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बाढ़ प्रभावित कर्नाटक और केरल में अब कैसे हैं हालात

<figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/DEAE/production/_108260075_img-20190809-wa0110.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Defence PRO Bengaluru</footer> </figure><p>”इस राहत शिविर में हमारे साथ कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी उम्र लगभग 100 साल है. इन लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी इतनी बारिश नहीं देखी और ना ही पानी के स्तर को इस हद तक बढ़ते हुए देखा […]

<figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/DEAE/production/_108260075_img-20190809-wa0110.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Defence PRO Bengaluru</footer> </figure><p>”इस राहत शिविर में हमारे साथ कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी उम्र लगभग 100 साल है. इन लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी इतनी बारिश नहीं देखी और ना ही पानी के स्तर को इस हद तक बढ़ते हुए देखा है.”</p><p>ये शब्द हैं गंगप्पा दसप्पा शिरसेल के, जो कर्नाटक के बेलगावी ज़िले की एक ग्राम पंचायत में क्लर्क हैं.</p><p>शिरसेल बताते हैं, ”बेंसवाडी, मक्कलगिरी और आसपास के गांवों में मिट्टी से बने 450 से अधिक मकान बह गए. सिर्फ़ चार या पांच पक्के मकान ही इस बाढ़ के पानी को झेल पाए. पानी का स्तर इतना ऊंचा पहुंच गया था कि हमें यक़ीन ही नहीं हो रहा था.” </p><p>शिरसेल के अनुसार पहले तो उम्मीद से बहुत अधिक बारिश हुई और उसके बाद घटप्रभ और मार्कंडेय नदियों के ऊपर बने हिडकल बांध से पानी छोड़ दिया गया, जिस वजह से हालात बद से बदतर हो गए.</p><p>शिरसेल इस समय गोकक ज़िले में मेलवंकी इलाके में बने एक राहत शिविर में हैं. उन्हीं की तरह लगभग 95 हज़ार लोग बीते तीन दिन में 467 राहत शिविरों में रहने के लिए आए हैं. कर्नाटक में इन राहत शिविरों को सेना और एनडीआरएफ़ ने बनाया है.</p><h1>कृष्णा नदी का कहर</h1><p>दक्षिण पश्चिम मॉनसून के ज़ोर पकड़ने के साथ ही महाराष्ट्र में कृष्णा नदी सामान्य स्तर से ऊपर बहने लगी. इसके चलते कर्नाटक और केरल में पिछले तीन दिन में कम से कम 44 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें से 28 मौतें सिर्फ केरल में ही हुई हैं.</p><p>महाराष्ट्र में कृष्णा नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद वहां से पानी छोड़ा गया, इसके चलते उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी और बगलकोट ज़िलों में बाढ़ के हालात बन गए.</p><p>वहीं कर्नाटक के दक्षिणी और तटीय ज़िलों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति बन गई. इसमें कोडागु, उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ प्रमुख हैं. वहीं केरल में भी भारी बारिश ने तबाही मचाई.</p><p>केरल में सबसे अधिक प्रभावित ज़िला कोज़िकोड, मलाप्पुरम और वायनाड रहे.</p><figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/12CCE/production/_108260077_img-20190809-wa0108.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Defence PRO Bengaluru</footer> </figure><h1>बारिश के कम होने की उम्मीद</h1><p>ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में बारिश कुछ कम हुई है जिसके चलते कृष्णा नदी और उत्तरी कर्नाटक में पानी का स्तर थोड़ा नीचे पहुंचा है.</p><p>कर्नाटक में आपदा प्रबंधन केंद्र के प्रमुख और राजस्व सचिव टी के अनिल कुमार ने बताया, ”उत्तरी कर्नाटक में भले ही बारिश अभी भी बंद नहीं हुई है लेकिन बांधों से छोड़े जाने वाले पानी को कुछ कम किए जाने की उम्मीद है. हालांकि कर्नाटक के दक्षिणी हिस्से में अभी भी तेज़ बारिश हो रही है. कोडागु, दक्षिण कन्नड़ और उत्तर कन्नड़ इन सभी जगहों को हाईअलर्ट किया गया है.”</p><p>इसके साथ ही अनिल कुमार कहते हैं, ”बेलगावी में नदियां अभी भी उफान पर हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में बारिश कुछ कम होगी.” </p><figure> <img alt="बाढ़ पर कार्टून" src="https://c.files.bbci.co.uk/13E76/production/_108262518_f2924669-f46c-424d-be53-b440e2c127c4.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>लेकिन केरल में हालात बिलकुल अलग हैं. केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने तिरुवनंतपुरम में बाढ़ के हालात का जायज़ा लिया.</p><p>उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ”पेरियाल और वलापट्टनम नदियों का जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. 15 अगस्त को भी बारिश होने का अनुमान है, जिसकी वजह से समुद्र में भी तेज़ लहरें उठ सकती हैं.”</p><p>मुख्यमंत्री ने कहा, ”चलाकुडी नदी में भी जलस्तर ऊपर पहुंच सकता है. लेकिन जिस तरह की रिपोर्ट मिल रही हैं वहां पिछले साल की तरह बाढ़ आने की आशंका नहीं है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम सतर्क नहीं है. सतर्क होने का मतलब परेशान होना नहीं होता. सबसे महत्वपूर्ण है कि कोई भी व्यक्ति बाढ़ से प्रभावित इलाके में ना रहे.” </p><p>विजयन का यह कहना कि लोगों को ख़तरनाक स्थानों में नहीं रहना चाहिए ,बेहद अहम है क्योंकि पिछले साल आई बाढ़ में बहुत से लोगों ने अपने घरों को छोड़ने से इनकार कर दिया था, जबकि उनके घर बाढ़ की चपेट में आ रहे थे.</p><p><a href="https://twitter.com/vijayanpinarayi/status/1159698941438414851">https://twitter.com/vijayanpinarayi/status/1159698941438414851</a></p><h1>राहुल गांधी का संसदीय इलाक़ा प्रभावित</h1><p>केरल में 22,165 लोगों के लिए कुल 315 राहत शिविर खोले गए हैं. लेकिन अभी भी चिंताएं बरकरार हैं. पिछले साल अगस्त में केरल में काफी बारिश हुई थी, इसलिए इस बार भी वैसी ही बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है. </p><p>इसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला वायनाड था. वायनाड के सांसद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी हैं. उन्हें ज़िला प्रशासन ने फ़िलहाल प्रभावित इलाक़े में ना जाने की सलाह दी है. </p><p>प्रशासन का कहना है कि वायनाड में हालात अभी बेहतर नहीं हैं और अधिकारी राहत कार्यों में व्यस्त हैं.</p><p>तमिलनाडु के नीलगिरी ज़िले में भी हालात ख़राब हैं लेकिन फिलहाल वहां से किसी तरह के नुक़सान की ख़बर नहीं आई है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49118229?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">असम: नाव पर रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित </a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48992170?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बिहार बाढ़: कोसी का पानी आने पर पांच घंटे में क्या-क्या बचा पाएंगे लोग?</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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