<figure> <img alt="एनआरसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/110F0/production/_110227896_27e30da3-7b45-4f64-a4ed-72c37d7069f0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Newspaper clip</footer> </figure><p><strong>स्थानः रांची</strong></p><p><strong>तारीख़ः 18 दिसंबर 2019</strong></p><p>गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं, "दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है, जहां कोई भी जाकर बस सकता है. देश के नागरिकों का रजिस्टर होना, यह समय की ज़रूरत है. हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र मे देश की जनता को वादा किया है.</p><p>"न केवल असम बल्कि देश भर के अंदर हम एनआरसी लेकर आएंगे. NRC के अलावा देश में जो भी लोग हैं, उन्हें क़ानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा."</p><p><a href="https://twitter.com/BJP4India/status/1174312684482748416">https://twitter.com/BJP4India/status/1174312684482748416</a></p><p>यह पहली दफ़ा नहीं है, जब अमित शाह ने यह बात कही हो. वे इससे पहले भी कई जगहों और मौक़ों पर पूरे दम-खम से देश भर में एनआरसी लागू करने की अपनी सरकार और पार्टी की प्रतिबद्धता को जताते रहे हैं.</p><p>वो हमेशा ज़ोर देकर सरकार के इस कार्यकाल में पूरे देश में एनआरसी को लागू करने की बात करते रहे हैं.</p><p>लेकिन एनआरसी और नागरिकता क़ानून को लेकर जगह-जगह हो रहे प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को अख़बारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाए हैं और अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट की है.</p><figure> <img alt="सीएए एनआरसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/15F10/production/_110227898_c4a62cc9-651b-44a4-bb98-8065ea080e6d.jpg" height="2530" width="760" /> <footer>Newspaper clip</footer> </figure><p>विज्ञापन में लिखा है, "अधिनियम से जुड़ी कई प्रकार की अफ़वाहें और ग़लत सूचनाएँ फैलाई जा ही हैं, लेकिन ये किसी भी तरह से सच नहीं है."</p><p>इसके बाद तीन बिंदुओं में अफ़वाहों और उनके बारे में सच क्या है, इसका ज़िक्र किया गया है. पहले दो बिंदु में सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी भारतीय नागरिक को, चाहे वो मुसलमान ही क्यों न हो, प्रभावित नहीं करता है.</p><p>यह तर्क पहले से भी सरकार और गृह मंत्री अमित शाह देते आए हैं, लेकिन विज्ञापन का तीसरा बिंदु लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. </p><p><strong>तीसरा बिंदु कुछ इस तरह हैः</strong></p><p><strong><em>अफ़वाहः</em></strong><em> ऐसे दस्तावेज़ जिनसे नागरिकता प्रमाणित होती हो, उन्हें अभी से जुटाने होंगे अन्यथा लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा.</em></p><p><strong><em>सचः </em></strong><em>ग़लत</em><em>. किसी राष्ट्रव्यापी एनआरसी की घोषणा नहीं की गई है. अगर कभी इसकी घोषणा की जाती है तो ऐसी स्थिति में नियम और निर्देश ऐसे बनाए जाएंगे ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को परेशानी न हो.</em></p><p>एनआरसी पर सरकार ने जो विज्ञापन प्रकाशित करवाया है, उसे जानकार सीएए के ख़िलाफ़ देश भर में पनपे ग़ुस्से को शांत करने की एक कोशिश भी समझा जा रहा है.</p><figure> <img alt="सीएए" src="https://c.files.bbci.co.uk/03CC/production/_110227900_66f7415c-d9fd-4d6d-9e37-b02869bd6b43.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>देश भर में एनआरसी</h1><p>एनआरसी को मूल रूप से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था. इसके तहत अगस्त की महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया था.</p><p>प्रकाशित रजिस्टर में क़रीब 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था. जिनका नाम इस रजिस्टर में नहीं है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी. मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं.</p><p>अब सीएए के विरोध प्रदर्शनों में एनआरसी की भी बात की जा रही है और यह कहा जा रहा है कि अब सभी नागरिकों को यह साबित करना होगा कि यहां के नागरिक हैं.</p><p>सीएए के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गया.</p><p>कई राज्यों में विश्वविद्यालय के छात्र सड़क पर उतर आए हैं और सरकार से क़ानून के वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. </p><p>विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और संस्थाएं सीएए और देशव्यापी एनआरसी के एक साथ लागू हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले ख़तरों पर लोगों को अगाह कर रहे हैं.</p><p><a href="https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1207250402590253056">https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1207250402590253056</a></p><p>आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा, "जो लोग पाकिस्तान से आएंगे, उनके दस्तावेज़ भारत सरकार बनाएगी और जिन अपने लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं होंगे उन्हें सरकार देश से बाहर निकालेगी." </p><p>इससे पहले कांग्रेस के गौरव वल्लभ ने भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा है कि सरकार लोगों से उनके नागरिक होने के दस्तावेज़ मांग रही है और प्रधानमंत्री और उनके मंत्री अपनी शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज़ तक नहीं दिखा पा रहे हैं.</p><p><a href="https://www.facebook.com/gouravvallabh/photos/a.1637427086486008/2578528712375836/?type=3&theater">https://www.facebook.com/gouravvallabh/photos/a.1637427086486008/2578528712375836/?type=3&theater</a></p><p>हालाँकि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि विपक्ष एकजुट होकर सीएए के ख़िलाफ़ अफ़वाहें फैला रहा है और अल्पसंख्यकों को रत्ती भर नुक़सान नहीं पहुंचेगा.</p><p>वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी कहती हैं, "जिस तरह से देश भर के युवा सड़कों पर उतर आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि सरकार दबाव में आ रही है और उसे इस तरह का विज्ञापन देना पड़ रहा है और यह स्पष्ट करना पड़ रहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू नहीं किया गया है."</p><p>उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी आज के युवाओं को, ख़ास कर साल 2000 के बाद पैदा हुई पीढ़ी को संबोधित करते रहे हैं, ऐसे में उनका सड़कों पर एनआरसी और सीएए का विरोध करना, उन्हें सकते में डाल रहा है.</p><p>नीरजा चौधरी कहती हैं, "जो सरकार एक दिन पहले तक एनआरसी के मुद्दे पर दृढ़ दिख रही थी, गृह मंत्री इसे लागू करने की बात कर रहे थे, आज उसी सरकार का विज्ञापन अगर ऐसा लिखता है तो यह साफ है कि सरकार का रुख नरम पड़ रहा है."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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नागरिकता संशोधन क़ानून पर सरकार को विज्ञापन की ज़रूरत क्यों
<figure> <img alt="एनआरसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/110F0/production/_110227896_27e30da3-7b45-4f64-a4ed-72c37d7069f0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Newspaper clip</footer> </figure><p><strong>स्थानः रांची</strong></p><p><strong>तारीख़ः 18 दिसंबर 2019</strong></p><p>गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं, "दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है, जहां कोई भी जाकर बस सकता है. देश के नागरिकों का रजिस्टर होना, यह समय की ज़रूरत है. हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र मे देश की जनता को वादा […]
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