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इमरान सरकार की पहल : 72 साल बाद पाक में खुला 1,000 साल पुराना मंदिर

बंटवारे के बाद पहली बार खुले शवाला तेजा सिंह मंदिर के द्वार लाहौर : पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारा बाबे की बेर के बाद सियालकोट स्थित 1,000 साल पुराना हिंदू मंदिर बंटवारे के बाद पहली बार पूजा के लिए खोल दिया है. लाहौर से 100 किलोमीटर दूर शहर के धारोवाल क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है. […]

बंटवारे के बाद पहली बार खुले शवाला तेजा सिंह मंदिर के द्वार
लाहौर : पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारा बाबे की बेर के बाद सियालकोट स्थित 1,000 साल पुराना हिंदू मंदिर बंटवारे के बाद पहली बार पूजा के लिए खोल दिया है. लाहौर से 100 किलोमीटर दूर शहर के धारोवाल क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है. इस मंदिर का नाम शवाला तेजा सिंह मंदिर है. शवाला पुरातन भारतीय वास्तुशिल्प का अनूठा नमूना है.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थलों की देखरेख करने वाली इवेक्यू ट्रस्ट पॉपर्टी बोर्ड ने स्थानीय हिंदू समुदाय की मांग पर भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पहली बार मंदिर का दरवाजा खोला है. पहले इस क्षेत्र में हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग नहीं रहते थे, इसलिए यह मंदिर बंद था. दिवंगत लेखक राशिद नियाज द्वारा लिखी गयी ‘हिस्ट्री ऑफ सियालकोट’ में इस मंदिर का जिक्र है.
पाकिस्तान सरकार ने एलान किया है कि गुरुद्वारा साहिब और शवाला को स्थायी रूप से खुला रखा जायेगा और शवाला के संरक्षण का काम भी होगा.
1947 में देश के बंटवारे के बाद इस शवाला मंदिर को बंद कर दिया गया था. उस दौरान हिंदुओं के पलायन कर जाने के बाद यह वीरान हो गया था. 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने बम से उड़ा दिया था. कई स्तंभ क्षतिग्रस्त हो गये थे. तब से यहां पर हिंदुओं का आना-जाना और कम हो गया था.
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद इस मंदिर पर हुआ था हमला
शवाला मंदिर के संरक्षण पर खर्च होगा 50 लाख रुपये
शवाला का निर्माण 1000 साल पहले अर्थात 10वीं सदी में हुआ था. इसी सदी में खजुराहो समेत दक्षिण भारत के तमाम मंदिरों का निर्माण हुआ. शवाला तेजा सिंह पर भी इन्हीं भारतीय मंदिरों के शिल्प की छाप है. इस शवाला के पिलर, गुंबद से लेकर छतों की बनावट तथा भव्य नक्काशी और चित्रकारी दिल को छू लेने वाली है. पाक सरकार शवाला के संरक्षण पर 50 लाख रुपये खर्च करेगी.
पाकिस्तान में 90 लाख से अधिक हैं हिंदू
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यहां करीब 75 लाख हिंदू रहते हैं. लेकिन, इस समुदाय का कहना है कि यहां 90 लाख से ज्यादा हिंदू हैं.

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