जल्द से जल्द फ्लाईओवर का काम पूरा करने की होड़ में हुई लापरवाही ने गुरुवार को दर्जनों लोगों की जान ले ली. फ्लाईओवर बनाने काे लेकर इस प्रकार की लापरवाही अब तक देखने को नहीं मिली है. आखिरकार किस बात की जल्दबाजी थी, यह वहां के लाेगों की समझ से परे है.
कोलकाता : कोलकाता में गुरुवार को गिरे फ्लाईओवर के मलबे को हटाने का काम आज भी जारी है. आशंका है कि अभी भी कई लोग इस मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं. हादसे में मृतकों की संख्या 24 हो गई है. एनडीआरएफ के डीजी ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि मलबे में जीवित लोगों के फंस होने की आशंका बहुत कम है.
एनडीआरएफ के डीआईजी ने कहा कि राहत बचाव कार्य अपने अंतिम पडाव पर है. अभी तक हमें आठ शव मिले हैं. उन्होंने कहा कि अब हम सिर्फ शवों को निकालने और मलबे को हटाने के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं.आज कोलकाता पुलिस की पांच सदस्यीय टीम हैदराबाद रवाना हो चुकी है. साथ ही पुलिस ने आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से पूछताछ भी की है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बुधवार की रात को ब्रिज के ऊपर कंक्रीट से ढलाई हुई थी. लेकिन ढलाई के बाद किसी प्रकार का सपाेर्ट नहीं दिया गया था. सपोर्ट नहीं होने की वजह से गुरुवार की दोपहर अचानक से ब्रिज का एक हिस्सा धराशायी हो गया.
गौरतलब है कि 31 मार्च 2016 को वित्तीय वर्ष समाप्त होनेवाला था, इसलिए राज्य सरकार जेएनएनयूआरएम योजना के तहत प्रोजेक्ट के कार्य को दिखा कर और फंड आवंटित कराना चाहती थी, जिसकी वजह से योजना पर कार्य तेजी से चल रहा था. लगभग दो महीने पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पाेस्ता में सभा की थी और उस सभा के दौरान ही उन्होंने चुनाव के पहले अर्थात मार्च महीने तक ब्रिज का काम पूरा करने का निर्देश दिया था. उन्होंने मंच से घोषणा की थी कि ब्रिज का 76 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और बाकी 24 प्रतिशत बहुत जल्द पूरा कर लिया जायेगा. हालांकि उन्होंने तो चुनाव के पहले इसे शुरू करने की बात कही थी और महानगर के लोगों को चुनाव का तोहफा देने का फैसला किया था.
वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान रखी गयी थी आधारशिला : लगभग सात वर्ष पहले 2009 में वाममोरचा कार्यकाल के दौरान इस ब्रिज के निर्माण के लिए आधारशिला रखी गयी थी, लेकिन काम में तेजी नयी सरकार आने के बाद दिखी. हालांकि इस फ्लाइओवर का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए आठ बार समय सीमा तय की गयी थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई. नवंबर महीने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे फरवरी में पूरा करने का निर्देश दिया था. विवेकानंद सेतू के निर्माण ढांचे को लेकर कई बार सवाल उठाये जा चुके हैं, कई बार फ्लाइओवर का काम बंद भी करना पड़ा. विशेषज्ञों का मानना है कि 2.2 किमी लंबे इस फ्लाइओवर के पोस्ता क्षेत्र में निर्माण कार्य में काफी दिक्कतें थी. लेकिन मुख्यमंत्री के पाेस्ता में हुई सभा में बाद फ्लाइओवर के निर्माण कार्य में तेजी देखने को मिली. फ्लाइओवर का निर्माण कार्य इतनी जल्दीबाजी में किया जा रहा था कि सुरक्षा पर ध्यान ही नहीं दिया गया.
