बीजिंग : चीन में मृत्युदंड पाने वाले कैदियों के शरीर के अंगों के इस्तेमाल पर इस साल की शुरुआत में प्रतिबंध लगाये जाने के बाद अंगदान और अंग प्रत्यारोपणों की संख्या रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है. इस प्रतिबंध के बाद चीन ने नागरिकों की ओर से स्वैच्छिक अंगदान को एकमात्र वैध तरीका बना दिया था. बीजिंग यूथ डेली ने राष्ट्रीय मानव अंगदान एवं प्रत्यारोपण समिति के हवाले से कहा, ‘अक्तूबर की शुरुआत तक दो हजार से ज्यादा दानदाताओं द्वारा छह हजार से ज्यादा अंग दान में दिए जा चुके हैं. जनवरी में लगाये गये प्रतिबंध के बाद से अंगों की कमी के बारे में चिंताएं बढ गयी थीं और दान में मिले अंगों की संख्या उसके बाद से रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है.’
उन्होंने कहा कि अगले साल 300 से ज्यादा अस्पताल अंग प्रत्यारोपण के लिए योग्य हो जाएंगे और 500 से ज्यादा युवा डॉक्टरों को अंगदान एवं प्रत्यारोपण की प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने 22 अगस्त को एक खबर में बताया था कि वर्ष 2014 में चीनी नागरिकों की ओर से स्वेच्छा से किये जाने वाले अंगदान प्रत्यारोपण कि लिए इस्तेमाल होने वाले अंगों का सबसे बडा स्रोत बन गये थे. इनकी संख्या दान में मिले सभी अंगों का 80 प्रतिशत थी.
अप्रैल में इसने अपनी खबर में कहा था कि हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि आम तौर पर लोग इस बात को लेकर ‘अनिश्चित’ थे कि वे अंग दान करना चाहते हैं या नहीं. ऐसा इसलिए था क्योंकि वे इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं थे कि ‘उनके अंगों के साथ निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से काम किया जाएगा या नहीं.’
पेकिंग विश्वविद्यालय के अंग प्रत्यारोपण केंद्र के निदेशक झू जिये ने ग्लोबल टाईम्स को बताया कि शवों को संरक्षित करने से जुडे पारंपरिक विश्वासों के चलते भी अंगदान कर सकने वाले लोग झिझक महसूस कर सकते हैं. झू ने सलाह दी कि लोगों को अंगदान को एक तरह से अपना जीवन जारी रखने के रूप में देखना चाहिए. पहले मौत की सजा पाने वाले कैदियों के अंगों का इस्तेमाल करने वाले चीन ने वर्ष 2010 में ऐच्छिक अंगदान प्रायोगिक कार्यक्रम शुरू किया था.
इसके बाद वर्ष 2013 में उसने इसे देशभर में बढावा देना शुरू किया. राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन आयोग द्वारा वर्ष 2013 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में सर्वाधिक अंगदान के मामले में चीन विश्व का दूसरा सबसे बडा देश है.

