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किम जोंग-उन को ट्रंप इतनी तवज्जो क्यों दे रहे

<p><strong>तारीख : 30 जून 2019 </strong></p><p><strong>जगह: उत्तर और दक्षिण कोरिया को बांटने वाला डीएमज़ेड यानी डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन</strong><strong> (असैन्य इलाक़ा)</strong></p><p>फ्लैश चमकाते और दुनिया भर में सीधी तस्वीरें भेजते कैमरे. उनका फ़ोकस चेहरे पर मुस्कुराहट लिए उन दो लोगों पर था, जिनकी अचानक हुई मुलाक़ात पूरी दुनिया का ध्यान खींच रही थी. </p><p>इनमें से एक थे उत्तर […]

<p><strong>तारीख : 30 जून 2019 </strong></p><p><strong>जगह: उत्तर और दक्षिण कोरिया को बांटने वाला डीएमज़ेड यानी डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन</strong><strong> (असैन्य इलाक़ा)</strong></p><p>फ्लैश चमकाते और दुनिया भर में सीधी तस्वीरें भेजते कैमरे. उनका फ़ोकस चेहरे पर मुस्कुराहट लिए उन दो लोगों पर था, जिनकी अचानक हुई मुलाक़ात पूरी दुनिया का ध्यान खींच रही थी. </p><p>इनमें से एक थे उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन. </p><p>गर्मजोशी के साथ ट्रंप का स्वागत करते हुए किम जोंग उन ने कहा, &quot;मैंने कभी सोचा नहीं था कि आपसे यहां मुलाक़ात होगी.&quot;  </p><p>उत्साहित किम ने आगे कहा, &quot;राष्ट्रपति ट्रंप ने अभी विभाजन रेखा पार की. इसके मायने ये हैं कि वो पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं जो हमारी ज़मीन पर आए हैं.&quot; </p><h3>उत्साहित ट्रंप</h3><p>इस अप्रत्याशित और नाटकीय मुलाक़ात की पहल करने वाले अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी उतने ही उत्साहित थे. </p><p>किम जोंग उन का हाथ थामे डोनल्ड ट्रंप बोले, &quot;मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूं कि ये मेरे लिए सम्मान की बात है. ये एक उम्दा दोस्ती की मिसाल है. मैं आपको शुक्रिया कहना चाहता हूं.&quot; </p><p>जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान गए ट्रंप ने ट्विटर पर संदेश भेजकर किम जोंग उन को इस मुलाक़ात का न्योता दिया था. </p><p>उत्तर कोरिया की ज़मीन पर क़दम रखने के बाद ट्रंप किम जोंग उन के साथ दक्षिण कोरिया लौटे. ये मुलाक़ात सिर्फ़ हाथ मिलाने तक सीमित रहनी थी लेकिन जब दोनों नेता ‘फ्रीडम हाउस’ नाम की इमारत में साथ बैठे तो मीटिंग एक घंटे तक चली. </p><p>नतीजा ये रहा कि दोनों नेता उत्तर कोरिया के परमाणु मुद्दे पर फ़रवरी में ठप हो गई बातचीत बहाल करने की संभावना तलाशने पर तैयार हो गए. </p><figure> <img alt="अख़बार" src="https://c.files.bbci.co.uk/A641/production/_107716524_055009380-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> <figcaption>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की मुलाक़ात को उत्तर कोरिया के मीडिया में अच्छी जगह मिली. उत्तर कोरिया के मीडिया में आम तौर पर बाहरी दुनिया की ख़बरें कम ही रहती हैं.</figcaption> </figure><h3>नज़र आई गर्मजोशी</h3><p>अमरीका की कूटनीति पर क़रीबी नज़र रखने वाले डेलावेयर यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मुक्तदर ख़ान दोनों नेताओं के हाव भाव को एक सकारात्मक संकेत की तरह देखते हैं. </p><p>मुक्तदर ख़ान कहते हैं, &quot;कूटनीतिक तौर पर ये मुलाक़ात और दोनों नेताओं का सकारात्मक तरीक़े से हाव-भाव दिखाना ज़ाहिर करता है कि उन्होंने बातचीत का विकल्प खुला रखा है और उनमें दुश्मनी वाली बात नहीं है. इसे एक उपलब्धि कह सकते हैं. अब ये डर नहीं है कि जंग हो सकती है.&quot; </p><p>लेकिन, इस मुलाक़ात को लेकर हर विश्लेषक की राय इतनी सकारात्मक नहीं है. कई विश्लेषकों ने इस मुलाक़ात को ‘पॉलिटिकल थियेटर’ यानी राजनीतिक नौटंकी बताकर ख़ारिज करना शुरू कर दिया.