अपने भविष्य को लेकर हर कोई चिंतित और सतर्क रहता है. इसके लिए वह तरह-तरह से धन संचय करता है, ताकि रिटायरमेंट के बाद उसे पैसों की दिक्कत न हो. यह जरूरी तो है, लेकिन इससे भी जरूरी यह सोचना है कि उस उम्र में आपका स्वास्थ्य कैसा रहता है? आज के लाइफस्टाइल में डायबिटीज, बीपी, थायरॉयड, मोतियाबिंद, कैंसर, हृदय से जुड़े रोग, घुटने का दर्द आदि कई तरह की परेशानी घेर लेती है. इनके इलाज और जांच में बहुत सारे पैसे लग जाते हैं.
इस समस्या के समाधान के लिए बहुत सारी कंपनियों ने स्वास्थ्य बीमा योजनाएं पेश की हैं. आप अपनी जरूरत के अनुसार खुद के और पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा का लाभ ले सकते हैं. सरकार की जनरल बीमा कंपनियों व एलआइसी के अलावा कई प्राइवेट कंपनियां स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध करा रही हैं. बैंक भी ग्राहकों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध करवा रहे हैं.
आवश्यकताओं को जानें
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने से पहले आप खुद के और परिवार की पूरी आवश्यकताओं को अच्छी तरह से जान लें. आपकी उम्र, बच्चों की उम्र के साथ-साथ माता-पिता की उम्र के अनुसार ही पॉलिसी का चयन करना चाहिए, जिससे आप उस पॉलिसी का पूरा लाभ उठा सकें. कंपनियां अलग-अलग पॉलिसी में अलग-अलग तरीके से सुविधा प्रदान करती हैं. बढ़ती उम्र के साथ प्रीमियम भी बढ़ती जाती है. साथ ही कुछ और मेडिकल सेवाओं को कवर भी बढ़ता जाता है. आज क्रिटिकल बीमारियों के लिए भी अलग से पॉलिसी उपलब्ध है.
सीमांकन तथा अपवर्जन
सामान्य रूप से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने के एक महीने के बाद ही कवरेज शुरू होता है, लेकिन कुछ अन्य मेडिकल सुविधाओं के लिए एक से दो साल के बाद कवरेज मिलना शुरू होता है. जैसे हर्निया, पाइल्स, साइनस, स्टोन (दोनों तरह के), मोतियाबिंद, घुटने का ऑपरेशन, रीढ से जुड़ा ऑपरेशन, बेरियाटिक सर्जरी आदि. हर कंपनी की अपनी-अपनी शर्तें होती हैं. कंपनी पॉलिसी शुरू होने के दो से चार साल के बाद मैटरनिटी सुविधा देती है.
प्रीमियम का भुगतान : स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान हर साल करना होता है. इसे हर साल निर्धारित तिथि को रिन्यू करना होता है. शर्तों के साथ 15-30 दिनों का ग्रेस समय भी मिलता है.
उपलब्ध सुविधाएं
जन्म के 16वें दिन से लेकर 74 वर्ष तक के लिए अलग-अलग तरह की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध है. बुजुर्गों के लिए सीनियर सिटिजन पॉलिसी, पूरे परिवार के लिए कांप्रिहेन्सिव पॉलिसी या फ्लोटर पॉलिसी आदि.
दुर्घटना मृत्यु लाभ : दुर्घटना हो जाने पर इंश्योरेंस लिये गये व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके नॉमिनी को पॉलिसी की पूरी रकम मिल जाती है.
एयर एंबुलेंस की सुविधा.
नवजात शिशु सुरक्षा आवरण.
हेल्थ चेकअप की सुविधा.
बेरियाटिक सर्जरी की सुविधा यानी मोटापे को कम करने के लिए की जानेवाली सर्जरी की सुविधा.
प्रेगनेंसी या मैटरनिटी की सुविधा.
डे केयर सुविधा यानी डॉक्टरी सलाह, जांच व दवा में होने वाले खर्च की सुविधा.
आयुष की सुविधा
कुछ कंपनियां अपनी
पॉलिसी में आयुर्वेद व होमियोपैथ चिकित्सा के
लिए भी सुविधा देती है.
अतिरिक्त सुविधाएं
अस्पताल व इलाज के खर्चे के अतिरिक्त हुए अन्य नुकसान व खर्च की भरपायी की सुविधा है, जिसमें केयरटेकर का खर्च या वेतन कटौती आदि शामिल हैं.
अतिरिक्त बीमा धन (रिचार्ज) की सुविधा : बीमित राशि का कुल उपयोग हो जाने के बाद भी परिवार के दूसरे सदस्य के लिए बीमा कवर उपलब्ध होता है.
