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बांग्लादेश को दी गयी 2000 बीघा जमीन लौटाने की मांग

जलपाईगुड़ी: भारत-बांग्लादेश के बीच हुए स्थल-सीमा समझौते के अनुसार बांग्लादेश को स्थानांतरित की गयी करीब दो हजार बीघा जमीन वापस लौटाने की मांग भारतीय छीटमहल पीपुल्स एसोसिएशन ने की है. छीटमहलों की अदला-बदली के तहत काजलदीघी, कोटभाजनी, गराती, नाटकटोका, दइखाता, नाजिरगंज जैसे पूर्व भारतीय छीटमहलों से बेदखल हुए भारतीय नागरिकों ने जमीन लौटाने या फिर […]

जलपाईगुड़ी: भारत-बांग्लादेश के बीच हुए स्थल-सीमा समझौते के अनुसार बांग्लादेश को स्थानांतरित की गयी करीब दो हजार बीघा जमीन वापस लौटाने की मांग भारतीय छीटमहल पीपुल्स एसोसिएशन ने की है. छीटमहलों की अदला-बदली के तहत काजलदीघी, कोटभाजनी, गराती, नाटकटोका, दइखाता, नाजिरगंज जैसे पूर्व भारतीय छीटमहलों से बेदखल हुए भारतीय नागरिकों ने जमीन लौटाने या फिर जमीन का मूल्य देने की मांग की है. शनिवार को जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक के दक्षिण बेरूबाड़ी के सीमावर्ती बिन्नागुड़ी प्राथमिक विद्यालय के मैदान में एसोसिएशन की एक सभा में इस मांग को उठाया गया.

सभा में उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से आये करीब तीन सौ लोगों ने हिस्सा लिया.बांग्लादेशी भू-भाग के भीतर स्थित भारतीय छीटमहलों काजलदीघी, कोटभाजनी, गराती, नाटकटोका, दइखाता, नाजिरगंज में साल 1968 से 1976 तक बांग्लादेशी गुंडों के अत्याचार, हत्या, बलात्कार, आगजनी, लूटपाट आदि से त्रस्त होकर यहां के करीब 15-17 हजार भारतीय नागरिक भारतीय भू-भाग में चले आये. ये लोग जलपाईगुड़ी, दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार, हलदीबाड़ी, सिलीगुड़ी आदि इलाकों में रहने लगे.

भारतीय छीटमहल रहे गराती के एक निवासी तथा भारतीय छीटमहल पीपुल्स एसोसिएशन के सचिव इसमाइल मियां ने बताया कि उनके दादाजी की गराती में 1400 बीघा जमीन थी. लेकिन 1968 से 1976 तक उनके परिवार के सदस्यों और बंटाईदारों पर हुए हमलों के कारण वे एक-एक करके भारतीय भू-भाग में आ गये. अब भी उनके पास वहां की जमीन के सारे कागजात हैं.
इसमाइल मियां ने बताया कि उनके खानदान के इलाका छोड़ने के बाद बांग्लादेशी बदमाशों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया. उन्होंने कहा, हम लोगों को बिना जानकारी दिये सरकार ने हमारी 1400 बीघा जमीन बांग्लादेश को दे दी. जबकि छीटमहलों की अदला-बदली के फैसले से काफी पहले हमने अपनी जमीन लौटाने की मांग दोनों देशों की सरकारों और राज्य सरकार को लिखित रूप में दी थी. अगर अब यह जमीन उन्हें नहीं लौटायी जा सकती है, तो उन्हें इस जमीन की कीमत दी जाये. इसमाइल मियां ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गयी, तो वे लोग बड़े आंदोलन में उतरने जा रहे हैं.
इसमाइल मियां जैसा ही दर्द काजलदिघी भारतीय छीटमहल के निवासी रहे हेमंत राय की है. हेमंत राय के दादाजी चेरोमोहन राय के नाम 300 बीघा जमीन थी, जिस पर बांग्लादेशी गुंडों ने कब्जा कर लिया. इसके बाद वे लोग भारतीय भू-भाग में चले आये. नाजिरगंज भारतीय छीटमहल के निवासी रहे अनंत कुमार राय ने बताया कि उनके दादाजी फटिक राय के नाम 60 बीघा जमीन थी. इसी तरह दइखाता छीटमहल की ललिता राय के दादाजी गोविंद मोहन राय के नाम 200 बीघा जमीन थी. लेकिन अत्याचार के चलते इनके परिवार को भारतीय इलाके में आना पड़ा.
एसोसिएशन का आरोप है कि भारत के मुख्य भू-भाग में रहने के बावजूद छीटमहल से आये लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था आज तक नहीं की गयी है. कई लोगों के पास राशन कार्ड, वोटर कार्ड है, फिर भी कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. एसोसिएशन के अध्यक्ष जनरंजन सरकार का कहना है कि दोनों देशों के बीच छीटमहलों की अदला-बदली में दो हजार बीघा जमीन बांग्लादेश को ज्यादा दे दी गयी है. हम लोगों की जमीन गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेश को सौंप दी गयी है.
इधर इसमाइल मियां ने बताया कि गत 28 जनवरी को उन्होंने कोलकाता में मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की. पूर्व भारतीय छीटमहलों से भगाये गये 238 परिवारों की दो हजार बीघा जमीन का हिसाब उन्हें लिखित रूप से दिया गया. मुख्यमंत्री ने यह मामला केंद्र सरकार के सामने उठाने का आश्वासन दिया है.

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