</p><h3>तकरार से दोस्ती की बात तक</h3><p>ऐसी आशंकाओं का आधार भी रहा है. साल 2017 तक दुनिया ने देखा है कि ट्रंप उत्तर कोरिया के अपने इस दोस्त को ख़ुदकुशी पर आमादा रॉकेट मैन बताते थे. </p><p>वहीं, किम दावा करते थे कि परमाणु हथियार से लैस उनकी बैलेस्टिक मिसाइलें अमरीका तक पहुंच सकती हैं और इनका बटन उनकी मेज पर है. </p><p>किम जोंग उन के इर्द गिर्द बना रहस्य का घेरा और व्हाइट हाउस में अपने हर दिन को टीवी रियलिटी शो की तरह दिलचस्प बनाने के हामी ट्रंप के बयान तब खूब सुर्खियां बनाते थे. </p><p>फिर, अचानक नाटकीय अंदाज़ में ये नफ़रत मुहब्बत में बदलने लगी. किम जोंग उन ने बातचीत के लिए तैयार होने के संकेत दिए और ट्रंप ने बिना कोई शर्त लगाए मुलाक़ात की तारीख़ तय कर दी. </p><figure> <img alt="अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन." src="https://c.files.bbci.co.uk/14281/production/_107716528_afc9f777-3346-4e49-bb44-a50a6bfdf9e7.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> <figcaption>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की पहली मुलाक़ात बीते साल सिंगापुर में हुई थी.</figcaption> </figure><h3>क्यों बिगड़ी बात?</h3><p>12 जून 2018 को सिंगापुर में हुई पहली मुलाक़ात में दोस्ती की बात हुई. तब ट्रंप ने कहा कि दोनों नेता आपस में ‘प्यार करने लगे हैं.'</p><p>लेकिन,वियतनाम के हनोई में इस साल फ़रवरी में ये दोनों नेता दूसरी बार मिले तो दोस्ती की चूलें हिलती दिखीं. बात टूटी और उत्तर कोरिया अमरीकी सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को कोसने लगा. </p><p>प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं, &quot;बातचीत आगे नहीं बढ़ने की एक वजह थी कि ट्रंप ने अपने प्रशासन में युद्धोन्मादियों को भरा हुआ है. (एनएसए) जॉन बोल्टन और (विदेश मंत्री माइक) पॉम्पियो. इसके पहले की बातचीत पटरी से उतरने की वजह नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र बोल्टन हैं, उन्होंने ब्यौरे में बदमाशी की, उन्होंने उत्तर कोरिया पर सख्त शर्तें लगाई थीं. ऐसा लग रहा था कि अमरीका चाहता है कि उत्तर कोरिया सहमत न हो. ऐसी शर्तें थीं. ट्रंप ने भी इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बात की.</p><figure> <img alt="किम जोंग उन" src="https://c.files.bbci.co.uk/17B7/production/_107717060_dccc3ba8-5b9f-4736-b2cc-c005c167c479.jpg" height="351" width="624" /> <footer>AFP</footer> <figcaption>उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था कड़े प्रतिबंधों की वजह से चरमरा गई है. बारिश कम होने से उत्तर कोरिया में खाने के सामान की भारी दिक्कत है.</figcaption> </figure><h3>मुश्किल में अर्थव्यवस्था</h3><p>परमाणु और मिसाइल परीक्षण के बाद लगे प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और इन पाबंदियों में ढील उसकी पहली मांग है. </p><p>बारिश की कमी से उत्तर कोरिया में अकाल की स्थिति है. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया के मुताबिक उनका देश चार दशक के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहा है. </p><p>संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उत्तर कोरिया की करीब 40 फ़ीसद आबादी यानी क़रीब एक करोड़ लोग खाने के सामान की कमी से जूझ रहे हैं. </p><p>लेकिन क्या ये स्थितियां उत्तर कोरिया को झुकने पर मजबूर कर सकती हैं. इस सवाल का जवाब देते हैं दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत रह चुके शशांक कहते हैं, &quot;उत्तर कोरिया की जनता बहुत कष्ट सह रही है. वहां भुखमरी है. इसलिए ज़रूरी है कि वो आगे बढ़ें. लेकिन दूसरी तरफ़ हमको ये भी मानकर चलना है कि उनकी ज़रूरत कभी इतनी अहम नहीं हो सकती है कि वो मिसाइल टेस्ट करने की क्षमता अमरीका की तरफ़ से कोई प्रगति हुए बिना ही छोड़ दें.