Nepal Protests: नेपाल की सड़कों पर कल से जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. खास बात ये है कि इस बार आंदोलन की अगुवाई युवा कर रहे हैं. दरअसल, नेपाल सरकार ने यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे करीब 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा दी थी. कल हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार ने अब इस बैन हो हटा दिया है लेकिन अभी भी कई लोगों का विरोध जारी है.
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि किसी देश में सोशल मीडिया पर बैन लगाना इतना आसान होता है? क्या सच में सिर्फ एक बटन दबाते ही फेसबुक-इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बंद हो जाते हैं, या फिर इसके पीछे कोई लंबा प्रोसेस होता है? आइए, इसे थोड़ा डिटेल में समझते हैं.
क्यों लगाया जाता है बैन?
किसी भी ऑनलाइन ऐप या वेबसाइट को बैन करने से पहले सरकार एक कानूनी प्रक्रिया फॉलो करती है. आपको बताते चलें कि भारत में ये अधिकार सरकार को आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत मिलता है. इस कानून के हिसाब से अगर सरकार को लगे कि कोई ऐप या वेबसाइट देश की सुरक्षा, शांति या जनता के हित के खिलाफ काम कर रही है, तो उसे बैन या ब्लॉक कर सकती है. इसके लिए सबसे पहले उस कंपनी को नोटिस भेजा जाता है और उनसे जवाब मांगा जाता है. अगर उनका जवाब सही या भरोसेमंद नहीं होता, तो सरकार बैन का आदेश लागू कर देती है.
बैन करने का क्या है प्रोसेस?
अगर आपको भी लगता है कि सोशल मीडिया सच में एक बटन दबाते ही बंद हो जाता है तो असल में ऐसा नहीं है. इसमें बड़ा रोल इंटरनेट देने वाली कंपनियों यानी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) और टेलीकॉम ऑपरेटरों का होता है. सरकार से ऑर्डर मिलते ही ये कंपनियां उस ऐप या वेबसाइट के डोमेन नेम और IP एड्रेस को सबसे पहले ब्लॉक कर देती हैं. मतलब, अगर कोई फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब खोलने की कोशिश करे तो उसका फोन या कंप्यूटर उस प्लेटफॉर्म के सर्वर तक पहुंच ही नहीं पाए. इसी वजह से वो ऐप या साइट पूरे देश में काम करना बंद कर देती है.
लेकिन ये काम जितना सुनने में आसान लगता है उतना है नहीं. टेक्निकल टीमों को नेटवर्क में कई सेटिंग्स बदलनी पड़ती हैं. इन बदलावों को पूरे सिस्टम में लागू होने में थोड़ा टाइम भी लगता है. इसलिए कई बार ऐसा होता है कि सरकार बैन का ऐलान तो कर देती है लेकिन ऐप कुछ देर तक चलता रहता है और फिर धीरे-धीरे बंद हो जाता है.
VPN के जरिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं इंटरनेट
कई लोग बैन लगने के बाद भी उन प्लेटफॉर्म्स तक पहुंचने के लिए वीपीएन (VPN) यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का सहारा लेते हैं. VPN की मदद से इंटरनेट ट्रैफिक किसी दूसरे देश के सर्वर से होकर जाता है, जहां वो साइट या ऐप ब्लॉक नहीं होती. लेकिन ध्यान रहे, कई देशों में VPN का गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर कानूनी दिक्कतें भी हो सकती हैं.
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