<p>खूंटी ज़िले के सुवारी गांव में हुई मॉब लिंचिंग में मारे गए केलेमतुस बारला के शरीर का आधा हिस्सा बेकार था. पाँच साल पहले हुई एक दुर्घटना के बाद उनका बायां हाथ और पैर काम नहीं करता था. </p><p>ज़िंदगी चलाने के लिए वे शरीर के दाएं हिस्से और अपनी पत्नी करुणा बारला के सपोर्ट पर निर्भर थे.</p><p>अड़तीस साल के केलेमतुस बारला के घर में अब सिर्फ़ उनकी पत्नी हैं. उनकी मौत के बाद अब वे बिल्कुल अकेली हो गई हैं. सोमवार को ही उन्होंने अपने पति की लाश दफ़नायी है. इसके बाद उनके घर पहुंचे सगे-संबंधी भी अब अपने घरों को लौट गए हैं.</p><p>रांची ज़िला के लापुंग थाने के पास गोपालपुर गांव में मिट्टी की दीवारों और खपरैल छत वाले उनके घर में केलेमतुस बारला के कुछ कपड़े हैं और पासपोर्ट साइज़ से भी छोटी एक रंगीन तस्वीर. इसमें वे अपनी पत्नी करुणा और दो साल के बेटे अभिनव (अब दिवंगत) के साथ खड़े हैं. केलेमतुस की एक पासपोर्ट तस्वीर भी है, जिसे दिखाते हुए करुणा बारला के हाथ कांपने लगते हैं.</p><p>तमाम कोशिशों के बावजूद उनके आंसू नहीं रुक पाते. अपने पति की दर्दनाक मौत का दुख उन्हें खाए जा रहा है. जब यह दुख थोड़ा कम होगा, तो शायद उन्हें अपने भविष्य की भी चिंता हो. क्योंकि, अब वे अपने घर की अकेली सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि साल 2014 में हुई दुर्घटना में विकलांग होने के बाद उनके पति के घर वालों ने उनसे बंटवारा कर लिया था.</p><p>पति को खोने का दर्द करुणा बारला ने बीबीसी से साझा करते हुए कहा – 21 सितंबर की दोपहर वे अपनी बहन से मिलने सोवारी गांव गए थे. उन्होंने कहा था कि वे रविवार को 10-11 बजे तक लौट आएंगे. 22 तारीख की शाम मुझे बताया गया कि उन्हें लोगों ने पीट-पीट कर मार दिया है. कहा गया कि उन पर गाय का मांस काटने का आरोप लगा था. बताइए कि जिस आदमी के शरीर का आधा हिस्सा बेकार हो, वह गाय कैसे काटेगा. </p><p>’कई सालों तक वे खुद ब्रश भी नहीं कर पाते थे. बिना किसी के सहयोग के कहीं जाते भी नहीं थे. उन्हें मारने वाले लोग इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं. एक लाचार आदमी को मारते वक्त उनके हाथ क्यों नहीं कांपे. उन्हें दया क्यों नहीं आई.'</p><p><strong>बुख़ार </strong><strong>से मर गया था बच्चा</strong></p><p>उन्होंने यह भी कहा – "अक्तूबर 2014 में मेरे बेटे अभिनव को बुख़ार हुआ था. तब वे (केलेमतुस) चेन्नई में काम करते थे. मैंने बहुत इलाज कराया लेकिन उस बुख़ार ने अभिनव की जान ले ली थी. हम लोगों ने उन्हें फोन पर ये दुखद ख़बर दी थी. चेन्नई से घर आने के दौरान बदहवासी में लोधमा स्टेशन पर उनका एक्सीडेंट हो गया. इसमें उनका बायां हाथ और बायां पैर बेकार हो गया. तब से वे यहीं रह गए."</p><p>वे आगे कहती हैं, ‘मैं गांव के स्कूल में खाना (मिड-डे मील) बनाती हूं. इससे डेढ़ हज़ार रुपये मिलते हैं. इसी से मेरा घर चलता था. यह पैसा भी पिछले जनवरी से बक़ाया है. अब मेरा घर कैसे चलेगा. मैं किसके साथ रहूंगी.'</p><p>बक़ौल करुणा, इस घटना के बाद उनसे मिलने कोई नहीं आया है. ना तो पुलिस ने उनका बयान लिया और ना प्रशासन या सरकार की तरफ़ से कोई सहायता मिली.