लंदन : बहुमुखी प्रतिभा के धनी इतालवी कलाकार लियोनार्दो दा विंची की आंखों में संभवत: ऐसा विकार था जिसके चलते उनके पास अपनी मूर्तियों एवं चित्रों को त्रिआयामी आकार देने की असाधारण क्षमता थी. एक अध्ययन में ऐसा सामने आया है. भेंगापन कही जाने वाली इस स्थिति में व्यक्ति की आंखें अलग-अलग दिशाओं में देखती नजर आती हैं. लेकिन इस विकार से पीड़ित लोगों में एक बार में केवल एक ही आंख किसी दृश्य को समझ पाती है.
ब्रिटेन के लंदन विश्वविद्यालय के क्रिस्टोफर टाइलर ने दा विंची के स्वयं के चित्र या तस्वीर मानी जानी वाली छह श्रेष्ठतम कृतियों में आंखों का आकलन किया. इनमें वर्चुवियन मैन और सेल्वाटर मुंडी जैसी रचनाएं भी शामिल थी जो अब तक के सबसे कीमती चित्र हैं. अध्ययन में बताया गया कि दा विंची को यह भेंगापन हमेशा नहीं रहता था बल्कि कभी-कभी ऐसा होता था.
इस विकार के चलते दा विंची को गहरे बोध के लिए अपनी दोनों आखों से जुदा-जुदा अंदाज में किसी दृश्य को देखने की और किसी चपटे, द्विआयामी कैनवास पर त्रिआयामी छवि को उतारने के लिए केवल एक आंख का प्रयोग कर सकने की क्षमता प्राप्त थी. टाइलर ने कहा, “ रैमब्राण्ट से लेकर पिकासो तक कई महान कलाकारों के बारे में माना जाता है कि उनकी आंखों में भेंगापन था और ऐसा लगता है कि दा विंची को भी यही विकार था.” यह अध्ययन जेएएमए ऑप्थाल्मोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.