ममता ने वाममोरचा सरकार को ठहराया जिम्मेदार
निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाइ आेवर गिरने की घटना के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछली वाममाेरचा सरकार को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया है. हादसे की खबर पा कर पश्चिम मेदिनीपुर में अपना चुनाव प्रचार अभियान बीच में छाेड़ कर वापस लौटीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है. उनका जीवन बहूमूल्य है. केंद्रीय व राज्य सरकार की इकाईयां एवं स्थानीय लोग मिल कर राहत व बचाव अभियान चला रहे हैं. यह घटना बेहद दर्दनाक है. राज्य सरकार मृतकों के परिजनों व घायलों के साथ है. सभी प्रकार की सहायता के लिए निर्देश दे दिया गया है. घटना की जांच के लिए आइआइटी खड़गपुर व यादवपुर विशेषज्ञों को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर मैं कोई राजनीतिक बयानबाजी करना नहीं चाहती हूं. इस फ्लाइआेवर के निर्माण करनेवाली संस्था को बख्शा नहीं जायेगा. यह एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी है. उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में इस फ्लाइआेवर को मंजूरी वाममोरचा सरकार के समय मिली थी आैर उसी समय इसका टेंडर पास किया गया था. सत्ता में आने के बाद हमें इस फ्लाइआेवर के बारे में काफी शिकायतें मिली. हम लोगों ने कई बार निर्माण संस्था से परियोजना के बारे में जानकारी मांगी, पर उन्होंने नहीं दी. इस घटना में निर्माण संस्था की गफलत साफ नजर आ रही है. इस घटना के लिए जो भी जिम्मेदार है, किसी को बख्शा नहीं जायेगा. प्रत्येक को गिरफ्तार कर सजा दी जायेगी.
उच्चस्तरीय कमेटी गठित
एक उच्चस्तरीय कमेटी इस बात का पता लगायेगी कि विवेकानंद फ्लाईआेवर गिरने की घटना का कारण क्या है ? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं इस कमेटी के गठन का एलान किया. इस उच्चस्तरीय कमेटी में मुख्य सचिव बासुदेव बनर्जी, गृह सचिव मलय कुमार दे, कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, पीडब्लूडी विभाग के प्रधान सचिव, डीजी (क्राइम) एवं डीजी (सीआइडी) को शामिल किया गया है. कमेटी में आइआइटी खड़गपुर व यादवपुर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है.
लोग अपनों की तलाश में रहे बेचैन
ओवरब्रिज हादसे के बाद पूरे बड़ाबाजार में हाहाकार की स्थिति रही. हमेशा व्यस्त रहनेवाली बड़ाबाजार की गलियों में गुरुवार दोपहर को अफरा-तफरी मची हुई थी. गणेश टॉकीज चौराहे की तरफ भागते हुए लोग अपनों की सलामती को लेकर बेचैन थे. बड़ाबाजार और आप-पास के इलाकों में रहनेवाले लोगों में दहशत व्याप्त था. जब तक सभी अपनों की सलामती की खबर नहीं मिली, तलाश करते इधर-उधर चीखते भागते रहे. लेकिन कुछ ऐसे भी रहे, जिनका अपना उस फ्लाइओवर के नीचे दब गये. गणेश टॉकीज चौराहे पर रहनेवाले रंजीत सहानी ने बताया : मेरा मकान दुर्घटना स्थल से मात्र 50 कदम दूर है. हम घर में सो रहे थे, तभी एक जोरदार आवाज हुई. बालकोनी से झांक कर देखा तो फ्लाइओवर नीचे टूट कर गिरा हुआ था. जानकारी मिली कि ओवर ब्रिज अपने आप गिर पड़ा है. घटना के बाद मैंने सबसे पहले अपने बेटे को फोन किया, जो बाजार करने के लिए बाहर गया हुआ था. उसकी सलामती की खबर पाकर जान में जान आयी.
