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महात्मा गांधी@150: बापू की क्रिकेट से इश्क़ की कहानी

<figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/11D9C/production/_109061137_3bd4dde5-4f08-4ebf-83fb-4600290be758.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की खेलों में कोई बहुत रुचि नहीं थी. बल्कि वो तो अंग्रेज़ी कहावत ‘A sound mind lives in a sound body’ (स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है) को भी ग़लत बताते थे. </p><p>वो सवाल करते थे कि कोई पहलवान हो, […]

<figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/11D9C/production/_109061137_3bd4dde5-4f08-4ebf-83fb-4600290be758.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की खेलों में कोई बहुत रुचि नहीं थी. बल्कि वो तो अंग्रेज़ी कहावत ‘A sound mind lives in a sound body’ (स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है) को भी ग़लत बताते थे. </p><p>वो सवाल करते थे कि कोई पहलवान हो, उसका जिस्म गठा हुआ हो लेकिन क्या ज़रूरी है कि उसका दिमाग़ भी सुंदर हो? </p><p>इसके बावजूद गांधी की ज़िंदगी में ऐसे तमाम क़िस्से मिलते हैं जिसमें वो खेलों में दिलचस्पी लेते दिखाई देते हैं. </p><p>ये जानकर हैरानी होगी कि पोरबंदर और राजकोट में क्रिकेट पहले भी बहुत लोकप्रिय खेल हुआ करता था. भारतीय क्रिकेट को पोरबंदर और राजकोट ने बहुत से खिलाड़ी दिए हैं.</p><p>गांधी की क्रिकेट में रुचि पैदा हो गई थी. एक बार खेल में बॉल उनके हाथ में आई. उनका एक दोस्त था शेख़ महताब. एक दिन उसने गांधी से कहा कि बॉलिंग करो. गांधी ने दौड़ लगाई और बॉल फेंकी. पता नहीं कैसे विकेट के तीनों डंडे उखड़कर दूर गिर गए और बल्लेबाज़ आउट हो गया. </p><p>गांधी को लगा कि ये तो बहुत अच्छा काम है, इसको करना चाहिए. लेकिन जब क्रिकेट का मैच होता था तो स्कूल की टीमें बनती थीं और दूसरे स्कूलों की टीमें भी आती थीं. सबकी कोशिश होती थी कि गांधी उनकी टीम में आ जाएं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48313218?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरएसएस ने महात्मा गांधी को दिल से स्वीकार किया है?</a></p><figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/5614/production/_109063022_2affb82e-0eb5-419e-b658-1ee28498464e.jpg" height="549" width="549" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>वक्त के साथ गांधी क्रिकेट से बहुत दूर चले गए. दूसरे खेलों में भी उनकी दिलचस्पी धीरे-धीरे कम होती गई- आज़ादी की लड़ाई में, दक्षिण अफ़्रीका के आंदोलनों में, इंग्लैड की पढ़ाई के समय. लेकिन क्रिकेट से एक खेल के तौर पर उनका जो इश्क़ था वो क़ायम रह गया. </p><p>साल 1910-11 में एक बल्लू पालवंकर नाम के एक खिलाड़ी हुआ करते थे. वो दलित थे और बहुत अच्छे बॉलर थे. चूंकि गांधी ख़ुद बॉलर रहे थे इसलिए उन्हें ये समझ में आता था कि पालवंकर कमाल कर रहे हैं. </p><p>इंग्लैड के दौरे पर हिंदुस्तान की टीम गई तो पालवंकर ने कुल 23 मैचों की सिरीज़ में 114 विकेट लिए और सबसे कामयाब बॉलर रहे. 18 रन प्रति विकेट की उनकी औसत थी. </p><p>लेकिन इस कामयाब खिलाड़ी को टीम का कप्तान नहीं बनाया गया क्योंकि वो दलित थे. गांधी को ये बात बिल्कुल नागवार गुज़री.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49821545?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अपनी पहली और आख़िरी कश्मीर यात्रा में क्या बोले थे महात्मा गांधी</a></p><p>टीम तो लौट आई लेकिन 1920 में नागपुर की एक जनसभा में गांधी ने बल्लू का उदाहरण देते हुए दलीलें पेश की कि दलितों का, हरिजनों का इस देश की मुख्यधारा में शामिल होना क्यों ज़रूरी है. </p><p>बल्लू तो भारतीय टीम के कप्तान नहीं बन पाए लेकिन बाद में उनके छोटे भाई विट्ठल उस टीम के कप्तान बने. ये ज़रूर हुआ कि गांधी से अपनी निकटता महसूस करने वाले बल्लू बाद में आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए. </p><p>ये सिर्फ़ क्रिकेट का मसला नहीं था. ये समझना कि गांधी खेलों में रुचि नहीं रखते थे या क्रिकेट उन्होंने बचपन में खेला और छोड़ दिया, ऐसा भी नहीं था. </p><p>1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का नारा देने के बाद गांधी की गिरफ़्तारी हुई और उन्हें पूना के पास आग़ा खां पैलेस में रखा गया. आग़ा खां पैलेस में खेलने-कूदने की जगह थी, तमाम तरह की सहूलियतें थीं. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49873446?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी जब लंदन में छड़ी के साथ नाचे…</a></p><figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/A434/production/_109063024_5433080a-040d-4d16-b8f2-cac98e435f0f.jpg" height="915" width="705" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>गांधी को ये पसंद नहीं आता था. वो कहते थे कि आप जेल में हैं तो जेल की तरह ही रहें. इतने लवाज़मात, इतनी सारी चीज़ें लेकर अगर कोई जेल में बंद है तो हम हिंदुस्तान के लोगों के साथ अन्याय ही कर रहे हैं. ये कोई जेल में बंद होना नहीं है. लेकिन वक़्त काटना था और गांधी ने वहां बैडमिंटन खेलना शुरू किया. वो मनु गांधी और कस्तूरबा के साथ बैडमिंटन खेलते थे. </p><p>वो जब कोई शॉट मारें तो शटल कॉक जाकर नेट में फंस जाए. ये बार-बार होता रहा तो गांधी को लगा कि ये ठीक नहीं है. फिर गांधी ने पिंगपॉन्ग की गोल बॉल मंगाई और उससे बैडमिंटन खेलना शुरू किया. जेल में उन्होंने कैरम भी खेला. </p><p>गांधी की रुचियां इतनी विविध हैं, इतनी तरह की हैं कि आपको हैरान कर देती हैं. वो जिस इलाक़े में, जिस काम में दाख़िल होते हैं, ऐसा लगता है कि वो उसे कर ही डालेंगे.</p><p>क्रिकेट उनके बचपन का खेल था लेकिन ज़िंदगी में उन्होंने क्रिकेटरों के प्रति कभी कोई असम्मान जैसी कोई बात नहीं की. </p><p>जॉर्ज बर्नार्ड शॉ उनके दोस्त थे. वो क्रिकेट के ख़िलाफ़ तमाम चीज़ें कहा करते थे और गांधी उनसे जब भी मिले. हर बार बात हुई, तमाम मुद्दों पर बात हुई मगर क्रिकेट को छोड़कर. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49887276?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी @ 150: गांधी डरते थे, कोई उन्हें ईश्वर न बना दे</a></p><figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/158AC/production/_109063288_74263ccf-6ade-48ca-85d2-c4d39e7c8af5.jpg" height="153" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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