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भारतीयों के लिए भूटान की सैर अब आसान क्यों नहीं रही

<figure> <img alt="भूटान नरेश और भारत के प्रधानमंत्री" src="https://c.files.bbci.co.uk/13A24/production/_110802408_62a913df-dd6d-4387-8cf9-b44d9c5d4504.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भूटान अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती, शांत वातावरण और सस्ता देश होने के कारण पर्यटकों की पसंदीदा जगह रहा है. </p><p>यहां पर पूरी दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं जिनमें सबसे ज़्यादा पर्यटक भारत से होते हैं.</p><p>भारत और भूटान के […]

<figure> <img alt="भूटान नरेश और भारत के प्रधानमंत्री" src="https://c.files.bbci.co.uk/13A24/production/_110802408_62a913df-dd6d-4387-8cf9-b44d9c5d4504.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भूटान अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती, शांत वातावरण और सस्ता देश होने के कारण पर्यटकों की पसंदीदा जगह रहा है. </p><p>यहां पर पूरी दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं जिनमें सबसे ज़्यादा पर्यटक भारत से होते हैं.</p><p>भारत और भूटान के बीच खुली सीमा है और अब तक दोनों देशों के बीच आने-जाने पर कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता था लेकिन अब भूटान ने नियमों में बदलाव किया है. </p><p>नए नियमों के मुताबिक़, जुलाई 2020 से भारतीय पर्यटकों को भूटान जाने के लिए हर रोज़ के हिसाब से 1200 रुपये प्रवेश शुल्क देना होगा. </p><p>भारत के अलावा बांग्लादेश और मालदीव के पर्यटकों को भी यह शुल्क देना होगा. इसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस का नाम दिया गया है.</p><figure> <img alt="भूटान" src="https://c.files.bbci.co.uk/C133/production/_110795494_7dd91aae-0610-44ba-b547-89d7fb45a9dc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भूटान की संसद ने चार फ़रवरी को इस शुल्क को लगाने के लिए टूरिज़्म लेवी एंड एग्ज़म्पशन बिल ऑफ़ भूटान, 2020 बिल को मंज़ूरी दी है. </p><p>इस बिल के मुताबिक़, 18 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए 1200 रुपये प्रति दिन, छह से 12 साल के बच्चों के लिए 600 रुपये प्रति दिन की फ़ीस तय की गई है. </p><p>भूटान सरकार का कहना है कि देश के ऊपर पर्यटकों के बोझ को नियंत्रित करने के लिए फ़ीस वसूलने का फ़ैसला लिया गया है. </p><p>हालांकि, अन्य देशों के लिए ये शुल्क अलग है. उन्हें भूटान यात्रा के लिए क़रीब 65 डॉलर (लगभग 4627 रुपये) सस्टेनेबल डेवलपमेंट फ़ीस देनी है. साथ ही 250 डॉलर (लगभग 17,798 रुपये) फ़्लैट कवर चार्ज भी देना होगा. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49384141?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भूटान के साथ रिश्ते को भारत इतना तवज्जो क्यों देता है</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46087796?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सबसे ख़ुशहाल देश भूटान में क्यों बढ़ रहा अवसाद और ख़ुदकुशी </a></li> </ul><figure> <img alt="भूटान" src="https://c.files.bbci.co.uk/7313/production/_110795492_7ec9a2aa-9809-4226-addc-550183773629.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>भारत से सबसे ज़्यादा पर्यटक</h1><p>भारतीय नागरिकों के भूटान जाने के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं होती. वो दो वैध दस्तावेज़ लेकर जा सकते हैं. इनमें भारतीय पासपोर्ट ले जा सकते हैं जो कम से कम 6 महीने के लिए वैध हो और वोटर आईडी कार्ड भी मान्य होता है. </p><p><a href="https://www.tourism.gov.bt/uploads/attachment_files/tcb_xx8r_BTM%202018%20_final.pdf">साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक</a>़ भूटान में 274,097 पर्यटक आए थे. इनमें साल 2017 के मुक़ाबले 