कुछ लोग रहे किस्मत के धनी : इस हादसे में जहां दर्जनों की संख्या में गाड़ियाें की धज्जी उड़ गयी वहीं एक ऐसी भी गाड़ी थी जिसमें सवार ड्राईवर सिर्फ जख्मी होकर बच गया. यहीं के रहने वाले एक युवक ने बताया कि घटना के समय उसकी चाची वहीं खड़ी थी. जिसे उसने तत्काल ही स्थिति की नजाकत को देखते हुए खींच कर बचा लिया. इसके साथ ही आश्चर्यजनक रूप से फ्लाईओवर के नीचे के पुलिस कियोस्क में ड्यूटी पर तैनात पांच पुलिस कर्मी जीवित हैं, वहीं एक कांस्टेबल के हताहत होने की खबर है. व्यवसाय के सिलसिले में रोजाना घटना के वक्त आशुतोष सिंह पोस्ता के उसी दुर्घटना वाले चौराहे से गुजरते हैं. गुरुवार को भी वह वहां से दोपहर बाद गुजरते, लेकिन उनके वहां से गुजने से दो घंटे पहले उक्त दुर्घटना हो गयी.
भूकंप जैसे एहसास से निकल पड़ी चीख
दोपहर के तकरीबन 12 बज कर पांच मिनट घड़ी में हो रहे होंगे. घरवालों को खाना परोसने के लिए थोड़ी व्यस्त थी. तकरीबन दोपहर 12.20 के करीब अचानक एक जोरदार आवाज के साथ इमारत में तेज कंपन सी हुई, इसी समय अंदर रखी कुछ बर्तनें व सामान नीचे गिर पड़े. भूकंप जैसा एहसास दिलानेवाला यह कंपन इतना तेज था कि एक पल के लिए मौत का एहसास होकर जुबान से खुद व खुद तेज आवाज निकल पड़ी. भाग कर जान बचाने के लिए बाहर निकली तो देखा, सड़क पर लोग इधर उधर भाग रहे थे. नीचे फ्लाइओवर ब्रिज का एक हिस्सा गिरा हुआ था. धुएं से सड़क नहीं दिख रही थी, चारों तरफ सिर्फ शोर और शोर. नीचे लोग शोर मचा कर मदद मांग रहे थे. उस समय घटनास्थल पर राहत व बचाव कार्य के लिए गिन कर सिर्फ 30 से 35 पुलिसवाले व स्थानीय लोग होंगे. समय के साथ धीरे-धीरे पुलिस व अन्य राहत व बचाव की टीम वहां पहुंची. घटनास्थल के पास मकान में रहनेवाली एक महिला ने बताया. घटना के बाद आस पास के दर्जनों मकान खाली हो गये. घटना के बाद भूकंप आने का हल्ला होने लगा. लोग घरों से निकल कर भागने लगे. हालात ऐसे हो गये कि हर कोई अपनी जान बचाने के लिए सब कुछ भूल गया. लोगों की चीख पुकार के साथ ऐसा माहौल पैदा हो गया कि वहां पर कोई बम फटा हो. वहीं कुछ लोगों ने बड़े साहस के साथ काम किया. घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए जमकर पसीने बहाये.
न भूल पायेंगे यह दर्द…
वह विध्वंसकारी दृश्य कभी नहीं भुलाया जा सकता. 12.10 में मैंने अपने सामने सैकड़ों लोगों को जमींदोज होते हुए मैंने देखा. पुल के गिरते ही चारों ओर सिर्फ चीख पुकार ही मची थी. लोग जान बचा कर भाग रहे थे. चारों ओर धूल ही धूल था. थोड़ी देर तक तो किसी को कुछ दिखाई ही नहीं दिया. मैंने जब आंख खोली तो रक्तरंजित अवस्था में सामने एक व्यक्ति का सिर्फ पैर ही दिखायी दिया. राहत कार्य में भाग ले रहे स्थानीय व्यक्ति मुकुल माली ने कहा.
अस्पताल में परिजन को देखने जा रहे दंपती की दब कर मौत
मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी में भर्ती अपने एक परिजन को देखने के लिए जा रहे अजय केंदोई व सीता केंदोई की मौत भी ब्रिज के नीचे दब कर हो गयी. इस आशय की जानकारी अंकित केंदोई ने दी. अंकित हाथ में उस दंपती का फोटो लिये घूम रहा था.