</p><h1>फिलिप होरो की कहानी</h1><p>मॉब लिंचिंग में बुरी तरह घायल फिलिप होरो की पत्नी और उनके बड़े भाई की मौत इसी महीने हुई है. पहले उन्होंने अपना भाई खोया. 15-20 दिन बाद पास की नदी में नहाने गयीं उनकी पत्नी भी डूब कर मर गईं. सुवारी गांव में स्थित उनके घर में नब्बे साल की बूढ़ी मां और उनके बच्चे हैं. वे इस दुख से उबर पाते, इससे पहले ही भीड़ ने उन्हें अपना शिकार बना लिया. वे बुरी तरह पीटे गए. तब वे सुवारी नदी में नहाने गए थे.</p><p>यह ख़बर मिलते ही उनके छोटे भाई बंगाल में ईंट भट्ठा की अपनी नौकरी छोड़कर गांव आ गए हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि फिलिप होरो भी पत्नी व बच्चों के साथ बंगाल में रहकर मज़दूरी किया करते थे. हाल ही में वे अपने गांव आए थे. उन्हें रिम्स अस्पताल के सर्जरी वार्ड में एडमिट कराया गया है.</p><h1>बीबीसी ने फागू कच्छप से बात की</h1><p>इस घटना में घायल फागू कच्छप का हाथ टूट गया है. वे सुवारी के पड़ोसी गांव महुआटोली में रहते थे. वे मॉब लिंचिंग के चश्मदीद हैं और भुक्तभोगी भी. रिम्स के आर्थो वार्ड में एक बेड पर पड़े फागू कच्छप बड़ी मुश्किल से बोल पा रहे हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि वे अपना जानवर बांधने गए थे, तभी भीड़ ने उनपर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. वे बेहोश हो गए और आंख खुली तो अस्पताल में थे. उनकी पत्नी इंदुवार ने बताया कि घर में उनके पांच बच्चे अपने पापा के घर लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं. अगर इनको कुछ हो जाता, तो हम लोग कैसे ज़िंदा रहते. माकपा नेता वृंदा करात भी उनसे मिलने अस्पताल गयी थीं.</p><h1>घायलों की हालत गंभीर</h1><p>इस बीच रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसइज़) के निदेशक विवेक कश्यप ने बीबीसी से कहा कि इन दोनों लोगों की हालत गंभीर है. उनके इलाज के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि केलेमतुस बारला का पोस्टमार्टम 22 सितंबर की रात ही एक मेडिकल बोर्ड ने किया था. </p><h1>सुवारी-जलतंडा गांवों में तनाव</h1><p>इधर, सुवारी और जलतंडा गांवों में तनाव है. ये दोनों गांव सुवारी नदी के किनारे स्थित हैं. क़रीब 100 घरों वाले जलतंडा में अधिकतर आबादी राजपूतों की है. वहीं, क़रीब 25 घरों वाले सुवारी में रहने वाले सभी लोग आदिवासी हैं. जलतंडा के लोग हिंदू धर्मावलंबी हैं और सुवारी में रहने वाले लोग बहुत पहले से ईसाई धर्म अपना चुके हैं. जलतंडा के लोगों का आरोप है कि सुवारी वाले कथित तौर पर गाय का मांस काटते, बेचते और खाते हैं.</p><p>वहीं, सुवारी के लोग इससे इन्कार करते हैं. उनका कहना है कि पर्व-त्योहार के मौके पर उनके यहां बैल और सूअर का मांस खाए जाने की परंपरा है. इस घटना के बाद सुवारी के लोग काफी आक्रोशित हैं और कहते है कि बाहरी लोगों ने दोनों गांवों में दुश्मनी पैदा कर दी है.</p><h1>बजरंग दल की भूमिका</h1><p>जलतंडा के जोगतानंद दास ने बीबीसी से कहा – हमारे गांव में कुछ दिनों से बच्चा चोरों के आने की अफवाह फैली थी. 