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पैसे के बल पर भाजपा झामुमो लोकतंत्र के डॉन

रांची : झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं. उन्हें भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस-झामुमो जैसी पार्टियों से टकराना है. झाविमो को साख बचाने की चुनौती है. बाबूलाल मरांडी पार्टी के स्टार प्रचार रहे हैं. खुद दो विधानसभा राजधनवार और गिरिडीह से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव को […]

रांची : झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं. उन्हें भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस-झामुमो जैसी पार्टियों से टकराना है. झाविमो को साख बचाने की चुनौती है. बाबूलाल मरांडी पार्टी के स्टार प्रचार रहे हैं. खुद दो विधानसभा राजधनवार और गिरिडीह से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव को लेकर रात-दिन की व्यस्तता है. हर दिन हेलीकॉप्टर से दौरा कर रहे हैं. पार्टी प्रत्याशियों का मनोबल बढ़ाने पहुंच रहे हैं. प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने बाबूलाल से चुनावी हालात पर लंबी बातचीत की.

विधानसभा चुनाव में पार्टी की क्या संभावना देखते हैं.

जवाब: हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहे हैं. परिणाम अच्छे रहेंगे. शुरू के दिनों में बहुत तरह की बात कही जा रही थी. लेकिन यह मिथक टूट गया. हम पहले से और मजबूत हुए हैं. जनता का विश्वास हम पर कायम है.

भाजपा को मोदी पर भरोसा है, लोकसभा में मोदी की लहर रही. फिलहाल क्या चुनौती महसूस कर रह है.

जवाब : मैं मोदी पर विशेष कुछ नहीं कहना चाहता हूं. राज्य की जनता सब देख रही है. मैं अपना कार्यक्रम लेकर जनता के बीच पहुंच रहा हूं. मैं तो राज्य की जनता से बस इतना ही कहता हूं कि लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा, उसे याद कर लीजिए. मोदी जी ने कहा था कि काला धन लायेंगे. इतने पैसे आयेंगे कि सबके खाते में 15 से 20 लाख चले जायेंगे. पांच महीने हो गये. अब मोदी कहते हैं कि नाम सार्वजनिक करने में कानूनी अड़चन है. कभी आलू 35-40 नहीं बिका. आज आलू के दाम बढ़े हैं. सांसदों द्वारा एक -एक गांव लेने से सभी गांवों का विकास नहीं हो सकता.

दलबदल की आंधी ने झाविमो को कमजोर किया है.

जवाब : राज्य में भाजपा और झामुमो पैसे के बल पर लोकतंत्र के डॉन बन गये हैं. इनकी जमीन पर कोई ताकत नहीं है, लेकिन संसाधन झोंके जा रहे हैं. पानी की तरह पैसा चुनाव में बहाया जा रहा है. पैसे के बल पर रेडियो-टीवी, होर्डिंग से लेकर दीवार तक खरीद लिये गये. दूसरे दलों को एक-दो होर्डिंग नहीं मिल रहे. मैं जनता के बीच खाली हाथ जा रहा हूं. हमारे पास पैसे नहीं हैं. जनता का साथ है, लेकिन संसाधन नहीं है.

आपके विधायक क्यों टूटे?

जवाब : स्वाभाविक रूप से दु:ख होता है. मैंने किसी को कभी डांटा नहीं, कभी गलत राजनीतिक व्यवहार नहीं किया. मैं अकेले में सोचता हूं, आखिर ऐसा क्यों हुआ. मुझे लगता है कि मेरे पास पैसा नहीं था. वे पैसेवालों के पास चले गये. राज्य की जनता इसका सही समय पर जवाब देगी.

कितनी सीटों की उम्मीद करते हैं.

जवाब : मैं भविष्य वक्ता नहीं हूं. ऐसी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता. मैं अपने काम पर लगा हूं. जनता का विश्वास हासिल करने की कोशिश कर रहा हूं.

गंठबंधन की परिस्थितियां बनती है, तो भाजपा के साथ जायेंगे या कांग्रेस के साथ

जवाब : इसका जवाब देने के लिए यह सही वक्त नहीं है. मैं बहुमत के लिए जनता के बीच घूम रहा हूं.

सवाल : पार्टी में आत्म विश्वास की कमी है क्या, आप खुद ही दो जगहों से चुनाव लड़ रहे.

जवाब : ऐसा नहीं है. राजधनवार और गिरिडीह के लोगों का आग्रह था कि मैं चुनाव लड़ूं. दोनों ही जगह से मेरा आत्मीय संबंध रहा है. घर का मामला है. इसमें कोई विशेष बात नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि मैं कोई अकेला हूं, जो पहली दफा दो जगहों से चुनाव लड़ रहा हूं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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