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तेल बाज़ार में बढ़ती चिंताओं का भारत पर पड़ेगा कितना असर

<figure> <img alt="कच्चा तेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/56F8/production/_108846222_3a0ac155-a5ba-42bb-9f43-84cca0d63640.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हुए ड्रोन हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमत एक झटके में 20 फ़ीसदी बढ़कर 71 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. बीते तीन दशकों में कच्चे तेल की क़ीमत में ये सबसे बड़ा उछाल है. </p><p>सऊदी अरब […]

<figure> <img alt="कच्चा तेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/56F8/production/_108846222_3a0ac155-a5ba-42bb-9f43-84cca0d63640.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हुए ड्रोन हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमत एक झटके में 20 फ़ीसदी बढ़कर 71 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. बीते तीन दशकों में कच्चे तेल की क़ीमत में ये सबसे बड़ा उछाल है. </p><p>सऊदी अरब के दो अहम तेल संयंत्रों पर हमले का दुनिया में तेल उत्पादन पर क्या असर पड़ा और ये स्थिति कितनी ख़तरनाक है.</p><p>अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंताओं पर <strong>ऊर्जा मामलों के जानकार और बीजेपी नेता</strong><strong> नरेंद्र तनेजा</strong> का नज़रिया पढ़िए-</p><p>हमला तेल की प्रोसेसिंग यूनिट पर हुआ था. यहीं से तेल का निर्यात होता है. उत्पादन तो हो रहा है लेकिन निर्यात पर रोक लग गई. </p><p>जब तक प्रोसेसिंग यूनिट पूरी तरह रिपेयर नहीं होती है तब तक निर्यात नहीं हो सकता है. </p><p>सऊदी अरब तेल का बहुत बड़ा निर्यातक है. वो इस हमले को लेकर अभी खुलकर बात नहीं कर रहा है क्योंकि वो नहीं चाहता कि सारी दुनिया में उसकी छवि ये बन जाए कि उनके तेल की प्रोसेसिंग यूनिट पर कोई भी हमला कर सकता है. </p><p>दूसरी उनकी ये भी कोशिश है कि हमले से जो नुक़सान हुआ है उसे जल्द ही रिपेयर करें, जिससे तेल का निर्यात फिर से शुरु हो सके.</p><p>दूसरी तरफ़ अमरीका और दूसरे देश तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान हैं. 28 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब तेल की कीमतों में बड़ा उछाल आया है. </p><p>पिछली बार तेल की क़ीमत तब बढ़ी थी जब ईरान ने कुवैत पर हमला (खाड़ी युद्ध) किया था. </p><p>अमरीका की परेशानी है कि उनके लिए ये चुनावी साल है और अमरीका का इतिहास है कि जिसकी सत्ता में तेल की क़ीमत ज़्यादा रही, उसे राष्ट्रपति नहीं चुना गया.</p><p>उनकी कोशिश है कि तेल की क़ीमत को लेकर कोई बड़ा हंगामा न हो. तेल की क़ीमत ज़्यादा न बढ़ें इसलिए अमरीका ने अपने तेल भंडार भी खोलने का ऐलान कर दिया है. अगर धनी देश अपने तेल भंडारों को खोल दें तो तेल की क़ीमतें कुछ हद तक नीचे आ सकती हैं. दूसरी तरफ़ अमरीका सऊदी अरब की मदद करने में भी लगा है. </p><figure> <img alt="ट्रंप" src="https://c.files.bbci.co.uk/17B8B/production/_108836179_220f705c-8bc3-4ca9-b466-d081df641d8f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>दूसरे देश कितने सुरक्षित</strong><strong> </strong><strong>?</strong></p><p>सबसे बड़ा सवाल है कि अगर सऊदी अरब के तेल के भंडारों पर ड्रोन से हमला हो सकता है तो दूसरे देश कितने सुरक्षित हैं? दूसरे देश ये सवाल भी उठाते हैं कि फिलहाल के लिए रिपेयर का काम पूरा कर निर्यात शुरू कर दिया जाएगा जाएगा लेकिन आगे ऐसे हमलों से बचने का क्या रास्ता है? </p><p>ऐसा अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि ट्रंप और ईरान के राष्ट्रपति की जल्द ही बैठक हो जाए. इससे ईरान और अमरीका की विदेश नीति पर प्रश्न उठ रहे हैं. तो क्या ईरान के भीतर ही कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि अमरीका से समझौता हो? या वो ये चाहते हैं कि ईरान और सऊदी अरब के बीच दूरियां बढ़े?