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Viral Video Fact Check: चीन ने क्या सच में नदी में उतार दी है AI रोबोटिक मछली? आखिर चाहता क्या है ड्रैगन?

AI Fish Viral Video Fact Check: सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि चीन ने AI बायोनिक रोबोटिक मछली लॉन्च की है, जो यांग्त्जी नदी में प्रदूषण ट्रैक करती है. जानिए कैसे यह पर्यावरण संरक्षण में मदद कर रही है और क्या है भारत के लिए सबक

AI Fish Viral Video Fact Check: क्या आपने कभी सोचा है कि मछलियां भी अब AI से लैस होकर नदियों की रक्षा करेंगी? सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है, इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि चीन ने एक बार फिर दुनिया को चौंकाते हुए बायोनिक रोबोटिक मछली लॉन्च की है, जो यांग्त्जी नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रही है. यह हाई-टेक इनोवेशन न सिर्फ प्रदूषण का पता लगाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में नयी क्रांति ला रहा है. जबकि भारत में सोशल मीडिया की लत से फुर्सत नहीं मिल रही, चीन लगातार नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. आइए जानते हैं इस तकनीक के बारे में विस्तार से.

रोबोटिक मछली का डिजाइन और कार्यप्रणाली

सोशल मीडियो में वायरल वीडियो को लेकर जो दावा किया जा रहा है, उसके अनुसार यह AI-पावर्ड रोबोटिक मछली असली मछली की तरह तैरती है और वुहान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई है. लगभग 53 सेंटीमीटर लंबी यह मछली हाई-प्रिसिजन सेंसर्स से लैस है, जो पानी के पीएच लेवल, ऑक्सीजन की मात्रा और प्रदूषकों का रीयल-टाइम डेटा इकट्ठा करती है. इसका बायोनिक डिजाइन इसे प्राकृतिक रूप से नदियों में घुलमिल जाने में मदद करता है, जिससे जलीय जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. मई 2025 में यांग्त्जी नदी में तैनात की गई यह मछली पारिस्थितिकी डेटा संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

पर्यावरण संरक्षण में योगदान

चीन की इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य यांग्त्जी नदी की सुरक्षा है, जो दुनिया की तीसरी सबसे लंबी नदी है. रोबोटिक मछली प्रदूषण का पता लगाकर जल संरक्षण प्रयासों को मजबूत बनाती है. इससे एक्वाकल्चर में भी क्रांति आई है, जहां यह मछलियों के व्यवहार की निगरानी करती है और फीडिंग को ऑप्टिमाइज करती है. 2027 तक यांग्त्जी बेसिन में जलीय जैविक अखंडता सूचकांक में सुधार की उम्मीद है. वैश्विक स्तर पर यह तकनीक अन्य देशों के लिए मिसाल बन सकती है, खासकर प्रदूषित नदियों वाले क्षेत्रों में.

भारत के लिए सबक और संभावनाएं

भारत में गंगा और यमुना जैसी नदियां प्रदूषण से जूझ रही हैं. अगर हम इस चीनी तकनीक को अपनाएं, तो पानी की गुणवत्ता में सुधार संभव है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग कह रहे हैं कि भारत को रील्स से निकलकर ऐसी इनोवेशन पर फोकस करना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि AI रोबोटिक्स जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में गेम-चेंजर साबित हो सकती है. क्या भारत इस दिशा में कदम उठाएगा?

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

यह तकनीक न सिर्फ नदियों, बल्कि महासागरों में भी उपयोगी हो सकती है. हालांकि, डेटा प्राइवेसी और लागत जैसी चुनौतियां हैं. चीन की यह पहल दर्शाती है कि AI पर्यावरण संरक्षण का भविष्य है. भारत को भी R&D में निवेश बढ़ाना चाहिए ताकि हम वैश्विक स्तर पर आगे रहें.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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