इधर अपने ऊपर लगे आरोप पर पूर्व नगरपालिका चेयरमैन कृष्णेंदु चौधरी ने नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पैसा केंद्र सरकार दे रही है. जमीन नहीं मिलने के कारण कोतवाली जाना पड़ा. सभी नियमों को मानते हुए काम किया गया है. जब काम हो रहा था, तब भी बाबला सरकार उप चेयरमैन थे. तब उन्होंने यह क्यों नहीं बोला.
उप चेयरमैन बाबला सरकार ने कहा कि नगरपालिका के 24 से लेकर 29 नंबर तक वार्ड का इलाका पिछड़े इलाके में में शामिल है. इन वार्डों में करीब 15 हजार मकान हैं और आबादी एक लाख के करीब है. बीच-बीच में कई बस्तियां भी हैं. उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उससे लग रहा है कि कुछ ही महीनों में इन वार्डों में आर्सेनिक-मुक्त पेयजल पहुंचने लगेगा.
श्री सरकार ने कहा कि इन छह वार्डों को छोड़ बाकी 23 वार्डों में आर्सेनिक-मुक्त पेयजल आपूर्ति करने में अभी डेढ़ साल और लगेगा. इस देरी के लिए उन्होंने पूर्व चेयरमैन कृष्णेंदु चौधरी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि श्री चौधरी के चलते ही आर्सेनिक मुक्त पेयजल परियोजना का खर्च बढ़ गया है. पहले इस परियोजना के लिए 42 करोड़ रुपये का खर्च रखा गया था. लेकिन अब यह बढ़कर 103 करोड़ रुपये हो गया है. लेकिन इस खर्च में भी काम पूरा नहीं हो पायेगा. अनुमान है कि खर्च बढ़कर 113 करोड़ रुपये तक पहुंचेगा. उप चेयरमैन ने कहा कि पहले कोतवाल इलाके के निमासराई से नदी से पानी लेकर उसे शुद्ध करके पाइप लाइन के माध्यम से शहर में आपूर्ति करने की बात थी. उसी हिसाब से परियोजना भी तैयार की गयी थी. लेकिन पूर्व चेयरमैन ने पम्पिंग स्टेशन कोतवाली में लगवा दिया. इसकी वजह से कोतवाली से निमासराई तक पाइपलाइन बिठानी पड़ी. इन सबकी वजह से काफी खर्च बढ़ गया.