7.61 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. </p><p>कुल पर्यटकों में भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या सबसे ज़्यादा थी. भारत से 191,896 पर्यटक भूटान गए थे. इसके बाद अमरीका से 10,561 और फिर बांग्लादेश से 10,450 पर्यटक भूटान गए थे. </p><p>भारत और भूटान के बेहद नज़दीकी संबंध रहे हैं. भारत ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिये 4500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का ऐलान किया है. दोनों देशों के बीच खुली सीमा है और चीन से सीमा लगने के कारण भूटान भी भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है. </p><p>ऐसे में भूटान को भारत के पर्यटकों पर ये प्रवेश शुल्क लगाने की ज़रूरत क्यों पड़ी और इसका आगे क्या असर होगा. </p><figure> <img alt="भूटान" src="https://c.files.bbci.co.uk/10E0/production/_110802340_gettyimages-1023605234.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>पर्यावरण की चिंता </h1><p>दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर साउथ एशियन स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर संजय भारद्वाज इसके दो कारण बताते हैं. </p><p>संजय भारद्वाज कहते हैं, ”भूटान की चिंता है वहां का पर्यावरण. वह अपने पर्यावरण को लेकर बेहद संवेदनशील है. भूटान कहता है कि हमारा जीवन और ख़ुशी पर्यावरण से जुड़े हुए हैं. हमारा आधारभूत ढांचा ज़रूरत से ज़्यादा पर्यटकों को वहन नहीं कर सकता. साथ ही कई पर्यटकों की कचरा फैलाने की आदत भी भूटान में पर्यावरण के लिए ख़तरा पैदा कर देती है.”</p><p>”इस नए शुल्क से पहले बीबीआईएम समझौते में भी ये बात देखने को मिली थी. तब भूटान ने कहा था कि अगर हम सभी देशों के वाहनों को आने की अनुमति देंगे तो उसका हमारे पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने बीबीआईएम पर हस्ताक्षर नहीं किया था.” </p><p>बीबीआईएम की नींव 2014 के सार्क सम्मेलन से पड़ी थी. भारत ने बीते सालों में ट्रांज़िट और कनेक्टिविटी की नीति के तहत उप-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया है. साल 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सार्क देशों के बीच मोटर वाहन समझौते को आगे बढ़ाएंगे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-49976170?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भूटान में क्या मच्छर मारना भी पाप है? </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40952596?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत-भूटान में ऐसा क्या है जो चीन को खटकता है? </a></li> </ul><p>लेकिन, जब सार्क में शामिल देशों के साथ ये समझौता नहीं हो पाया तो भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश ने इसे आगे बढ़ाया. इसलिए इसका नाम बीबीआईएम मोटर वाहन समझौता पड़ा.</p><p>इस समझौते के तहत इसमें शामिल देश ट्रकों तथा अन्य कमर्शियल वाहनों को एक-दूसरे के राजमार्गों पर चलने की इजाज़त देते हैं. साथ ही इसमें शामिल देश एक-दूसरे के यहां अपनी पहुंच को सुगम बनाते हैं.</p><p>प्रोफ़ेसर संजय भारद्वाज बताते हैं, ”आगे चलकर भूटान इस समझौते में शामिल नहीं हुआ. 2016 में भारत, नेपाल और बांग्लादेश ने ही इस पर हस्ताक्षर किए. तब भूटान के पीछे हटने का कारण पर्यावरण को लेकर उसकी चिंता ही थी. वह अपने यहां वाहनों की आवाजाही को नहीं बढ़ाना चाहता था. इसी कड़ी में ही प्रवेश शुल्क भी लगाया गया है क्योंकि बहुत से पर्यटक वहां कूड़ा-कचरा फैलाते हैं और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाते हैं. मेरी भूटान के अधिकारियों से बात हुई थी उन्होंने भी पर्यावरण के मसले को वरीयता देने की बात कही थी.” </p><figure> <img alt="भूटान" src="https://c.files.bbci.co.uk/5F00/production/_110802342_gettyimages-469694996.