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छात्राएं 10 रुपये में निकाल सकेंगी तीन नैपकिन

मशीन इस्तेमाल हुए नैपकिन नष्ट भी करेगी बालूरघाट : छात्राओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिले में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीन से सैनिटरी नैपकिन देने की व्यवस्था की गई है. एक लाख 16 हजार रुपये खर्च करके इस तरह की दो मशीने मंगायी गई हैं. इन मशीनों को दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट […]

मशीन इस्तेमाल हुए नैपकिन नष्ट भी करेगी
बालूरघाट : छात्राओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिले में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीन से सैनिटरी नैपकिन देने की व्यवस्था की गई है. एक लाख 16 हजार रुपये खर्च करके इस तरह की दो मशीने मंगायी गई हैं.
इन मशीनों को दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट महिला विद्यालय के शौचालय और हॉस्टल में लगाया गया है. यहां से केवल 10 रुपये में कॉलेज की छात्राएं सैनिटरी नैपकिन ले सकेंगी. इन मशीनों में उपयोग हुए नैपकिनों को नष्ट करने की व्यवस्था भी है. कॉलेज के अध्यक्ष ने बताया कि कॉलेज के फंड से इन मशीनों को खरीदा गया है.
बालूरघाट महिला महाविद्यालय जिले का एकमात्र महिला विद्यालय है. इस महाविद्यालय में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली अनुसूचित जाति एवं जनजाति की छात्राएं बड़ी संख्या में पढ़ती हैं.
ये छात्राएं बाजार जाकर सैनिट्री नेपकिन खरीदने में असुविधा महसूस करती हैं, क्योंकि आसपास कोई ठीकठाक दुकान नहीं है और बाजार जाने के लिए कम से कम दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. कॉलेज प्रबंधन ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन जैसी बुनियादी जरूरत की चीज उपलब्ध कराने का फैसला किया. इसी फैसले पर अमल करते हुए दो मशीनें महाविद्यालय के हॉस्टल व कॉलेज के शौचालय में लगायी गयी हैं.
ये मशीने उसी तरह काम करती हैं, जैसे पैसे देने वाली एटीएम मशीन काम करती है. मशीन में एक-एक रुपये के दस सिक्के, पांच रुपये के दो सिक्के या फिर 10 रुपये का एक सिक्का डालकर तीन सैनिटरी नैपकिन निकाली जा सकती हैं. इस मशीन का इस्तेमाल कैसे करना है, कॉलेज की छात्रा संसद यह भी सिखायेगी.
कॉलेज के अध्यक्ष विमान चक्रवर्ती ने बताया कि ग्रामीण लड़कियों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया है. इससे लड़कियों में जागरूकता बढ़ेगी और वह अपनी शारीरिक स्वच्छता व स्वास्थ्य की बेहतर ढंग से देखभाल कर सकेंगी. इस बारे में जागरूकता के लिए छात्रा संसद से अनुरोध किया गया है.
छात्रा संसद की महासचिव ने बताया कि इससे लड़कियों को काफी सुविधा होगी. कम खर्च में भी उनकी मासिक संबंधी जरूरत पूरी हो जायेगी. बेवजह इधर-उधर दौड़-भाग नहीं करनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि यह समाज के आधुनिक होने का प्रतीक है. पहले कॉलेज में इस तरह की सुविधा के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.

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