<p>महाराष्ट्र में शनिवार को जारी नाटकीय घटनाक्रम के बीच जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आए, तो उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों को दल-बदल क़ानून को लेकर चेतावनी दी.</p><p>दरअसल शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी कर रही है. संख्या कितनी है, किसी को पता नहीं है. एनसीपी के 54 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के 105 विधायक हैं. सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है. क्या है दल-बदल क़ानून, जिसकी दुहाई एनसीपी प्रमुख शरद पवार दे रहे हैं. आइए जानते हैं.</p><p>दल-बदल क़ानून एक मार्च 1985 में अस्तित्व में आया, ताकि अपनी सुविधा के हिसाब से पार्टी बदल लेने वाले विधायकों और सांसदों पर लगाम लगाई जा सके.</p><p>1985 से पहले दल-बदल के ख़िलाफ़ कोई क़ानून नहीं था. उस समय ‘आया राम गया राम’ मुहावरा ख़ूब प्रचलित था.</p><p>दरअसल 1967 में हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने एक दिन में तीन बार पार्टी बदली, जिसके बाद आया राम गया राम प्रचलित हो गया.</p><p>लेकिन 1985 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार इसके ख़िलाफ़ विधेयक लेकर आई.</p><figure> <img alt="फडणवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/FF00/production/_109808256_davendra.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>1985 में संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी गई. ये संविधान में 52वें संशोधन था.</p><p>इसमें विधायकों और सांसदों के पार्टी बदलने पर लगाम लगाई गई. इसमें ये भी बताया गया कि दल-बदल के कारण इनकी सदस्यता भी ख़त्म हो सकती है.</p><h1>कब-कब लागू होगा दल-बदल क़ानून</h1><p>1. अगर कोई विधायक या सांसद ख़ुद ही अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है.</p><p>2. अगर कोई निर्वाचित विधायक या सांसद पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ जाता है.</p><p>3. अगर कोई सदस्य पार्टी ह्विप के बावजूद वोट नहीं करता.</p><p>4. अगर कोई सदस्य सदन में पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करता है.</p><p>विधायक या सांसद बनने के बाद ख़ुद से पार्टी सदस्यता छोड़ने, पार्टी व्हिप या पार्टी निर्देश का उल्लंघन दल-बदल क़ानून में आता है.</p><h1>लेकिन इसमें अपवाद भी है……</h1><p>अगर किसी पार्टी के दो तिहाई विधायक या सांसद दूसरी पार्टी के साथ जाना चाहें, तो उनकी सदस्यता ख़त्म नहीं होगी.</p><p>वर्ष 2003 में इस क़ानून में संशोधन भी किया गया. जब ये क़ानून बना तो प्रावधान ये था कि अगर किसी भूल पार्टी में बँटवारा होता है और एक तिहाई विधायक एक नया ग्रुप बनाते हैं, तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी.</p><p>लेकिन इसके बाद बड़े पैमाने पर दल-बदल हुए और ऐसा महसूस किया कि पार्टी में टूट के प्रावधान का फ़ायदा उठाया जा रहा है. इसलिए ये प्रावधान ख़त्म कर दिया गया.</p><p>इसके बाद संविधान में 91वाँ संशोधन जोड़ा गया. जिसमें व्यक्तिगत ही नहीं, सामूहिक दल बदल को असंवैधानिक करार दिया गया. </p><p>विधायक कुछ परिस्थितियों में सदस्यता गँवाने से बच सकते हैं. अगर एक पार्टी के दो तिहाई सदस्य मूल पार्टी से अलग होकर दूसरी पार्टी में मिल जाते हैं, तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी.</p><p>ऐसी स्थिति में न तो दूसरी पार्टी में विलय करने वाले सदस्य और न ही मूल पार्टी में रहने वाले सदस्य अयोग्य ठहराए जा सकते हैं.</p><h1>तो इन परिस्थितियों में नहीं लागू होगा दल बदल क़ानून:</h1><p>1. जब पूरी की पूरी राजनीतिक पार्टी अन्य राजनीति पार्टी के साथ मिल जाती है.</p><p>2. अगर किसी पार्टी के निर्वाचित सदस्य एक नई पार्टी बना लेते हैं.</p><p>3. अगर किसी पार्टी के सदस्य दो पार्टियों का विलय स्वीकार नहीं करते और विलय के समय अलग ग्रुप में रहना स्वीकार करते है.</p><p>4. जब किसी पार्टी के दो तिहाई सदस्य अलग होकर नई पार्टी में शामिल हो जाते हैं.</p><h1>स्पीकर के फ़ैसले की हो सकती है समीक्षा</h1><p>10वीं अनुसूची के पैराग्राफ़ 6 के मुताबिक़ स्पीकर या चेयरपर्सन का दल-बदल को लेकर फ़ैसला आख़िरी होगा. पैराग्राफ़ 7 में कहा गया है कि कोई कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता. लेकिन 1991 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 10वीं अनुसूची को वैध तो ठहराया लेकिन पैराग्राफ़ 7 को असंवेधानिक क़रार दे दिया.</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि स्पीकर के फ़ैसले की क़ानूनी समीक्षा हो सकती है.</p><h1>महाराष्ट्र की स्थिति</h1><p>एनसीपी के 54 विधायक हैं, अगर अजित पवार 36 विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं, तो दल-बदल क़ानून उन पर लागू नहीं होगा</p><p>अगर वो इतने नंबर नहीं ला पाते, तो उनकी सदस्यता जा सकती है.</p><p>प्रेस कॉन्फ़्रेंस में शरद पवार ने दावा किया है कि अजित पवार के पास सिर्फ़ 10-11 विधायक हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50528118?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार बोले- विधायक हमारे साथ, बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे फडणवीस</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50529915?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र में कैसे कैसे बदल गया पूरा खेल</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
दल-बदल क़ानून क्या है, जिसकी पवार दे रहे हैं दुहाई
<p>महाराष्ट्र में शनिवार को जारी नाटकीय घटनाक्रम के बीच जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आए, तो उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों को दल-बदल क़ानून को लेकर चेतावनी दी.</p><p>दरअसल शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी कर रही है. […]
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