बीजिंग : चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवारको कहा कि चीन अपनी एक भी इंच जमीन नहीं छोड़ेगा तथा वह विश्व में अपना स्थान हासिल करने के लिए खूनी संघर्ष को भी तैयार है. संसद के 18 दिन लंबे सत्र के अंतिम दिन अपने आधे घंटे के भाषण में शी ने कहा, ‘चीन के लोग और चीनी राष्ट्र का साझा दृढ़ मत है कि हमारी जमीन का एक इंच भी चीन से अलग नहीं किया जा सकता है.’
हालांकि, शी ने किसी भी देश के साथ सीमा विवाद का जिक्र नहीं किया. चीन भारत के साथ सीमा विवाद के अलावा पूर्वी चीन सागर के उन द्वीपों पर भी अपना हक जमाता है जो फिलहाल जापान के प्रशासनिक क्षेत्र में आते हैं. इनके अलावा दक्षिण चीन सागर में नियंत्रण को लेकर वह वियतनाम, फिलीपींस, मलयेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के साथ उलझा हुआ है. शी ने कहा कि चीन के पास विश्व में अपना स्थान हासिल करने की क्षमता है. उन्होंने कहा, ‘चीनी लोग दृढ़ एवं निश्चयी हैं. हम अपने दुश्मनों के साथ खूनी संघर्ष के लिए तैयार हैं और आजादी के आधार पर अपने हिस्से को फिर से कब्जा करने को प्रतिबद्ध हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास विश्व में अपना स्थान हासिल करने की पूरी क्षमता है. हम पिछले 170 सालों से इसके लिए लड़ रहे हैं. आज चीनी लोग पहले की अपेक्षा इस सपने को सच करने के सर्वाधिक करीब, सर्वाधिक क्षमतावान हैं.’
इस सत्र के दौरान नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (चीन की संसद) ने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर दिया. इसके साथ ही शी के जीवनपर्यंत राष्ट्रपति पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया है. सत्र के दौरान 2970 सांसदों ने बतौर राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के रूप में शी को दूसरे कार्यकाल के लिए चुना. पिछले वर्ष अक्तूबर में शी को लगातार दूसरी बार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का महासचिव चुना गया था. पार्टी और सेना प्रमुख होने के साथ-साथ जीवनपर्यंत राष्ट्रपति पद पर बने रहने की संभावनाओं के साथ ही शी सीपीसी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद देश के सबसे ताकतवर नेता बन गये हैं.
अतीत की परंपराओं से अलग हट कर शी ने मंगलवारको संसद सत्र के अंतिम दिन उसे संबोधित किया जिसका पूरे देश में प्रसारण किया गया. ताइवान के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘हमें अपने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करनी चाहिए और मातृभूमि के पूर्ण एकीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए.’ गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. उन्होंने देश में अलगाववादियों को भी कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि चीन के लोगों में अलगावादियों के कदमों को विफल बनाने का दृढ़ निश्चय, पूरा विश्वास और पूर्ण क्षमता है. शी ने अपने भाषण में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को ‘विभाजनकारी’ बताया. उन्होंने अमेरिका को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘चीन कभी दबदबा नहीं बनायेगा या विस्तारवादी नीति नहीं अपनायेगा. वे लोग जो हर किसी को डराते रहते हैं उन्हें ही हर चीज से डर लगता है.’