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लालू थे झाविमो के साथ कांग्रेसियों ने किया विरोध

गंठबंधन के पेच – बाबूलाल ने लालू और अहमद पटेल से की थी बात – राजद ने दिया था प्रस्ताव रांची : झाविमो ने कांग्रेस के साथ यूपीए में गंठबंधन का खाका तैयार करने के लिए पूरा जोर लगाया था. झाविमो को झामुमो के साथ कांग्रेस के बात बिगड़ने का इंतजार था. इसके बाद गंठबंधन […]

गंठबंधन के पेच

– बाबूलाल ने लालू और अहमद पटेल से की थी बात

– राजद ने दिया था प्रस्ताव

रांची : झाविमो ने कांग्रेस के साथ यूपीए में गंठबंधन का खाका तैयार करने के लिए पूरा जोर लगाया था. झाविमो को झामुमो के साथ कांग्रेस के बात बिगड़ने का इंतजार था. इसके बाद गंठबंधन के लिए झाविमो नेताओं ने बहुत हाथ पैर मारा. प्रदीप यादव और प्रवीण सिंह कांग्रेस नेताओं को समझाने का प्रयास किया.

झाविमो ने 32 सीटों पर दावेदारी के बाद भी एक-दो सीट पर पीछे हटने के लिए तैयार थे. झामुमो के साथ रोड़ा अटकने के बाद राजद भी सक्रिय हुआ. राजद की कोशिश थी कि बाबूलाल मरांडी को प्रोजेक्ट कर भाजपा के रथ को रोका जाये.

राजद के सांसद प्रेमचंद गुप्ता और प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने इसको लेकर कांग्रेस को प्रस्ताव भी दिया. लालू प्रसाद से मिलने झाविमो के नेता पहुंचे थे. लालू प्रसाद से बाबूलाल मरांडी ने बात भी की थी. वहीं कांग्रेस के नेता अहमद पटेल से भी बात हुई थी.

झामुमो की कीमत पर झाविमो से रिश्ता को तैयार नहीं

दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में कांग्रेस, झाविमो और राजद के नेताओं की बैठक हुई थी. कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, राजद की ओर से प्रेमचंद गुप्ता, गिरिनाथ सिंह और झाविमो की ओर से प्रदीप-प्रवीण शामिल थे. एक-एक सीट पर बात हुई थी.

झाविमो अपनी सीटिंग सीट गढ़वा-बाघमारा छोड़ने के लिए तैयार था. झाविमो का कहना था कि हम कुछ सीटों पर कांग्रेस से बात कर छोड़ने का प्रयास आगे भी करेंगे. लेकिन कांग्रेस के कई नेता झामुमो के साथ रिश्ता तोड़ कर बाबूलाल के साथ नहीं जाना चाहते थे. सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव जैसे नेता तैयार नहीं थे. कांग्रेस के कुछ नेता झामुमो से रिश्ता तोड़ कर झाविमो से दोस्ती करने के पक्ष में नहीं थे.

विकल्प को लेकर पिछले कई दिनों से राजद था सक्रिय

राजद को आशंका थी कि कांग्रेस-झामुमो की दावेदारी में मामला फंस सकता है. झाविमो के प्रदीप यादव ने पहले ही लालू प्रसाद से मिल कर वैकल्पिक गंठबंधन पर विचार करने को कहा था. इसके बाद प्रदेश राजद के नेताओं ने भी झाविमो से बात बढ़ायी थी. झाविमो को भरोसा था कि राजद के हस्तक्षेप के बाद नये गंठबंधन का खाका तैयार हो सकता है. लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तब तक अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया था.

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