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नोटबंदीः सिक्के जमा लेने में बैंकों की आनाकानी

सिलीगुड़ी. नोटबंदी के तीन महीने बीत जाने के बावजूद इसकी मार से लोग अभी भी उबर नहीं पाये हैं. नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत दूर करने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों में सिक्कों की भरमार कर दी थी. बैंकों ने भी अपने ग्राहकों को सुविधा के […]

सिलीगुड़ी. नोटबंदी के तीन महीने बीत जाने के बावजूद इसकी मार से लोग अभी भी उबर नहीं पाये हैं. नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत दूर करने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों में सिक्कों की भरमार कर दी थी. बैंकों ने भी अपने ग्राहकों को सुविधा के अनुसार धड़ल्ले से सिक्के बांटे. आज भी बैंकों से बड़े पैमाने पर सिक्के रिलीज हो रहे हैं. लेकिन वहीं बैंक सिक्के जमा लेने से साफ इंकार कर दे रहे हैं.

सिक्के जमा लेने में बैंकों की आनाकानी से आम ग्राहक हलकान हो रहे हैं और बैंक अधिकारी उन्हें दुविधा में डाल दे रहे हैं. ग्राहक यह दुविधा में हैं कि जब बैंक सिक्के दे सकते हैं तो ले क्यों नहीं सकते. ऐसे सवालों पर बैंक अधिकारी अपने ग्राहकों को दो टूक जवाब देकर कहते हैं कि ऐसा रिजर्व बैंक का सर्कुलर है कि बैंक सिक्के लेने के लिए बाध्य नहीं है, जबकि बैंक अपने ग्राहकों को उनके आवश्यकतानुसार सिक्के रिलीज कर सकती है. सिक्के जमा न लेने का यह आरोप भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के सिलीगुड़ी के नयाबाजार शाखा पर लगा है. यह आरोप और बैंक की धांधली के खिलाफ मुंह खोलने का यह साहस नयाबाजार इलाके के ही एक कुली (दिहाड़ी मजदूर) भूमी साव ने दिखाया है.

क्या है पूरा मामला : मूल रूप से बिहार के खगड़िया निवासी व पेशे से दिहाड़ी मजदूर भूमी साव का कहना है कि उनका परिवार बिहार में रहता है. हाल में ही पत्नी नीलम देवी बीमार पड़ गयी. पत्नी के इलाज के लिए श्री साव को पैसे परिवार को भेजने थे. उन्होंने बताया कि उनका बैंक एकाउंट बिहार में है. वह सिलीगुड़ी में एसबीआइ के नयाबाजार शाखा में दो हजार रूपये अपने एकाउंट में स्थानांतिरत करने गये. दो हजार रूपये में 10 रूपये सिक्के के मात्र तीन सौ रूपये थे. बाकी सब नोट थे. श्री साव ने बताया कि एसबीआइ के अधिकारियों ने सिक्के नहीं लिये. उल्टा यह कहकर उन्हें बैंक से लौटा दिया गया कि रिजर्व बैंक के ही सर्कुलर के अनुसार सिक्के नहीं ले सकते, लेकिन ग्राहकों को उनके जरूरत के अनुसार दिया जा सकता है. जबकि बैंक कर्मचारियों ने उन्हें रिजर्व बैंक का ऐसा कोई लिखित सर्कुलर नहीं दिखाया. इस बाबत एसबीआइ के नयाबाजार शाखा के प्रबंधक से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
बैंक कर्मचारी कर रहे मनमानीः घनश्याम मालपानी : केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी का एलान किये जाने के बाद से ही बैंक कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं और अपने ग्राहकों को अंधकार में रखकर तरह-तरह से परेशान कर रहे हैं. नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने न जाने कितने नये-नये नियम लागू किये और फिर उन्हें हटाया गया. हर एक-दो दिन बाद नये-नये सर्कुलर जारी करने से आम जनता परेशान हो रही है. श्री मालपानी का कहना है कि प्रायः सभी बैंक धड़ल्ले से सिक्के रिलीज कर रही है लेकिन लेने से कतरा रहे है. इस मुद्दे पर बैंक अधिकारी पूरा ठिकरा रिजर्व बैंक पर फोड़ रहे हैं और ग्राहकों को अंधकार में रखकर दुविधा में डाल रहे हैं. इससे दिहाड़ी पर काम करनेवाले श्रमिकों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है. ऐसे कोई एक नहीं बल्कि कई मामले आये हैं कि श्रमिक या अन्य कोई भी जब सिक्के बैंकों में जमा देने जाते हैं तो लेने से साफ इंकार किया जाता है.
लीजा भंसाली (चार्टेड एकाउंटेंट)- पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट लीजा भंसाली का कहना है कि नोटबंदी के बाद से पूरे देश में ही जनता को काफी आर्थिक असुविधाओं का सामना करना पड़ा है. ऐसे में बैंकों को अपने ग्राहकों से दोस्ताना रवैया अपनाना चाहिए. न कि रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश व सर्कुलरों की गलत जानकारी देकर अपने ग्राहकों को असमंजस में डाले. बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को गलत जानकारी देना भी कानून अपराध है. अगर ऐसे मामले सामने आते हैं तो ग्राहकों को भी साहस दिखाना चाहिए और बैंक व उनके अधिकारियों के विरूद्ध लिखित शिकायत दर्ज करनी चाहिए.
लक्ष्मी महतो (बैंक इंप्लाइज यूनियन) ऑल इंडिया बैंक इंपलाइज यूनियन के दार्जिलिंग जिला इकाई के सचिव लक्ष्मी महतो का साफ कहना है कि रिजर्व बैंक ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है. ऐसा करनेवाले बैंक अपने जिम्मेदारी का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और ग्राहकों को दुविधा में रखकर बेवजह परेशान कर रहे हैं. ऐसे मामलों में ग्राहकों को भी जागरूक होने की जरूरत है और सिक्के जमा न लेनेवाले बैंकों के विरूद्ध हाथोंहाथ मामला दायर कराना चाहिए. ऐसे बैंकों पर सख्ती के साथ कानूनी कार्रवायी भी होनी चाहिए.

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