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गांव के शासन में अहम भूमिका निभा रही है महिला ग्रामसभा

रजनीश आंनदमहात्मा गांधी का सपना था कि गांव का शासन ग्रामीण चलायें और अपनी प्राथमिकताएं भी वे खुद ही तय करें. हालांकि अब तक यह सपना पूरी तरह सार्थक तो नहीं हो पाया है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि पंचायत चुनाव के बाद इसकी संभावनाएं काफी प्रबल हुईं हैं. गांधीजी के सपने को […]

रजनीश आंनद
महात्मा गांधी का सपना था कि गांव का शासन ग्रामीण चलायें और अपनी प्राथमिकताएं भी वे खुद ही तय करें. हालांकि अब तक यह सपना पूरी तरह सार्थक तो नहीं हो पाया है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि पंचायत चुनाव के बाद इसकी संभावनाएं काफी प्रबल हुईं हैं. गांधीजी के सपने को साकार करने की ओर एक कदम के रूप में महिला ग्रामसभा को देखा जा सकता है.

क्या है महिला ग्रामसभा
महिला ग्रामसभा गांव के महिलाओं की एक विशेष बैठक है, जिसका आयोजन पिछले कुछ महीनों से रांची जिले के चान्हो और बुढमू प्रखंड के राजस्व गांव में किया जा रहा है. इस सभा की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि ग्रामसभा में महिलाओं की बातों को न तो सही ढंग से सुना जा रहा था और न ही महिलाएं बेबाकी से अपनी बातों को रख पा रहीं थीं. अंतत: गांव की महिलाओं ने अपनी समझ से एक ऐसी सभा आयोजित करने का विचार किया, जिसमें सिर्फ महिलाएं शामिल हों और इस तरह महिला ग्रामसभा अस्तित्व में आयी. इस सभा में महिलाएं स्वतंत्र रूप से अपनी प्राथमिकताएं तय करती हैं और उसके बाद उसे ग्रामसभा में भेजती हैं. यही कारण है कि प्रत्येक माह 24 तारीख से पहले महिला ग्रामसभा आयोजित हो जाती है. सबसे गौर करने वाली बात यह है कि महिला ग्रामसभा को लेकर महिलाएं काफी उत्साहित हैं और वे इस बैठक में ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित हो रही हैं.

कैसे काम करती है महिला ग्रामसभा
महिला ग्रामसभा का आयोजन महिलाओं की सुविधानुसार हर माह 24 तारीख से पहले कर लिया जाता है. इस सभा में गांव के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के अतिरिक्त सामान्य महिलाएं भी शामिल होतीं हैं. सभा में सभी अपनी समस्याओं और जरूरतों को बताती हैं. उसके बाद प्राथमिकता के आधार पर विषयों का चयन होता है और उसे ग्रामसभा में भेजा जाता है.

चान्हो प्रखंड की कलावती देवी(फेडरेशन कोषाध्यक्ष, महिला सामाख्या) ने बताया कि प्रत्येक माह 26 तारीख को आयोजित होने वाली ग्रामसभा में अक्सर महिलाओं की बातों को सुना नहीं जाता था. काफी प्रयास के बाद भी महिलाएं अपनी बातों को प्रमुखता से नहीं रख पाती थीं, ऐसे में हमने यह तय किया कि महिलाओं की ग्रामसभा अलग से आयोजित हो, जहां वे अपनी समस्याओं और जरूरतों का चयन कर, उसकी सूची बना लें और फिर 26 तारीख को आयोजित होने वाली ग्रामसभा में उस सूची को प्रस्तुत कर दिया जाये. अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिए गांव की महिलाएं 24 तारीख तक अपनी सभा आयोजित कर लेती हैं, विषयों को चयनित करने के बाद उसकी एक कॉपी ग्रामसभा में, तो दूसरी कॉपी बीडीओ के पास भेजी जाती है. महिला ग्रामसभा द्वारा चयनित विषयों को लेकर दो महिला ग्रामसभा में जाती है और उसे वहां प्रस्तुत करतीं हैं. इस काम में गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं काफी सहयोग करती हैं.

बुढमू प्रखंड की शांति देवी(प्रशिक्षिका, महिला सामाख्या) ने बताया कि महिला ग्रामसभा के आयोजन से ग्रामीण महिलाओं को काफी फायदा होता दिख रहा है. इसके अलावा वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, जॉब कार्ड, स्वास्थ्य बीमा कार्ड, जनवितरण प्रणाली, इंदिरा आवास, कुआं चापानल की मांग एवं टीकाकरण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है. चर्चा के बाद चयनित विषयों की सूची बनती है.

ग्रामसभा में महिला ग्रामसभा द्वारा चयनित विषयों पर ध्यान दिया जाता है. इस काम में मुखिया और वार्ड मेंबर का भी सहयोग मिल रहा है. इसके अतिरिक्त महिला ग्रामसभा की ओर से महिलाओं को जागरूक और प्रेरित करने का काम भी किया जा रहा है. महिलाओं को कानून, शिक्षा और स्वास्थ्य की जानकारी देने का काम भी हो रहा है. साथ ही बच्चों को शिक्षित करने के लिए भी महिला ग्रामसभा प्रयास कर रही है और मॉडल स्कूलों में बच्चों को दाखिला दिलवाया गया है. भविष्य में वे महिला ग्रामसभा को और मजबूत करने की कोशिश करेंगी.

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