।। दक्षा वैदकर ।।
हम अपने आसपास के लोगों से तारीफ सुनना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि लोग हमारे कपड़ों की तारीफ करें, परफ्यूम की तारीफ करें, हमारे काम की तारीफ करें, हमारे ज्ञान की तारीफ करें. हम कोई भी चीज फेसबुक पर डालें, लोग उसे न केवल लाइक करें, बल्कि उस पर कमेंट भी दें.हम तारीफ की उम्मीद हर जगह से करते हैं, लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि हम दिनभर में कितने लोगों की तारीफ करते हैं?
दो उदाहरण देखें. मेरे एक अंकल हैं, जो एक प्राइवेट कंपनी में सीनियर पोस्ट पर थे. उनके सामने जब भी कोई जूनियर अच्छा काम करता, वे अजीब एक्सप्रेशन देते और यही कहते कि अभी यह काम इतना परफेक्ट नहीं हुआ है. इससे और बेहतर किया जा सकता था. जब जूनियर केबिन के बाहर चला जाता, तो वे इस बात को स्वीकारते कि काम सच में अच्छा हुआ था.
मैं उनसे पूछती कि आपने फिर जूनियर की तारीफ क्यों नहीं की? वे जवाब देते, ‘तारीफ करूंगा, तो वह सिर पर चढ़ जायेगा. हवा में उड़ने लगेगा. उसे लगेगा कि उसे सब कुछ आता है. इसलिए जूनियर्स की तारीफ नहीं करनी चाहिए ताकि वे और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित हों.’
अब पिछले दिनों मैंने एक अन्य कंपनी के सीनियर को देखा. उनके जूनियर्स ने मुझे बताया कि सर कभी भी किसी काम को बुरा नहीं कहते. हमेशा तारीफ ही करते हैं. मैंने जब उस सीनियर से बात की और कहा कि आप हर व्यक्ति की तारीफ ही करते हैं. इस तरह बुरा काम करनेवाला भी सोचेगा कि मैंने अच्छा काम किया. क्या आपको ऐसा नहीं लगता? उन्होंने कहा, ‘काम करना ही बड़ी बात है. अच्छा हुआ या बुरा, वह बाद की बात है.
जो भी इनसान काम करता है, उसकी तारीफ तो होनी ही चाहिए. कोई भी जान-बुझकर बुरा काम नहीं करता. गलतियां हो जाती हैं, जो किसी से भी हो सकती है. अगर मैं उन्हें डांट दूं कि बहुत बुरा काम किया है, तो वे हतोत्साहित हो जायेंगे. इसलिए मैं उन्हें सकारात्मक जवाब ही देता हूं. काम सच में अच्छा हुआ हो, तो ‘बहुत बढ़िया’ कहता हूं और काम ठीक-ठाक हुआ हो, तो सिर्फ ‘बढ़िया’.
बात पते की..
किसी के भी कार्य को तुरंत खारिज न करें. पहले उसकी तारीफ करें. हां, आप बाद में उसे समझा सकते हैं कि कहां गलती रह गयी.
अगर आप लोगों से तारीफ सुनना पसंद करते हैं, तो आपको भी लोगों की तारीफ करनी चाहिए. लोगों में गुण तलाशें और तुरंत तारीफ करें.

