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अनमोल धरोहर का केंद्र लूव्र म्यूजियम

फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित लूव्र म्यूजियम दुनिया के सबसे बड़े म्यूजिमों में एक है. 6,52,300 वर्गफीट में फैले म्यूजियम में 35,000 से ज्यादा ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं. इस म्यूजियम में 600 ई.पू. से लेकर 19वीं शताब्दी तक की चीजें सहेजी गयी हैं. अनूठे धरोहर के केंद्र पर सौरभ चौबे की पेशकश. कला के […]

फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित लूव्र म्यूजियम दुनिया के सबसे बड़े म्यूजिमों में एक है. 6,52,300 वर्गफीट में फैले म्यूजियम में 35,000 से ज्यादा ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं. इस म्यूजियम में 600 ई.पू. से लेकर 19वीं शताब्दी तक की चीजें सहेजी गयी हैं. अनूठे धरोहर के केंद्र पर सौरभ चौबे की पेशकश.

कला के शौकीन लोगों और इतिहासकारों के लिए यहां देखने को बहुत कुछ है. मशहूर मोनालीसा की पेंटिंग भी इसी संग्रहालय में मौजूद है. ऐसे तो सिर्फ पेरिस शहर में नब्बे से भी अधिक छोटे-बड़े संग्रहालय हैं, पर लूव्र म्यूजियम की बात ही कुछ और है.

कहानी लूव्र की
लूव्र म्यूजियम की इमारत मूल रूप से एक मध्यकालीन किला थी. फिलिप अगस्त ने 1200 ई. में इसे बनवाया था. शरुआत में इस किले का नाम लुपारा था जिसे बाद में बदलकर लूव्र कर दिया गया. चाल्र्स पंचम ने 14वीं शदी में लूव्र को एक शाही महल में बदल दिया. फ्रांस में हुए विभिन्न युद्धों के दौरान यह लगभग 150 साल तक उपेक्षित रही. पेरिस में जब योद्धा वापस आये, तो इस किले के रिइनोवेशन का काम किया गया. 1739 में इसे पूर्णत: म्यूजियम का रूप दिया गया. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इस म्यूजियम को पहचान मिली.

खजाने में है बहुत कुछ
लूव्र म्यूजियम बहुत बड़ी है, इसलिए इसे कई हिस्सों में बांटा गया है. ओरिएंटल पुरावशेषों को देखने के लिए ही अच्छा खासा समय लग जाता है. मिश्र की प्राचीन सभ्यता का प्रामाणकि परिचय पाने के लिए भी लूव्र म्यूजियम प्रसिद्ध है. यूनानी और रोमन पुरावशेषों के भी अद्भुत रूप इस म्यूजियम में देखे जा सकते हैं.

पेंटिंग का कलेक्शन
लूव्र के पेंटिंग कलेक्शन को विश्व का सबसे अच्छा कलेक्शन माना जाता है. हालांकि, संख्या के मामले में यह विश्व का नंबर एक नहीं है, पर गुणवत्ता और विविधता की दृष्टि से इसे नंबर एक माना जाता है. स्वाभाविक रूप से इस संग्रह में दो तिहाई हिस्सा फ्रांसीसी चित्रकला का है, पर इटली के महान चित्रकारों की कला के अद्वितीय रूप भी लूव्र म्यूजियम में मौजूद हैं.

अनसुलझी तसवीर मोनालिसा की
विश्व की अबतक की सबसे ज्यादा चर्चित तसवीर ‘मोनालिसा’ भी इसी म्यूजियम में मौजूद है. लिओनादरे दा विंची ने इस पेंटिंग को बनाया था. इस पेंटिंग में एक मुस्कुराती हुई महिला की तसवीर है जो अपने मन में कुछ सोचते हुए मुस्कुरा रही है. माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनादरे ने मोनालिसा की तसवीर 1503 से 1506 के बीच बनायी थी. मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है. इस तसवीर को सुरक्षित रखने के लिए एक खास किस्म के शीशे के पीछे इसे रखा गया है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है. कंप्यूटर की मदद से जब मोनालिसा के चेहरे के ऊपर लिओनादरे के बाल, दाढ़ी व भौहें लगाकर देखा गया तो वह पूरी तरह लिओनादरे की खुद की तसवीर बन गयी.

वीनस दे मीलो
यह 1820 में मेलोज के आइलैंड में पाया गया. ओलिवर वाउटियर नाम के फ्रेंच सैनिक जब आइलैंड पर ग्रीस के एंटिक वस्तुएं खोज रहे थे, तभी एक किसान को एक मूर्ति के कुछ टुकड़े मिले, जिसके भागों को जोड़ने पर एक महिला की मूरत बन गयी. मूर्ति के हाथ कटे हुए हैं और इसके निचले हिस्से पर चादर जैसी आकृति बनी हुई है. हालांकि इसके बनानेवाले का पता आज तक नहीं चल पाया है, पर कला प्रेमियों के लिए यह एक नायाब धरोहर है.

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