अस्पताल में भर्ती होने के 30-60 दिन पहले से लेकर अस्पताल से बाहर आने के बाद के 60-90 दिनों तक के इलाज के विभिन्न खर्च. यह सुविधा अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग तरह से पॉलिसियों में निहित होती है.
इनफर्टिलिटी इलाज सुविधा.
इलाज के दौरान अस्पताल के कमरे का खर्च व डॉक्टर के परामर्श शुल्क से लेकर अन्य सभी तरह की मेडिकल सुविधाएं. जैसे आंख के ऑपरेशन में लेंस का खर्च, एंजियोप्लास्टी व एंजियोग्राफ्री के खर्च, पेसमेकर का खर्च आदि.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें जो जानना जरूरी है
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने से पहले अगर यह सुनिश्चित हो जाता है कि बीमा लेने वाला एचआइवी (एड्स) से पीड़ित है या कैंसर से पीड़ित है या किडनी की समस्या से ग्रसित है, तो कंपनियां उसे पॉलिसी के लिए उपयुक्त नहीं मानती और पॉलिसी देने से मना कर देती है.
अलग-अलग बीमारियों के कवरेज की अलग-अलग सीमाएं होती हैं. इससे अधिक खर्च को कंपनियां स्वीकार नहीं करती हैं. जैसे मैटरनिटी के संदर्भ में कंपनियां 25 से 40 हजार तक के ही खर्च को स्वीकार करती हैं, वह भी पॉलिसी लेने के दो से तीन साल के बाद.
अस्पताल के द्वारा लिया गया रजिस्ट्रेशन चार्ज, फोन कॉल का खर्च आदि कई तरह के खर्च को कंपनियां स्वीकार नहीं करतीं.
बीमा पॉलिसी लेने से पहले हुई बीमारियों का जो भी इतिहास रहा है, उसका उल्लेख बीमा लेते समय जरूर करना चाहिए. गलत या झूठे साबित होने पर आपको पूरा कवरेज पाने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
पॉलिसी लेने से पहले अगर आपको डायबिटीज है, तो इसका कवरेज अगले 48 महीने तक नहीं दिया जायेगा. यह अवधि अलग-अलग कंपनियों के लिए अलग-अलग हो सकती है.
कैशलेस सुविधा
हर समय व्यक्ति के पॉकेट में कैश हो, ऐसा संभव नहीं. साथ ही अस्पताल में बार-बार भुगतान करना आसान नहीं होता है. इसको ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियों ने कैशलेस इलाज की सुविधा भी उपलब्ध करायी है. कैशलेस के लिए सूचीबद्ध अस्पताल में बिना पैसा जमा किये आप इलाज करा सकते हैं.
आपको सिर्फ अपने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के बारे में अस्पताल को बताना होगा. वे तुरंत ही संबंधित बीमा कंपनी को इसकी जानकारी देंगे और आपका इलाज शुरू हो जायेगा.
धारा 80डी के तहत मिलती है आयकर में छूट
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आयकर की धारा 80डी के तहत कर में छूट मिलती है. इसके तहत हर साल 25 हजार रुपये की अधिकतम कटौती का लाभ मिलता है. 60+ उम्र के माता-पिता की पॉलिसी के प्रीमियम पर 30 हजार तक छूट का प्रावधान है. इस तरह आप कुल 55-60 हजार तक का लाभ ले सकते हैं.
जांच पर भी कर छूट का लाभ
आयकर में मिलने वाले छूट के अंतर्गत आप 5000 तक के निवारक स्वास्थ्य जांच का भी लाभ ले सकते हैं. जैसे अगर आप 20,000 रुपये का प्रीमियम भुगतान करते हैं और साथ ही 5000 रुपये तक वाली जांच करवाते हैं, तो भी आप कुल 25000 रुपये का फायदा ले सकते हैं.
नकद भुगतान पर कर लाभ नहीं
स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम का भुगतान कैश में करना लाभकारी नहीं है, क्योंकि आयकर कानून कर लाभ के लिए नकदी प्रीमियम भुगतान की अनुमति नहीं देता है. यानी कैश में किये गये प्रीमियम भुगतान पर आपको कर लाभ नहीं मिल सकता है. प्रीमियम पर कर लाभ लेने के लिए इंटरनेट बैंकिंग, चेक, ड्राफ्ट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करना जरूरी है.
जीवन बीमा कंपनियों के राइडर्स
आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत जीवन बीमा पॉलिसी के तहत गंभीर बीमारी या मेडिकल इंश्योरेंस राइडर्स के लिए किया गया भुगतान भी कर लाभ के लिए योग्य होता है. इसके अलावा जीवन बीमा कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम भी उसी कर लाभ के अंतर्गत आता हैं.