22 तारीख की सुबह भी वही हल्ला हुआ. अफवाह फैली कि सुवारी नदी के पास बच्चा चोर आया है. गांव के कुछ लोग वही देखने चले गए. वहां कथित तौर पर बजरंग दल वाले लोग फिलिप, फागू और केलेमतुस को पीट रहे थे. कुछ देर बाद पुलिस भी आयी. तब बजरंग दल वाले भाग गए.</p><p>पुलिस ने मेरे गांव के लोगों से पूछताछ की और कथित तौर पर निर्दोष लोगों को पकड़ लिया. इसी गांव की यशोदा देवी कहती हैं कि पुलिस ने उनके बेटे को हिरासत में ले लिया है. वह निर्दोष है. </p><p>यशोदा देवी ने बीबीसी को बताया "मेरा एक बेटा फौज में भी है. हम लोग क्यों किसी को मारेंगे-पीटेंगे. पुलिस मेरे बेटे को तब ले गई, जब हम लोग बेटे की लंबी उम्र के लिए जीतिया का पर्व मना रहे थे".</p><h1>गाय का सवाल</h1><p>हालांकि, बजरंग दल के खूंटी ज़िला संयोजक विशाल साहू और विश्व हिंदू परिषद के ज़िला मंत्री वीरेंद्र सोनी इन आरोपों से इत्तेफ़ाक नहीं रखते. उन्होंने बीबीसी से कहा कि सुवारी गांव में गोकशी की शिकायत बहुत पहले से थी. यह बात पुलिस को भी बतायी गई थी. उस दिन मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, तो पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं बचाया. इन्होंने दावा किया कि बजरंग दल या वीएचप का कोई कार्यकर्ता इस तथाकथित मॉब लिंचिंग में शामिल नहीं है.</p><h2>क्या गाय काटते थे सुवारी के लोग</h2><p>सुवारी गांव के लोग इस घटना के बाद डरे हुए हैं और हर बातचीत नाम बताए बगैर करना चाहते हैं. उन्हें डर है कि नाम जानने पर पुलिस उन्हें भी पकड़ लेगी. इस गांव की एक महिला ने बताया कि वहां उस दिन ‘बड़पहाड़ी पूजा’ थी. इसके लिए बैल का मांस काटा गया था. गाय के मांस की बात बिल्कुल ग़लत है.</p><h1>बाहरी थे हमलावर</h1><p>कर्रा थाने की पुलिस ने इस मामले में चार नामजद और डेढ़ दर्जन अज्ञात लोगों के खिलाफ़ आइपीसी की दफ़ा 147, 148, 149, 341, 323, 325, 307 और हत्या की दफ़ा 302 के तहत एफ़आइआर की है.</p><p>वहां के थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह के बयान के आधार पर दर्ज रिपोर्ट में नामजद चार में से तीन लोग सुवारी और जलतंडा गांवों के नहीं हैं. ऐसे में संभव है कि यह हमला पूर्व निर्धारित हो. पुलिस ने घटनास्थल से लाठियां, मांस काटने का सामान और मांस के टुकड़े भी बरामद किए हैं. बरामद मांस का सैंपल एफएसएल जांच के लिए रांची स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस घटना में मारे गए केलेमतुस बारला ने मरने से पहले और दूसरे दोनों घायलों ने भी पुलिस को इन कथित हमलावरों के नाम बताए थे.</p><h1>कोई गिरफ्तारी नहीं</h1><p>इस केस की मॉनिटरिंग में लगे तोरपा के डीएसपी रिषभ झा ने बीबीसी को बताया कि अभी तक किसी की औपचारिक गिरफ्तारी नहीं की गई है. इस मामले के नामज़द लोगों की तलाश की जा रही है. इसके लिए पुलिस की कई टीमें विभिन्न जगहों पर छापेमारी कर रही हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी 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