भौतिकी से जुड़े विशेषज्ञों की टीम ने नयी लेजर तकनीक विकसित की है, जो गैसों की बेहद निम्न सांद्रता का भी पता लगा सकती है. इस तकनीक के माध्यम से दूर संवेदी महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैसों और उत्सर्जित सांस में मौजूद गैसों से बीमारी का सही-सही पता लगाने मेंमदद मिलेगी.
यह है खासियत
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय के भौतिक शास्त्र के विशेषज्ञों ने एक नयी लेजर तकनीक विकसित की है, जो समान तरंगदैघ्र्य की लेजर तकनीकों से 25 गुणा ज्यादा प्रकाश उत्सर्जन करती है. विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर फोटोनिक्स एंड एडवांस सेंसिंग के शोधकर्ता ओरी हेंडरसन-स्पायर ने इस बारे में कहा, नयी लेजर तकनीक ज्यादा शक्तिशाली है और यह पहले से विद्यमान मध्य अवरक्त आवृत्ति रेंज में काम करने वाली दूसरी लेजर तकनीकों से कहीं अधिक सक्षम है.
यह होगा फायदा
नयी लेजर तकनीक मध्य अवरक्त आवृत्ति रेंज में समान तरंगदैघ्र्य में काम करती है, जहां कई तरह की महत्वपूर्ण हाइड्रोकार्बन गैसें प्रकाश का अवशोषण करती हैं. यह तकनीक सर्जरी के दौरान निष्कासित सांस में मौजूद गैसों के विेषण को संभव बनायेगी. उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति मधुमेह का मरीज है तो, उसके द्वारा छोड़ी गयी सांस में एसेटोन का पता इस तकनीक से लगाया जा सकेगा.