&quot; </p><figure> <img alt="रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन" src="https://c.files.bbci.co.uk/B3F7/production/_107717064_8d2c7435-a886-42b2-9415-34f83b7575af.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h3>किम जोंग उन की रणनीति</h3><p>अमरीका से बातचीत टूटने के बाद किम ने <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48048094?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रूस जाकर</a> वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की. उत्तर कोरिया ने मई में एक हफ़्ते से कम वक़्त के दौरान कम दूरी वाली मिसाइलों के दो परीक्षण किए और विश्लेषकों को लगा कि ये अमरीका पर दवाब बनाने की कोशिश है. </p><p>कोरियाई प्रायद्वीप के घटनाक्रम पर करीबी नज़र रखने वाले शशांक कहते हैं, &quot;किम जोंग-उन की हमेशा से आदत रही है, जैसे पहले छह पक्षीय बातचीत भी होती थी, तो भी वो कोशिश करते रहे हैं कि अलग-अलग पक्षों के बीच क्या मतभेद हो सकते हैं और वो उसका कैसे लाभ ले सकते हैं.” </p><p>”जब उनको मालूम हुआ कि ट्रंप चाहते हैं कि वो अमरीका तक पहुंच सकने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण रोक दें तो वो दिखाना चाहते थे कि अगर हम उसे नहीं कर रहे हैं तो कम से कम कम दूरी की मिसाइल का टेस्ट तो कर लें. जो पड़ोसी देश हैं, उन पर तो निशान लगा सकते हैं.&quot; </p><figure> <img alt="चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन" src="https://c.files.bbci.co.uk/65D7/production/_107717062_38e6b6a9-573c-47f3-b43b-158ed7e6a3dc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h3>चीन की भूमिका</h3><p>मिसाइल टेस्ट पर ट्रंप की शुरुआती प्रतिक्रिया गंभीर थी लेकिन मई में वो जापान के दौरे पर गए तो ज़्यादा चिंतित नहीं दिखे. लेकिन जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे ने फ़िक्र छुपाने की कोशिश नहीं की. </p><p>दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कोरियन स्टडीज़ डिपार्टेमेंट के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर कौशल कुमार कहते हैं कि इस क्षेत्र में चीन को छोड़कर हर देश चिंतित है.</p><p>कौशल कुमार कहते हैं, &quot;चीन जानता है कि अगर उत्तर कोरिया कुछ करता है तो ख़तरा उसके लिए नहीं बल्कि दक्षिण कोरिया और जापान के लिए होगा.&quot; </p><p>अमरीका, दक्षिण कोरिया और जापान तो फ़िक्रमंद चीन की नीतियों को लेकर भी हैं. वहीं, चीन ज़ाहिर करता रहा है कि वो चाहता है कि कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव घटे और अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत बहाल हो. ग़ौरतलब ये भी कि जी-20 सम्मेलन के सिर्फ़ एक हफ़्ते पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उत्तर कोरिया का दौरा किया. </p><p>इसे लेकर शशांक कहते हैं, &quot;लगता है कि चीन ने काफ़ी सकारात्मक भूमिका निभाई है. ये कोशिश की है कि किम जोंग-उन सकारात्मक प्रतिक्रिया दें. शी जिनपिंग उत्तर कोरिया गए. उसके बाद ओसाका (जापान) में राष्ट्रपति ट्रंप और जिनपिंग की बात हुई, वहां ट्रंप ने उनकी स्थिति को मंजूर भी कर लिया.&quot;</p><figure> <img alt="अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन." src="https://c.files.bbci.co.uk/10217/production/_107717066_054990778-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h3>उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं ट्रंप</h3><p>लेकिन, जी-20 सम्मेलन के पहले ही किम और ट्रंप के बीच पत्र भेजने का सिलसिला शुरू हो गया था. ईरान के लिए कड़ी भाषा का इस्तेमाल करने वाले ट्रंप उत्तर कोरिया के नेता पर मेहरबान दिखते थे. मुक्तदर ख़ान की इसकी वजह तलाशने की कोशिश करते हैं. </p><p>वो कहते हैं, &quot;ट्रंप चाहते हैं कि उनके लिए एक बहुत बड़ा मौक़ा हो. इसका चुनाव पर भी असर हो सकता है. दूसरी बात ये है कि लोग कहते हैं कि ट्रंप अपने प्रशासन को एक टेलीविजन शो की तरह देखता है और अगर शांति समझौता हो जाता है तो ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.