कई बार इसको लेकर आंदोलन भी किया गया. प्रशासन को भी जानकारी दी गई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ है. इधर, एनएचएआइ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मालदा जिले में 50 किलोमीटर की दूरी पर दो टोल प्लाजा बनाये गये हैं. इसमें से 18 माइल इलाके में बने टोल प्लाजा में एक बार जाने के लिए 185 रुपये लिये जाते हैं, जबकि गाजोल में बने टोल प्लाजा में 225 रुपये की वसूली की जाती है. उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण का काम पूर्ण नहीं होने तक टोल प्लाजा की दरों में कमी करने की मांग की गई थी. इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
श्री राय ने आगे बताया कि आखिर किस वजह से बगैर सड़क बनाये इतने अधिक की रकम की वसूली की जा रही है, यह साफ नहीं है. एनएचएआइ के बेवसाइट में दो रुपये 20 पैसे प्रति किलोमीटर की दर से टोल टैक्स वसूलने की बात कही गई है. मालदा में दो टोल टैक्स प्लाजा बनाये गये हैं और दोनों का रेट अलग-अलग है. जब तक सड़कों की पूरी मरम्मती नहीं हो जाती, तब तक टोल टैक्स में कमी करने की मांग की गई है. इस संबंध में एडीएम देवतोश मंडल ने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल टैक्स वसूली का मसला राज्य सरकार के अधीन नहीं है.
जिला प्रशासन इसमें कुछ नहीं कर सकती. टोल टैक्स वसूलने के लिए एनएचएआइ द्वारा ठेकेदारों की नियुक्ति की गई है. माध्यमिक परीक्षा से पहले इस तरह से बस बंद नहीं करने का अनुरोध वह बस मालिकोंसे करेंगे. दूसरी तरफ नेशनल हाइवे अर्थोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के मालदा जिले के प्रोजेक्ट निदेशक दिनेश कुमार हंसरिया का कहना है कि नियम कानून मानकर ही टोल टैक्स की वसूली की जा रही है. जितना सड़क का निर्माण हुआ है उसी के टोल टैक्स लिये जा रहे हैं.