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हार्वर्ड में नस्लभेद: एशियाई-अमेरिकी मूल के छात्रों के साथ होता है भेदभाव

नेशनल कंटेंट सेल-सामने आयी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की चयन प्रक्रिया12वीं की परीक्षा के बाद छात्रों का अगला पड़ाव होता है कॉलेज में एडमिशन. कॉलेज की पढ़ाई ही भविष्य का आधार है और उसपर ही कैरियर की इमारत टिकी है. ऐसा सोच कर ही हर साल हजारों छात्र हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए आवेदन करते हैं. […]

नेशनल कंटेंट सेल
-सामने आयी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की चयन प्रक्रिया
12वीं की परीक्षा के बाद छात्रों का अगला पड़ाव होता है कॉलेज में एडमिशन. कॉलेज की पढ़ाई ही भविष्य का आधार है और उसपर ही कैरियर की इमारत टिकी है. ऐसा सोच कर ही हर साल हजारों छात्र हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए आवेदन करते हैं. लेकिन, अफसोस कि टॉप ग्रेड और परफेक्ट 10 का स्कोर होने के बावजूद उनका एडमिशन हार्वर्ड में नहीं हो पाता. लेकिन, एडमिशन मिले भी तो कैसे? बॉस्टन की एक फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुए खुलासे में हार्वर्ड पर एशिया-अमेरिकी मूल के छात्रों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा है. छात्रों को प्रवेश देने की प्रक्रिया से जुड़ी सच्चाई पहली बार दुनिया के सामने आयी.

अमेरिका की एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के मुताबिक, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को हर साल 43 हजार आवेदन मिले, लेकिन सिर्फ 2024 को ही एडमिशन मिल पाया. यानी, 20 आवेदन में सिर्फ एक छात्र को ही एडमिशन मिल पाता है. लेकिन, अब हार्वर्ड की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर से पर्दा उठ गया है. हार्वर्ड में दाखिले के लिए परफेक्ट टेस्ट और ग्रेड स्कोर का कोई महत्व नहीं है. दाखिले के लिए रेटिंग बहुत मायने रखती है. हार्वर्ड को मिले 1.60 लाख आवेदन को देखने से पता चलता है कि 55 हजार से ज्यादा छात्रों की फाइलों को एक या दो रेटिंग नहीं मिलती. यानी वे पहले ही बेकार घोषित कर दिये जाते हैं. रेटिंग पाने वाले छात्रों की संख्या सिर्फ 100 के आसपास होती है.

यह है हार्वर्ड का सेलेक्शन प्रोसेस

-20 समूहों में बांटे जाते हैं आवेदन

-चार-पांच लोगों की कमेटी छात्रों के स्कोर और सिफारिशी पत्र जांचती है. छात्र किस नस्ल या किस क्षेत्र का रहने वाला है, यह भी देखा जाता है.

-हर अप्लीकेशन को 1- 6 के बीच रेटिंग दी जाती है. एक का अर्थ है सबसे बेहतर और छह यानी एडमिशन की संभावना ही नहीं.

-फाइल को 40 लोगों की एडमिशन कमेटी के पास भेजा जाता है. कमेटी अंतिम फैसला करती है.

कॉलेज के डीन ने किया प्रवेश नीति का बचाव
हार्वर्ड ने ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए एडमिशन के मापदंड घटा दिये हैं. लेकिन, एशियाई मूल के अमेरिकी लोगों को इससे वंचित रखा गया है. नस्ल आधारित प्रवेश का बचाव करते हुए यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ एडमिशन्स ने सोमवार को अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने यूनिवर्सिटी की प्रवेश नीति का बचाव किया. मुकदमा इस बात को लेकर है कि क्या हार्वर्ड नागरिक अधिकार कानून का उल्लंघन करते हुए एशियाई-अमेरिकी मूल के आवेदकों के साथ भेदभाव करती है.

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