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पड़ोसी के रूप में भारत को दूर रखना चाहता है चीन : सर्वे

बीजिंग : यदि चीन का नए सिरे से नक्शा बनाने में ‘‘भगवान की भूमिका’ निभाने का मौका मिले तो अधिकतर चीनी भारत और जापान सहित कई उन पड़ोसी देशों को अपनी सीमा से दूर करना चाहेंगे जिन देशों के उसके क्षेत्रीय विवाद हैं और इनके बदले पड़ोसी देशों के रूप में पाकिस्तान और नेपाल को […]

बीजिंग : यदि चीन का नए सिरे से नक्शा बनाने में ‘‘भगवान की भूमिका’ निभाने का मौका मिले तो अधिकतर चीनी भारत और जापान सहित कई उन पड़ोसी देशों को अपनी सीमा से दूर करना चाहेंगे जिन देशों के उसके क्षेत्रीय विवाद हैं और इनके बदले पड़ोसी देशों के रूप में पाकिस्तान और नेपाल को प्राथमिकता देंगे. चीन में एक सर्वेक्षण करके यह पता लगाने की कोशिश की गई कि यदि चीन के लोगों को अपने पड़ोसियों का चयन करने और चीन की सीमा से सटे देशों में फेरबदल करने में ‘‘भगवान की भूमिका’ निभाने का मौका मिलता है तो उनके क्या विचार होंगे. इस सर्वेक्षण में सर्वाधिक कुल 13,196 लोगों ने कहा कि वे जापान को दूर करना चाहेंगे.

सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के चीनी संस्करण द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में दो लाख से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने भाग लिया. समाचार पत्र में आज छपे परिणाम के अनुसार चीन के लोगों ने जिन अन्य देशों को दूरकरने के लिए वोट दिया, उनमें फिलीपीन-11,671, वियतनाम- 11,620, उत्तर कोरिया-11,024, भारत-10,416, अफगानिस्तान 8,506, और इंडोनेशिया-8,167 शामिल हैं. चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि ऐतिहासिक विवाद और दूसरे विश्व युद्ध में जापानी बलों की ज्यादतियों की याद अब भी चीनी लोगों के दिमाग में ताजा हैं और इसी लिए उन्होंने जापान को दूर करने की इच्छा जताई होगी. चीन द्वारा अलगाववादी समझे जाने वाले दलाई लामा एवं उनके सहयोगियों को ‘‘सुरक्षा’ प्रदान करने के कारण चीन के लोगों ने भारत से दूर जाने के लिए वोट किया होगा.

साउथवेस्ट यूनीवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ में एकेडमी ऑफ द वर्ल्ड एंड चाइना एजेंडाज के उपनिदेशक सुन जिझोउ ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा कि चीन और भारत के बीच 1,20,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि को लेकर विवाद है और दोनों के बीच अभी तक इसे सुलझाने के लिए संधि नहीं हुई है. भारत और चीन के बीच 3,448 किलोमीटर की विवादित सीमा है. चीन का दावा है कि अरणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. हालांकि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए भारत और चीन की पहलों से चीनी लोगों की विचारधारा पर कुछ प्रभाव पडा है.

अपेक्षा के अनुरुप अधिकतर लोगों ने पाकिस्तान को अपना पडोसी बनाए रखने की इच्छा जताई. पाकिस्तान को चीनी नेता और मीडिया मित्र देश बताते हैं. रिपोर्ट में कहा गया हैकि नेट उपयोगकर्ताओं ने अपने वोट के जरिए चीन और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों को दर्शाया. देश में 11,831 लोगों ने पाकिस्तान को ‘‘पड़ोसी बनाए रखने’ की इच्छा व्यक्त की. नेपाल के साथ तेजी से सुधरते संबंधों के मद्देनजर चीनी लोग उसे भी अपना पडोसी बनाए रखना चाहता हैं. समाचार पत्र ने नए पडोसियों के वर्ग में मतदाताओं से 36 देशों में से विकल्प चुनने को कहा. स्वीडन को 9,776 वोट मिले. इसके अलावा चीनी लोग जिन छह अन्य देशों को निकट लाना चाहते हैं, उनमें न्यूजीलैंड, जर्मनी, मालदीव, सिंगापुर, नार्वे और थाईलैंड शामिल है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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