सबसे अधिक नुकसान आलू, पटल, कुम्हड़ा, मिर्च, बैगन, मकई और ईख की खेती को हुआ है. किसान अपनी क्षति का आंकड़ा स्वयं ही प्रशासन तक पहुंचा रहे हैं. ब्लॉक प्रशासन की ओर से भी क्षतिग्रस्त इलाकों का निरीक्षण किया जा रहा है, लेकिन इलाका इतना बड़ा है कि इतने अल्प समय में सभी इलाकों का निरीक्षण करना संभव नहीं है.
ग्रामवासियों सुब्रत दास, देवव्रत सरकार आदि का कहना है कि इलाका पूरी तरह से कृषि पर ही निर्भर है. कई किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं, उत्पादन से मुनाफा कमाकर कर्ज चुकाते हैं. इस इलाके में सब्जी का उत्पादन अच्छा होता है. लेकिन इस बार कई खेतों में वर्षा का पानी रुक जाने से फसल नष्ट हो गयी है. वहीं ओला की वजह से भी काफी नुकसान हुआ है.
किसानों का कहना है कि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक घटना घटते ही राज्य की मुख्यमंत्री परिस्थिति का जायजा लेने पहुंच जाती हैं. अगले सप्ताह मुख्यमंत्री जलपाईगुड़ी दौरे पर आ रही हैं. उनसे आवेदन है कि क्षतिग्रस्त इलाके का जायजा लेकर किसानों के लिए उचित मुआवजे की व्यवस्था करें.
मयनागुड़ी पंचायत समिति के कृषि कर्माध्यक्ष मनोज राय ने बताया कि भारी ओलावृष्टि होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. किसानों को मुआवजा मुहैया कराने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है. मयनागुड़ी ब्लॉक कृषि अधिकारी संजीव दास ने बताया कि सब्जी की खेती करनेवाले किसानों को अधिक नुकसान हुआ है. मयनागुड़ी की बीडीओ श्रेयसी घोष ने बताया कि क्षति का आकलन किया जा रहा है. क्षति का आंकड़ा जिला प्रशासन के पास भेज दिया जायेगा.