</p><figure> <img alt="तेल बाज़ार" src="https://c.files.bbci.co.uk/B83B/production/_108836174_0b3770a6-78d7-4eea-a657-13fbc03adda0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h3>तेल के बाज़ार में बढ़ी चिंताएं</h3><p>नरेंद्र तनेजा बताते हैं कि तेल के बाज़ारों में चिंता बढ़ गई है. अब ये संशय भी बना रहेगा कि आने वाले समय में भी ड्रोन से ऐसे हमले हो सकते हैं इसका असर तेल की कीमतों पर भी दिखेगा. </p><p>इसे लेकर चिंता बनी रहेगी. राजनीतिक हस्तक्षेप भी होगा, ओईसीडी,अमरीका, यूरोप सभी की यही चिंता रहेगी कि कीमतें नीचे रखी जाएं. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि ये काम इतना आसान होने वाला नहीं है.</p><p>नरेंद्र तनेजा कहते हैं कि अगर तेल की कीमतें आज बढ़ जाती हैं और सऊदी अरब अपना निर्यात नहीं बढ़ा पाता तो एक तरफ जहां इसका लाभ उसे नहीं मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ उसकी छवि भी खराब होगी.</p><p>आज की तारीख में सारे प्रश्न मेज़ पर हैं. सऊदी के लिए छवि का प्रश्न है, कीमत बढ़ भी जाती है तो सऊदी अरब को इसका फायदा नहीं होगा. बाज़ार में भी तनाव है कि क्या ऐसे हमले दोबारा हो सकते हैं.</p><figure> <img alt="ट्रंप" src="https://c.files.bbci.co.uk/12D6B/production/_108836177_a853d840-6033-4705-859a-fa88904dcda1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>ट्रंप की कोशिश</h3><p>ईरान और अमरीका के बीच पर्दे के पीछे बातचीत हो रही है. हो सकता है कि दोनों के बीच कोई समझौता हो जो बड़ी खबर बने और ट्रंप को इसका क्रेडिट भी मिले. </p><p>इस समय सऊदी अरब को अमरीका की ज़्यादा ज़रूरत है. अपनी अंतरराष्ट्रीय साख और स्थिरता के लिए सऊदी अरब, अमरीका पर निर्भर है. </p><p>अमरीका की कोशिश है कि तेल की कीमतें न बढ़ें, ये आज एक बड़ा मुद्दा है. उनकी मंशा ये भी होगी कि अगर ईरान और अमरीका के बीच बातचीत मीडिया में न आए तो उसे लीक कराया जाए.</p><p>ये मामला बड़ा ही उलझा हुआ है और शतरंज के खेल जैसा हो गया है. भविष्यवाणी करना तो काफ़ी मुश्किल है लेकिन आने वाले सप्ताह और महीने तेल बाज़ार के हिसाब से काफी दिलचस्प रहने वाले हैं. </p><figure> <img alt="तेल की कीमत" src="https://c.files.bbci.co.uk/81EF/production/_108836233_fec3b9d2-7d8f-4891-aa9f-5067b2649d75.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>भारत की अर्थव्यवस्था पर</strong><strong> </strong><strong>क्या असर पड़ेगा?</strong></p><p>भारत की अर्थव्यवस्था अभी कई चुनौतियों से जूझ रही है. ऐसे में तेल बाज़ार की चिंताओं का भारत पर क्या असर पड़ेगा? </p><p>इसके जवाब में नरेंद्र तनेजा कहते हैं कि भारत को ये घटनाक्रम बहुत चिंतित करता है क्योंकि भारत अपने इस्तेमाल का लगभग 83 फीसदी तेल आयात करता है. </p><p>भारत का दो तिहाई तेल मध्यपूर्व से आता है. सऊदी अरब और इराक़ भारत के मुख्य तेल सप्लायर हैं और कहा जाए तो तेल भारत की अर्थव्यवस्था का केंद्रबिंदु है. </p><p>वो मानते हैं कि इन हालात में अगर तेल की कीमत बढ़ती है तो एक तरफ भारत का आयात बढ़ेगा और दूसरी तरफ देश में पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी तीनों की कीमतें बढ़ेगीं. इसका नतीजा ये होगा कि मंहगाई बढ़ेगी. </p><p>ऐसी स्थिति में जब भारत की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुज़र रही है, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों का बढ़ना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है.</p><p>अगर सऊदी अरब में हालात नहीं सुधरते हैं और आने वाले चार-पांच सप्ताह तक ये चिंताएं बनी रहती हैं तो भारत के लिए भी आने वाला वक्त मुश्किल भरा हो सकता है.</p><p><strong>(</strong><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक कर</a><strong> सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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