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समुद्र के पानी से तैयार होगी हाइड्रोजन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो समुद्र के पानी से हाइड्रोजन तैयार करेगी. एसीएस सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग जर्नल के अनुसार, इस तकनीक के जरिये हाइड्रोजन का उत्पादन तभी किया जायेगा, जब इसकी मांग होगी. यह तकनीक अत्यंत सुरक्षित है. मांग के अनुरूप हाइड्रोजन तैयार होने से इसके संग्रह […]

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो समुद्र के पानी से हाइड्रोजन तैयार करेगी. एसीएस सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग जर्नल के अनुसार, इस तकनीक के जरिये हाइड्रोजन का उत्पादन तभी किया जायेगा, जब इसकी मांग होगी. यह तकनीक अत्यंत सुरक्षित है. मांग के अनुरूप हाइड्रोजन तैयार होने से इसके संग्रह और परिवहन से जुड़ी चुनौतियां से बचा जा सकेगा.
स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत
शोधार्थियों का कहना है कि हाइड्रोजन भविष्य में ऊर्जा का अच्छा स्रोत बन सकता है. चूंकि हाइड्रोजन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न नहीं होता जैसा जीवाश्म ईंधन से होता है, ऐसे में भविष्य में यह स्वच्छ ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है.
वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए शोधार्थियों का लक्ष्य कार और बाइक में भी हाइड्रोजन पावर इस्तेमाल करने का है, जिसका अहम स्रोत समुदी जल होगा. आइआइटी मद्रास के शोधार्थियों का कहना है कि वे वाहनों के लिए उचित हाइड्रोजन प्रणाली को डिजाइन व कस्टमाइज करने की राह पर हैं.
यह प्रक्रिया उत्पादन के सभी पैमानों के अनुकूल और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए प्रासंगिक है. इसलिए मोटर वाहन, विमानन इत्यादि जैसे क्षेत्र इस तकनीक से लाभान्वित होंगे. शोधार्थी का यह भी मानना है कि हाइड्रोजन भविष्य की ऊर्जा है. लेकिन वे उसे वर्तमान की ऊर्जा बनाना चाहते हैं.
उन्हें उस दिन का इंतजार है जब उनका यह आविष्कार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भी काम आयेगा. यह हाइड्रोजन उष्मा, विद्युत या सूरज की रोशनी के बिना ही तैयार होता है और इसमें प्रयुक्त होनेवाला शुरुआती पदार्थ पर्यावरण के अनुकूल है. यह तकनीक पानी के किसी भी स्रोत से हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो समुद्र के पानी से हाइड्रोजन तैयार करेगी. एसीएस सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग जर्नल के अनुसार, इस तकनीक के जरिये हाइड्रोजन का उत्पादन तभी किया जायेगा, जब इसकी मांग होगी. यह तकनीक अत्यंत सुरक्षित है. मांग के अनुरूप हाइड्रोजन तैयार होने से इसके संग्रह और परिवहन से जुड़ी चुनौतियां से बचा जा सकेगा.
स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत
शोधार्थियों का कहना है कि हाइड्रोजन भविष्य में ऊर्जा का अच्छा स्रोत बन सकता है. चूंकि हाइड्रोजन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न नहीं होता जैसा जीवाश्म ईंधन से होता है, ऐसे में भविष्य में यह स्वच्छ ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है.
वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए शोधार्थियों का लक्ष्य कार और बाइक में भी हाइड्रोजन पावर इस्तेमाल करने का है, जिसका अहम स्रोत समुदी जल होगा.
आइआइटी मद्रास के शोधार्थियों का कहना है कि वे वाहनों के लिए उचित हाइड्रोजन प्रणाली को डिजाइन व कस्टमाइज करने की राह पर हैं. यह प्रक्रिया उत्पादन के सभी पैमानों के अनुकूल और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए प्रासंगिक है. इसलिए मोटर वाहन, विमानन इत्यादि जैसे क्षेत्र इस तकनीक से लाभान्वित होंगे. शोधार्थी का यह भी मानना है कि हाइड्रोजन भविष्य की ऊर्जा है.
लेकिन वे उसे वर्तमान की ऊर्जा बनाना चाहते हैं. उन्हें उस दिन का इंतजार है जब उनका यह आविष्कार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भी काम आयेगा. यह हाइड्रोजन उष्मा, विद्युत या सूरज की रोशनी के बिना ही तैयार होता है और इसमें प्रयुक्त होनेवाला शुरुआती पदार्थ पर्यावरण के अनुकूल है. यह तकनीक पानी के किसी भी स्रोत से हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम है.

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