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सोशल मीडिया से सबसे बड़ा दर्द क्या है? किशोरों ने खोली डिजिटल दुनिया की सच्चाई, स्टडी में बड़ा खुलासा

Adolescent Digital Life: वैश्विक स्टडी में खुलासा, किशोर चाहते हैं कि वयस्क उनकी डिजिटल दुनिया को समझें, सपोर्ट करें और ऑनलाइन तनाव से निपटने में मार्गदर्शन दें

Adolescent Digital Life: दुनिया भर में किशोर सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल अपने रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा मानकर करते हैं. लेकिन डिजिटल प्लैटफॉर्म उनके मन और व्यवहार पर क्या असर डालते हैं- इस पर चर्चा में अक्सर उनकी आवाज गायब रहती है. यूनिसेफ समर्थित एक वैश्विक अध्ययन ने पहली बार साफ बताया है कि किशोर अपनी ऑनलाइन दुनिया को लेकर वयस्कों से क्या चाहते हैं.

वैश्विक स्टडी में सामने आयी किशोरों की सच्ची भावनाएं (Adolescent Digital Life)

यह अध्ययन बेल्जियम, चिली, मिस्र, इंडोनेशिया, चीन, स्वीडन, अमेरिका सहित 11 देशों के 490 किशोरों पर आधारित था. नतीजे बताते हैं कि अलग-अलग देशों के युवा डिजिटल व्यवहार पर लगभग एक जैसी भावनाएं साझा करते हैं- जो एक ही प्रकार की वैश्विक डिजिटल संस्कृति को दर्शाता है.

ओवरऑल फीडबैक- वयस्क हमें समझते ही नहीं

अधिकतर किशोरों ने माना कि वयस्क न तो उनकी ऑनलाइन गतिविधियों को समझते हैं और न ही उनमें रुचि लेते हैं. कई युवाओं ने कहा कि वे डिजिटल स्पेस में भावनात्मक सपोर्ट पाते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर वयस्कों की मार्गदर्शन भूमिका बहुत कमजोर होती है. चिली के रहनेवाले एक किशोर के शब्दों में- मेरा दोस्त मुझसे रोज बात करता है, अपनी समस्या बताता है, पर अपने माता-पिता को नहीं बता पाता क्योंकि वे उसे समझते नहीं.

सोशल मीडिया की दोहरी दुनिया: मदद भी, तनाव भी

युवाओं ने बताया कि डिजिटल संचार उन्हें दोस्ती, सपोर्ट और सहज बातचीत का स्पेस देता है. लेकिन लगातार तुलना, साइबर बुलीइंग और परफेक्ट दिखने के दबाव से तनाव और चिंता बढ़ जाती है.लड़कियों ने बताया कि लाइक और कमेंट उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करते हैं- हालांकि वे जानते हैं कि ऑनलाइन ग्लैमर हमेशा वास्तविक नहीं होता.

ऑनलाइन तुलना: मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर

किशोरों ने कहा कि इन्फ्लुएंसर और सेलिब्रिटी लाइफस्टाइल से तुलना अवास्तविक उम्मीदें पैदा करती है. यह दबाव खासतौर पर बॉडी इमेज, आर्थिक सफलता और लाइफस्टाइल को लेकर, उन्हें अंदर से थका देता है. डिजिटल पैसिव-स्क्रॉलिंग भी उनके मूड और मानसिक स्थिति को बिगाड़ सकती है.

Adolescent Digital Life: समाधान क्या चाहते हैं किशोर?

युवा चाहते हैं कि वयस्क:

  • डिजिटल दुनिया को बेहतर समझें
  • सलाह दें लेकिन बनावटी नियंत्रण न करें
  • उन्हें सुनें और उनकी ऑनलाइन परेशानियों को गंभीरता से लें
  • डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं.

किशोरों ने कहा कि सुरक्षित ऑनलाइन माहौल तभी बनेगा, जब वयस्क और युवा मिलकर डिजिटल गाइडलाइन तैयार करेंगे.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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