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बिहार में गाजे-बाजे के साथ निकली सांड की शव-यात्रा

<p>बिहार के गया ज़िले के बड़ा बाजार इलाक़े में शनिवार को एक अजीब नज़ारा देखने को मिला.</p><p>हर-हर महादेव के नारे की गूंज और ढोलक की थाप के बीच यहाँ एक सांड की शव-यात्रा निकाली गई.</p><p>भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए इस शव-यात्रा में क़रीब 150 लोग शामिल हुए जिनमें हिंदू और मुसलमान, दोनों थे.</p><p>सांड का […]

<p>बिहार के गया ज़िले के बड़ा बाजार इलाक़े में शनिवार को एक अजीब नज़ारा देखने को मिला.</p><p>हर-हर महादेव के नारे की गूंज और ढोलक की थाप के बीच यहाँ एक सांड की शव-यात्रा निकाली गई.</p><p>भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए इस शव-यात्रा में क़रीब 150 लोग शामिल हुए जिनमें हिंदू और मुसलमान, दोनों थे.</p><p>सांड का शव एक बैलगाड़ी पर रखा हुआ था और उसके कफ़न को फूल-माला से सजाया गया था.</p><p>स्थानीय लोगों ने इस गाड़ी को पूरे बाज़ार में घुमाया.</p><p>तक़रीबन 10 साल की उम्र वाले इस सांड को कुछ लोग ‘बादशाह’ बुलाते थे तो कुछ लोग ‘डॉन’ कहते थे.</p><h3>ज़हरीली दवा से मौत</h3><p>बाज़ार में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि शहर के ही एक व्यवसायी इस सांड को लेकर आये थे.</p><p>चंचल यादव की बड़ा बाज़ार में गैस-चूल्हे की दुकान है.</p><p>उन्होंने बताया, ”सुबह हमने देखा तो इस सांड के मुँह से झाग निकल रहे थे. वो इधर-उधर भाग रहा था. कुछ देर बाद वो गिर गया. कुछ लोगों ने डॉक्टर को भी बुलाया था. लेकिन वो बच नहीं पाया.”</p><p>स्थानीय लोगों के अनुसार, डॉक्टर ने बताया कि सड़क पर पड़ी कोई ज़हरीली दवाई खाने के कारण सांड की मौत हुई.</p><p>मौत के बाद इलाक़े में एक बैठक हुई और लोगों ने ये फ़ैसला किया कि सांड को विधिपूर्वक दफ़्न किया जाये.</p><p>इम्तियाज़ अंसारी की बड़ा बाज़ार में ही टेलर की दुकान है. वो बताते हैं, ”हमने तय किया कि सांड को पूरी इज़्ज़त के साथ एक इंसान की तरह दफ़्न करेंगे. शहर में इसके लिए चंदा इक्ट्ठा किया गया. कोई चार हज़ार रुपये जमा हुए.”</p><p>लोगों ने बताया कि बाज़ार से क़रीब आधा किलोमीटर दूर एक मुख्य सड़क के पास गढ्ढा खोदकर उस सांड को दफ़नाया गया है.</p><p>बड़ा बाजार के लोगों ने क़रीब तीन साल पहले भी इसी तरह एक सांड को दफ़नाया था.</p><p>दो साल पहले बिजली का झटका लगने से एक बंदर की मौत हो गई थी. उसके बाद बंदर को न केवल हिंदू विधि-विधान से दफ़नाया गया, बल्कि बंदर को दफ़नाने वाली जगह पर गाँव वाले मिलजुल कर मंदिर भी बना रहे हैं.</p><p>बादशाह नाम के जिस सांड को दफ़नाया गया है, बाज़ार के लोगों का दावा है कि मृत्यु से बारह दिन बाद उसके नाम का भंडारा भी किया जाएगा.</p><p>चंचल यादव ने कहा, ”एक तरफ गोरक्षा के नाम पर देश में हिंदू-मुस्लिम की बात हो रही है. लोग सेवा नहीं करके नफ़रत की राजनीति कर रहे हैं. इसके ख़िलाफ़ संदेश देने के लिए बड़ा बाजार के हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर ये शव-यात्रा निकाली. हमारा संदेश है कि सब लोग मिलजुल कर रहें.”</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/magazine-45129728">शंभू सांड़ के मारे जाने पर 11 साल पहले ब्रिटेन में मचा था हंगामा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45019514">ब्राज़ीली गाय की रगों में गुजरात के साँड़ का ख़ून</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-42669031">साँड़ पालने के लिए महिला ने नहीं की शादी</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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