की सुबह 3.49 मिनट पर समाप्त होगा. ग्रहण का स्पर्श उत्तर आषाढ़ नक्षत्र की मकर राशि में तथा ग्रहण का मोक्ष काल श्रवण नक्षत्र की मकर राशि में होगा.
इसलिए जिन व्यक्तियों का जन्म उत्तर आषाढ़ नक्षत्र एवं श्रवण नक्षत्र में हुआ है, वे इस ग्रहण को न देखें. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिस राशि में चंद्र ग्रहण होता है. उस राशि के लोगों को कष्ट का सामना करना पड़ता है. ग्रहण मकर राशि में होने के कारण इस राशि के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
चार राशियों पर शुभ प्रभाव
चार राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि पर पर ग्रहण का शुभ प्रभाव पड़ेगा. वहीं, कुंभ, तुला, कर्क व वृष राशि पर मध्यम प्रभाव पड़ेगा. मकर, मिथुन, कन्या व धनु राशि पर अशुभ प्रभाव माना गया है. इस राशि के लोगों को ग्रहण के समय भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. चंद्रग्रहण का गोचर के अनुसार प्रभाव होता है. चंद्र गहण पर सभी लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए. इससे कई गुणा अधिक फल मिलता है. इस दिन उड़द व मूंग दाल, काला तिल व नीले काले रंगों के वस्त्रों का दान शुभ होगा.
क्या है चंद्रग्रहण
चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने को चंद्रग्रहण कहते हैं. तब सूर्य व चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है.
इन बातों का रखें ध्यान : ग्रहण की समाप्ति तक मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए. न ही भोजन करना चाहिए और न ही भोजन बनाना चाहिए. हालांकि इस दौरान बच्चे, बुजुर्ग व रोगी फलाहार कर सकते हैं. ग्रहण से पहले दूध, दही, घी व अन्य सामग्रियों पर कुश रखने से ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता.

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