&quot; </p><p><strong>क्या होगा अगला </strong><strong>क़दम</strong><strong>?</strong></p><p>उत्तर कोरिया की ज़मीन पर क़दम रखकर ट्रंप ने ना सिर्फ़ इतिहास बनाया है बल्कि एक ऐसे देश की अवधारणा को बदलने की कोशिश की है जिसने बरसों तक अमरीका में एक दुश्मन की छवि देखी है. लेकिन क्या इतने भर से अविश्वास की खाई पट सकती है? </p><p>कौशल कुमार कहते हैं, &quot;मेरे ख्याल से ये बात आगे जानी चाहिए. डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि प्रतिबंध हटाए नहीं जा रहे हैं लेकिन हम इस पर बात करेंगे. कमिटी बनेगी और इसके हिसाब से तय किया जाएगा. इन्होंने किम जोंग उन को व्हाइट हाउस आने का न्योता भी दिया है. डोनल्ड ट्रंप इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं और दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि अमरीका आज भी वर्चस्व रखता है और जो चाहेगा वो करेगा ही.&quot; </p><p>संबंध सुधरे तो अमरीका और ट्रंप दोनों का दबदबा बढ़ेगा लेकिन ताक़त को उत्तर कोरिया की सुरक्षा की गारंटी मानने वाले किम जोंग उन क्या परमाणु हथियार हटाने के लिए सहमत होंगे ? </p><p>इस सवाल का पूर्व राजनयिक शशांक जवाब देते हैं, &quot;उत्तर कोरिया का ये मानना है कि अमरीका में जब सरकार बदलती है तो हर सरकार नया रवैया अपनाती है. ऐसे में उनके साथ एक ही तरह की बात करना थोड़ा मुश्किल पड़ता है. मेरे ख्याल से इसलिए वो देखना चाहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप वाकई आगे बढ़ने को तैयार हैं या फिर वो सिर्फ समय निकाल रहे हैं.&quot;</p><p>बीते रविवार को उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा पर समय का जो पल क़ैद हुआ है वो उम्मीद जगाता है लेकिन ट्रंप और किम दोनों ही जानते हैं कि इसमें भरोसे के रंग भरे जाने बाकी हैं. दोनों पक्षों की असल चुनौती भी यही है. </p><p><strong>ये भी पढ़ें </strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48689293?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हॉन्गकॉन्ग क्या पूरी तरह से चीन का हो पाएगा</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48533709?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इसराइल में उतार पर है नेतन्याहू का जादू? </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46804208?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’पर्दे में हैं लेकिन बेअक्ल कठपुतली नहीं सऊदी महिलाएं'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-45497365?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमीर, खुशहाल और उदार स्वीडन क्यों बदल रहा है? </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-47470242?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या पाक के चरमपंथी समूह ISI के हथियार हैं?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-47228063?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">थाईलैंड में राजा या सेना किसकी चलती है </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46127128?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’दुकानदार ट्रंप’ के टशन से कब तक टक्कर ले पाएगा ईरान</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-45803733?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">धरती का बढ़ता रहा बुख़ार तो आएगा महाप्रलय!</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-45335820?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तानी फ़ौज के सामने इमरान की कितनी चलेगी?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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