यूनियन के केन्द्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक एनके कुमाइ ने बताया है कि शुक्रवार को एक प्रतिनिधि मंडल के साथ उन्होंने जिला अधिकारी से मुलाकात की. उनके साथ करीब आधे घंटे तक की बैठक की गयी. दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में पत्रकारो को सम्बोधित करते हुये श्री कुमाइ ने कहा कि सिम्बलबाड़ी चाय बागान में करीब 12 सौ श्रमिक हैं. इस अलावा इस चाय बागान के माली भित्ता क्षेत्र में करीब 180 ऐकड़ जमीन पर भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया ह. इसको लेकर बागान प्रबंधन और भू माफियाओं के बीच तनातनी हुयी और 1 फरवरी से बागान को बंद कर दिया गया. यह विवाद भू माफियाओं और प्रबंधन के बीच की है और इसकी कीमत साधारण श्रमिकों को चुकानी पड़ रही है. बागान श्रमिकों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.
श्री कुमाइ ने आगे कहा कि देश भर में नोटबन्दी के कारण पहले से ही काफी समस्या चला रही है.उपर से बागान बंद होने से श्रमिक काफी परेशान हैं और चाय उद्योग को भी नुकसान हो रहा है. बगान में कार्यरत श्रमिकों को 30 जनवरी को मजदूरी मिलनी थी. इस बारे में बगान मालिकों ने बैंक से बातचीत भी की थी. उस दिन पैसे नहीं मिल पाने के कारण श्रमिकों को मजदूरी नहीं दी गयी. उसके अगले ही दिन बागान को बंद कर दिया गया. इससे पहले राशन,पानी,वेतन और मजदूरी को लेकर इस चाय बागान में कभी भी कोइ समस्या नहीं हुयी है.1 फरवरी की सुबह बागान के गार्ड के जरिये बगान बन्द होने की सूचना श्रमिक संगठनो को दी गयी है.
इसके साथ ही प्रबंधन ने बागान बंद करने की जो नोटिस दी है उसमें भू माफियाओं द्वारा जमीन पर कब्जा किये जाने को बागान बंद करने का कारण बताया गया है. श्री कुमाइ ने सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें श्रमिकों की क्या गलती है और वह भला किस बात की कीमत चुका रहे हैं.उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी के साथ बातचीत काफी साकारात्मक रही और उन्होंने इस महीने की 17 तारीख के बाद जांच कमेटी बागान भेजने की बात कही है.