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>बंद से खुले समाज की तरफ </strong><strong>क़दम </strong></p><p>दूसरे कारण को लेकर प्रोफ़ेसर संजय भारद्वाज कहते हैं कि भूटान का समाज 1960 तक एक बंद समाज था यानी उसका बाहरी दुनिया से बहुत कम संपर्क रहा. उनकी टीवी और इंटरनेट से भी दूरी बनी हुई थी. लेकिन, बाद में जब ये सर्वावाइल के लिए ज़रूरी हो गया तो उन्होंने धीरे-धीरे अपनी समाज और अर्थव्यवस्था को खोलना शुरू किया, वो भी ख़ासतौर पर भारत के साथ. </p><p>प्रोफ़ेसर भारद्वाज का कहना है कि अब भी शासन चलाने वालों के दिमाग में है कि बाहर की दुनिया से कम से कम संबंध रखें. वो आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच संतुलन रखना चाहते हैं. वो बौद्ध दर्शन के अनुसार काम करते हैं. उनका महायान दर्शन मध्यममार्ग की बात करता है. जैसे कि अगर कोई टकराव भी है तो वो शांति से बातचीत से हल किया जाए. </p><p>विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि क्योंकि भूटान की सीमा भारत के राज्य असम से मिलती है तो एक चलन ये भी है कि असम के लोग सस्ते पेट्रोल-डीज़ल और अन्य सामान भूटान से ख़रीद लेते हैं. भूटान एक कम विकसित देश है इसलिए उसके सामानों पर बहुत कम शुल्क लगाया जाता है इसलिए वहां सामान सस्ता मिलता है. इस कारण भी पर्यटकों की संख्या को सीमित करने की कोशिश की है. </p><figure> <img alt="भूटान और भारत के प्रधानमंत्री" src="https://c.files.bbci.co.uk/1598B/production/_110795488_841df78c-20d4-4106-b688-68d6935f5ffe.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>भारत और भूटान के संबंधों पर असर </h1><p>भारत में भूटान से आने वाले लोगों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है. लेकिन, अब भूटान ने शुल्क लगाया है तो क्या इसका कोई असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा. </p><p>प्रोफ़ेसर संजय भारद्वाज का कहना है कि दोनों देशों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भूटान को भारत से आर्थिक सहयोग मिलता है और दोनों देशों के हित अलग तरह के हैं. 2018 से 2022 की पंचवर्षीय योजना के लिए भारत ने ही बजट दिया है. वहां के सिस्टम का प्रबंधन ही भारत करता है लेकिन ये सब सरकार से सरकार के बीच चलता है. भूटान का मक़सद लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करना है इसलिए इसका दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों से कोई संबंध नहीं है. </p><h1>अर्थव्यवस्था पर असर </h1><p>पर्यटन भूटान सरकार के राजस्व का बहुत बड़ा स्रोत है. नए शुल्क के बाद पर्यटकों की संख्या कम होने का अनुमान है. इसका कितना असर भूटान की अर्थव्यवस्था पर हो सकता है. </p><p>रक्षा और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफ़ेसर एसडी मुनी कहते हैं कि इससे भूटान सरकार की कमाई कम होने की बजाए बढ़ सकती है बल्कि सरकार की कमाई बढ़ाना ही इस फ़ैसले का मुख्य कारण है. </p><p>प्रोफ़ेसर एसडी मुनी ने बताया, ”इसकी शुरुआत पिछले महीने आए भूटान के बजट से हुई है. तब ये प्रस्तावित किया गया था कि पर्यटकों के ऊपर सस्टेनेबल टैक्स लगाया जाएगा. सस्टेनेबल टैक्स उनके पर्यटन विभाग का एक हिस्सा है.” </p><p>”1974 में भूटान ये प्रतिबद्धता जताई थी कि वो हाई वैल्यू, लो वॉल्यूम (ज़्यादा गुणवत्ता, कम संख्या) का पर्यटन करेंगे ताकि उनके पर्यावरण को विदेशियों के आने से कोई नुक़सान न हो. तब से ये नीति चली आ रही है. अब तक ये पश्चिमी देशों के लिए थी और अब इसे क्षेत्रीय पर्यटन (रीज़नल टूरिज़्म) पर भी लागू कर दिया गया है. साथ ही इस शुल्क से सरकार के पास पैसे भी आएंगे. हाइड्रोपावर के बाद टूरिज़्म राजस्व का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है. पर्यटक कम हो जाएंगे लेकिन उनसे मिलने वाला शुल्क उस नुक़सान से ज़्यादा होगा.”</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong> </strong><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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