कोचिंग चली जाती प्रिया तो शायद बच जाती!
कहते हैं जब मौत आती है तो कोई न कोई बहाना आ ही जाता है. ऐसा ही घटनास्थल के पास वाले मकान में रहनेवाली कक्षा दस की छात्रा प्रिया के साथ हुआ. प्रिया रोज अपने भाई के साथ कोचिंग जाती थी, लेकिन गुरुवार को वह कोचिंग नहीं गयी. उसके भाई ने कई बार उसे कोचिंग जाने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं मानी. मलबे में दब कर मरी प्रिया के परिजनों और आसपास के लोगों के अनुसार प्रिया अपने घर के सामनेवाले मकान में रहनेवाली अपनी दोस्त के घर जा रही थी. जाते समय वह हादसे की शिकार हो गयी. वह न तो अपनी घर वापस आ सकी और न ही अपनी दोस्त से मिल सकी. परिवार में कोहराम मचा हुआ है. सब रो-रो कर कह रहे हैं शायद वह कोचिंग चली जाती तो बच जाती.
मेट्रो स्टेशन पर ही बेहोश हो गयी मां :विवेकानंद रोड में फ्लाइओवर दुर्घटना मारे गये अपने बेटे की खबर लगते ही काली मंदिर से लौट रही एक महिला एसप्लानेड मेट्रो स्टेशन पर बेहोश होकर गिर पड़ी. बेहोश महिला को पुलिस कर्मियों ने पास के एक निजी अस्पताल में भरती कराया.
सेना ने संभाली कमान
गुरुवार दोपहर निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाईआेवर टूट कर गिर जाने की घटना में राहत व बचाव अभियान की कमान सेना और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) ने संभाल ली. हादसे ही खबर पाते ही दुर्घटनास्थल से थोड़ी देर पर स्थित सीआरपीएफ कैंप से 167 वें बटालियन फौरन पहुंच गयी थी. इसके बाद केंद्रीय बल की तीन आैर कंपनियां घटनास्थल पर पहुंच कर राहत व बचाव कार्य में जुट गयीं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने सेना से मदद का आह्वान किया, जिसके बाद लगभग पौने तीन बजे फोर्ट विलियम स्थित सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय से सेना की एक टुकड़ी पहुंची, जिसमें 300 सैनिक व अधिकारी शामिल थे. इस टीम में शामिल सेना के इंजीनियर क्रेन, पानी के टैंकर, गैस कटर व विशेष उपकरण के साथ फौरन दुर्घटनास्थल पर पहुंचे आैर मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया था. इसके साथ ही सेना ने चिकित्सों व एंबुलेंस से लैस मेडिकल टीम भी घटनास्थल पर भेज दी थी. बंगाल एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल राजीव तिवारी स्वयं राहत व बचाव कार्य की निगरानी कर रहे थे. दूसरी तरफ से एनडीआरएफ की सात टीमें भी दुर्घटनास्थल पर पहुंच गयी थीं, प्रत्येक टीम में 45 सदस्य थे. इनमें से दो टीम एनडीअारएफ के राजारहाट कैंपस और बाकी टीम हरिणघाटा कैंपस से आयी थी. सेना और एनडीआरएफ की टीमों ने दुर्घटनास्थल पर पहुंच कर राहत व बचाव कार्य पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया. उनकी विशेषज्ञता व महारत के चलते मलबे को हटाने के काम में तेजी आ गयी आैर कई लोगों को मलबे से जिंदा निकालने में भी कामयाबी हासिल हुई.
