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Bengal News: राजू झा हत्या मामले में 9 दिन बाद भी पुलिस को नहीं मिला सुराग, तलाश रही कई संभावनाएं

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान में कोल माफिया राजू झा हत्या मामले में पुलिस को नौंवे दिन भी सुराग नहीं मिला है. अब एडवांस टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है. संभावना है कि अपराधी एक-दूसरे से बात करने के लिए कॉलिंग ऐप का इस्तेमाल किया होगा. हालांकि, पुलिस का कहना है कि इस मामले से जल्द पर्दा उठेगा.

बर्दवान (मुकेश तिवारी) : कोल माफिया राजू झा हत्या मामले में पुलिस को अब तक अपराधियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. पुलिस सृत्रों की मानें, तो अपराधियों ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. पुलिस इस बात पर भी विशेष ध्यान दे रही है कि शायद अपराधी एक-दूसरे के साथ संवाद करने के लिए विशेष कॉलिंग ऐप का उपयोग किया होगा. मालूम हो कि एक अप्रैल को पूर्व बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ में दुर्गापुर के कोयला कारोबारी राजू झा की अज्ञात अपराधियों ने नृशंस हत्या कर दी थी. इसके बाद से ही पुलिस सिर्फ लकीर पीट रही है.

घटना के नौ दिन बाद भी पुलिस को नहीं मिले अपराधियों के सुराग

घटना के नौ दिन गुजर गये‍. इसके बावजूद पुलिस कोई ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में भी अपराधियों ने उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है. क्राइम इंवेस्टिगेशन एजेंसियों का भी आधुनिकीकरण हुआ है. लेकिन, आधुनिक तकनीक के प्रयोग में अपराधी पुलिस से आगे दिख रही है.

विभिन्न जांच एजेंसियों को आधुनिकीकरण किया गया

साइबर टेक्नोलॉजी के विकास से पूर्व बर्दवान जिला पुलिस सहित विभिन्न जांच एजेंसियों को आधुनिकीकरण किया गया है. कई हत्याएं, डकैतियां या साइबर ठगी की घटनाएं भी सफलता के करीब पहुंच गयी है. उस मामले में पुलिस की सफलता की कुंजी मोबाइल नंबर ट्रैकिंग थी. अपराध के आयोजन से पहले और उसके बाद की अवधि के दौरान किसी विशेष स्थान के मोबाइल टावरों से कितनी कॉल की गईं, इसकी जानकारी (डंपिंग) जांच के लिए महत्वपूर्ण हो गई. उसके बाद अपराधियों के भागने के संभावित रास्तों के साथ-साथ विभिन्न मोबाइल टावरों के मोबाइल डंपिंग को एकत्रित कर संभावित अपराधियों की पहचान की जाती है.

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कॉलिंग ऐप का उपयोग कर रहे अपराधी

पुलिस और विभिन्न जांचकर्ताओं की इस तरह की ‘सफलता’ कुख्यात अपराधियों के लिए चेतावनी बन गई है. इसलिए आपराधिक दुनिया के लोग अब मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उनके पास मोबाइल सेट होने के बावजूद वे उनके मोबाइल नंबर से कॉल या कैच नहीं कर रहे हैं. ऐसा करने में विफल रहने पर उस नंबर को मोबाइल टावर पर डंप नहीं किया जाएगा. यानी पुलिस को उस जगह के मोबाइल टावर से अपराधियों का संभावित मोबाइल नंबर नहीं मिल पाएगा. अब अपराधी एक-दूसरे से संपर्क में रहने के लिए अत्याधुनिक कॉलिंग ऐप्स की मदद ले रहे हैं. ये ऐप जांचकर्ताओं के लिए बातचीत को ट्रैक करना लगभग असंभव बना रहे हैं.

क्या है मामला

पिछले शनिवार को पूर्व बर्दवान के शक्तिगढ़ के पास राजू झा की हत्या कर दी गई थी. हमलावर नीले रंग की कार में आये और राजू झा की गोली मारकर हत्या कर दी थी. राजू के साथी ब्रतिन मुखर्जी के हाथ में गोली लगी थी. अब्दुल लतीफ गौ तस्करी मामले में सीबीआई के कटघरे में है. कार भी लतीफ की है. हालांकि, घटना के बाद अब्दुल लतीफ का वीडियो वायरल हआ जिसमें अब्दुल लतीफ फोन पर किसी से बात करते दिखे. अगर अब्दुल लतीफ सामान्य कॉलिंग यानी मोबाइल नंबर से कॉल कर रहे थे, तो सीबीआई को उस तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. चूंकि, राजू झा के हमलावरों ने किसी के इशारे पर ही सुपारी किलर के मार्फत इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. वे उस मुखबिर के नियमित संपर्क में रहे होंगे. नतीजतन, पुलिस के लिए शक्तिगढ़ और अन्य जगहों पर टावर डंपिंग से उनके संभावित मोबाइल नंबरों की पहचान करना आसान हो जाता. पुलिस जल्द ही अपराधी की पहचान कर सकती थी.

अब तक नहीं मिले कोई सुराग

सूत्रों के मुताबिक, जांचकर्ताओं को इस मामले में अब मामले में कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हमलावर एक खास कॉलिंग ऐप के जरिए मास्टर माइंड या सुपारी किलर के संपर्क में थे. नतीजतन, जांचकर्ता अभी तक उन्हें पकड़ नहीं पाये हैं. इस हत्याकांड के मद्देनजर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए जिला पुलिस प्रकोष्ठ के दक्ष अधिकारियों पर विशेष भरोसा कर रहा है. साइबर की समझ रखने वाले पुलिस अधिकारी भी एसआईटी को कोई उपयोगी लिंक प्रदान करने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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