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शी जिनपिंग के साथ महाबलीपुरम में मोदी की मुलाक़ात

<figure> <img alt="नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग, महाबलीपुरम, मामल्लपुरम, ModixijinpingMeet, ModiXiSummit" src="https://c.files.bbci.co.uk/17E4D/production/_109196879_122d74ec-9036-4443-8ba6-fb94cb541b94.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ANI</footer> </figure><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तमिलनाडु के महाबलीपुरम (मामल्लपुरम) में अनौपचारिक मुलाक़ात हुई. </p><p>इसके बाद दोनों नेताओं ने शोर टेंपल के पास नृत्य कार्यक्रम का आनंद लिया.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182645205733785600">https://twitter.com/ANI/status/1182645205733785600</a></p><p>यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा […]

<figure> <img alt="नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग, महाबलीपुरम, मामल्लपुरम, ModixijinpingMeet, ModiXiSummit" src="https://c.files.bbci.co.uk/17E4D/production/_109196879_122d74ec-9036-4443-8ba6-fb94cb541b94.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ANI</footer> </figure><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तमिलनाडु के महाबलीपुरम (मामल्लपुरम) में अनौपचारिक मुलाक़ात हुई. </p><p>इसके बाद दोनों नेताओं ने शोर टेंपल के पास नृत्य कार्यक्रम का आनंद लिया.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182645205733785600">https://twitter.com/ANI/status/1182645205733785600</a></p><p>यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे.</p><p><a href="https://twitter.com/PMOIndia/status/1182663450281070592">https://twitter.com/PMOIndia/status/1182663450281070592</a></p><p>तमिल वेशभूषा धोती और कुर्ता में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति जिनपिंग को यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल 16.5 वर्ग किलोमीटर में स्थित इस प्राचीन विरासत की प्रसिद्ध जगहों पर ले गए.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182625782566289409">https://twitter.com/ANI/status/1182625782566289409</a></p><p>सबसे पहले दोनों अर्जुन तपस्यास्थली पहुंचे. इसके बाद कृष्णा बटरलबॉल, फिर पंच रथ और अंत में तट मंदिर (शोर टेंपल) पहुंचे. इस दौरान मोदी ने जिनपिंग को इन धरोहरों की जानकारी दी और साथ ही एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर तस्वीरें भी खिंचवाई.</p><p>पंच रथ टेंपल में बातचीत करने के दौरान दोनों नेताओं ने नारियल पानी का स्वाद चखा.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182629402468741121">https://twitter.com/ANI/status/1182629402468741121</a></p><p>इससे पहले जिनपिंग का चेन्नई एयरपोर्ट पर भी स्वागत किया गया. दोनों नेताओं के बीच क़रीब 40 मिनट तक वन टू वन मीटिंग होगी. शी जिनपिंग का यह दौरा क़रीब 48 घंटे का है.</p><p>दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी अनौपचारिक मुलाकात है. पहली अनौपचारिक बैठक वुहान में हुई थी.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182624058933960704">https://twitter.com/ANI/status/1182624058933960704</a></p><p>शी जिनपिंग के चेन्नई पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने मेंडरिन, अंग्रेज़ी और तमिल भाषा में राष्ट्रपति जिनपिंग का स्वागत किया.</p><p><a href="https://twitter.com/narendramodi/status/1182586796795813889">https://twitter.com/narendramodi/status/1182586796795813889</a></p><h3>महाबलीपुरम के किन जगहों पर गए मोदी-जिनपिंग?</h3><p>महाबलीपुरम तमिलनाडु के चेन्नई से क़रीब 60 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी से लगा एक पुरातन स्थल है. इसे पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन ने सातवीं सदी में धार्मिक उद्देश्यों से स्थापित किया था. नरसिंह ने मामल्ल की उपाधि हासिल की थी, लिहाजा इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि 2000 साल पहले भारत और चीन महाबलीपुरम की तटों से व्यापार से जुड़े थे.</p><p>मोदी ने जिनपिंग को जिन जगहों को दिखाया वो क्यों प्रसिद्ध हैं?</p><figure> <img alt="अर्जुन तपस्यास्थली, ModixijinpingMeet, ModiXiSummit" src="https://c.files.bbci.co.uk/70C5/production/_109196882_4c9ffe45-d482-4c7b-bafc-6f95e50321ca.jpg" height="709" width="976" /> <footer>TWITTER/PMO India</footer> <figcaption>अर्जुन तपस्यास्थली</figcaption> </figure><p><strong>अर्जुन तपस्यास्थलीः</strong> यहां प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जिनपिंग को वो जगह दिखाई जहां अर्जुन ने तपस्या की थी. यहां एक बड़े शिलाखंड पर हिंदू देवताओं समेत कई जीवों के चित्र उकेरे गए हैं.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182628076963782657">https://twitter.com/ANI/status/1182628076963782657</a></p><p><strong>पंच रथः</strong> पंच रथ को ठोस चट्टानों को काटकर बनाया गया है. पंच रथ के बीच में एक विशाल हाथी और शेर की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं. आमतौर पर इस मंदिर को पांडवों के रथ मंदिर के रूप में जाना जाता है. यह एक ही पत्थर को काटकर तराशते हुए बनाया गया है. बहुत से लोगों का मानना है कि इन मंदिरों को पाँच पांडवों के लिए ही निर्मित किया गया था लेकिन यहां उनकी कोई प्रतिमा नहीं मिलती है.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182625782566289409">https://twitter.com/ANI/status/1182625782566289409</a></p><p><strong>कृष्णा बटरबॉलः</strong> 6 मीटर ऊंचे और क़रीब 5 मीटर चौड़े इस गोलाकार पत्थर का वजन 250 टन है. माना जाता है कि बीते 1200 वर्षों से यह गोलाकार पत्थर, पत्थरों की चिकनी ढलान पर 45 डिग्री झुका एक ही जगह पर खड़ा है. प्रकृति की अद्भुत कृति को पल्लव राजाओं ने कई घोड़े की मदद से हटाने की कोशिश भी की लेकिन वो सभी बेकार गईं. आज यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है जिसे देखने हज़ारों की तादाद में लोग यहां पहुंचते हैं.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1182640669619212288">https://twitter.com/ANI/status/1182640669619212288</a></p><p><strong>शोर टेंपल</strong><strong>:</strong> शोर टेंपल को दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. द्राविड वास्तुकला के इस बेहतरीन नमूने का निर्माण आठवीं शताब्दी में किया गया था. शोर टेंपल के भीतर तीन मंदिर हैं. बीच में विष्णु मंदिर है और दोनों तरफ शिव मंदिर.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a 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