केंद्र सरकार ने सड़क क्षेत्र की ख़स्ता हालत के लिए पिछली सरकार की नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया है जिनके कारण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की लगभग 60 प्रतिशत परियोजनाएं विवादों में फंसी हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एनएचएआई पर जारी अपने श्वेत पत्र में यह बात कही है.
इसमें कहा गया है कि एनएचएआई पर दबाव बनाया गया कि वह भूमि अधिग्रहण तथा अन्य मंज़ूरियां हासिल किए बिना ही परियोजनाएं आवंटित करे.
श्वेत पत्र के मुताबिक़ एनएचएआई की 332 में से 189 परियोजनाएं विवादों में फंसी हैं. ये परियोजनाएं 20 राज्यों में हैं तथा इनसे 27,210 करोड़ रुपए का निवेश जुड़ा है.
नंबरों का खेल
इसके अनुसार, परियोजनाओं के आवंटन को अनावश्यक महत्व दिया गया और परियोजनाएं आवंटित करना आंकड़ों का खेल बन गया.
वित्तीय सेवा विभाग (डीओएफ़एस) तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की कारगुजारियों से सड़क निर्माण क्षेत्र की हालत खस्ता होने लगी.
इसके अनुसार अलग-अलग मंत्रालय अपने-अपने अधिकार क्षेत्र को बचाने और अपनी बात मनवाने की होड़ में इस कदर मशगूल थे कि उन्हें राष्ट्र हित की भी परवाह नहीं थी.
श्वेत पत्र के मुताबिक़ पिछली सरकार ने बिना किसी नीति के ही परियोजनाएं आवंटित कीं.
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