गृहमंत्री ने दियानिर्देश
मलबे में फंसे लोगों को बचाने में जान लगा दें जवान
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एनडीआरएफ को निर्देश दिया कि वह कोलकाता में ध्वस्त हुए निर्माणाधीन फ्लाईओवर के मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए पूरी जी जान से जुट जाएं. गृह मंत्री ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक ओपी सिंह से कहा है कि पर्याप्त संख्या में राहत कर्मियों को भेजा जायें, ताकि सभी फंसे लोगों को बचाया जा सके. राजनाथ सिंह इस समय पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए राज्य के दौरे पर हैं.
सेना के जवानों को देख कर लोगों ने जाहिर की खुशी : राहत कार्य के लंबे चले सिलसिले के बाद जब शाम को सेना के जवान घटनस्थल पर दौड़ते हुए पहुंचे तो लोगों के चेहरों पर खुशियां थिरक आयीं. लोगों ने भारत माता की जय …. के नारे भी लगाये. लोगों ने आशा जतायी कि अब निश्चित ही कम समय में विकट स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा.
बिटिया के कन्यादान की आस रह गयी अधूरी
उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी शंकर पासवान (54) बड़ाबाजार के पोस्ता मार्केट में पिछले तीन सालों से मोटिया का काम करके अपने परिवार का पेट चला रहे थे. होली की छुट्टियों में जब सभी दोस्त-यार गांव गये तो उन्होंने सोचा कि छुट्टियों में कुछ कमा लूं, उसके बाद एक ही बार बेटी का कन्यादान करने उसके ब्याह में गांव जाऊंगा, लेकिन शायद भगवान को यह मंजूर नहीं था, क्योंकि गुरुवार को पोस्ता में हुए ओवरब्रिज दुर्घटना में उनकी मौत ब्रिज के नीचे दबने से हो गयी. पोस्ता में ही मोटिया का काम करके अपना पेट पालनेवाले भोलू सोनकर ने बताया : सुबह श्रीराम मॉर्केट में माल पहुंचाने के बाद गणेश टॉकीज के पास चौराहे के पास सत्तू खा रहा था, तभी एक जोरदार आवाज हुई. पहले तो लगा कि कहीं बमबाजी हुई, लेकिन जब हम दौड़ते हुए घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर होश उड़ गये. पूरा का पूरा ओवरब्रिज ही सड़क पर आ गिरा था. चारों तरफ चीख पुकार मची हुई थी. उसी के नीचे मेरे साथी शंकर पासवान भी दबे हुए थे. नजरों के सामने ब्रिज के मलबे के नीचे उसे दम तोड़ते देखा. हम उसे बचा न सके. हम चीखते रहे, लेकिन बगैर क्रेन के उन्हें निकालना संभव नहीं था. लोगों का कहना था कि शंकर ने कहा था कि होली की छुट्टियों में इसलिए अपने गांव नहीं गया कि बेटी के ब्याह के लिए कुछ कमा लूंगा. यदि इस दौरान यहां रहा तो कुछ आमदनी हो जायेगी, जो बिटिया के ब्याह में काम आयेगा. लोगों का आरोप था कि घटना के काफी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची.
रैली छोड़ घटनास्थल पर पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी
हावड़ा. उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी संतोष पाठक की रैली गुरुवार सुबह वार्ड नंबर 13 के घास बागान इलाके से निकली लेकिन इसके पहले रैली अपने समय पर खत्म होती, कोलकाता के गणेश टॉकीज के पास पुल ढहने की घटना को लेकर रैली को समय से पहले ही समाप्त कर दिया गया. यहां से श्री पाठक सीधे घटनास्थल के लिए ही रवाना हो गये. इसके पहले रैली रोजमेरी लेन, किंग्स रोड, पिलखाना व अन्य जगहों से होकर गुजरी. रैली को हरद्त राय चमारिया रोड पर समाप्त होना था लेकिन पुल ढहने की घटना को लेकर रैली को बीच में ही समाप्त कर दिया गया. डेढ़ घंटे तक चली इस रैली में श्री पाठक ने मतदाताओं का अभिवादन स्वीकारते हुए उन्हें भारी मतों से जिताने की अपील की.