यह घटना बुधवार की रात करीब आठ बजे घटी. उसके बाद पूरे अस्पताल की स्थिति तनावपूर्ण हो गई. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मालदा थाने से पुलिस बुलानी पड़ी. पुलिस तथा मेडिकल कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में भरती कई बीमार बच्चों को ब्लड बैंक के निकट बने एक वार्ड में हस्तांतरित कर दिया गया. उसके बाद कई शिशुओं की तबीयत बिगड़ गई.
बाद में फिर से बीमार शिशुओं को पहले वाले वार्ड में शिफ्ट करने के लिए कहा गया. बार-बार वार्ड बदलने तथा शिशुओं की तबीयत बिगड़ने से अभिभावकों का गुस्सा भड़क गया. इन लोगों का कहना था कि बीमार बच्चों को बार-बार इधर से उधर करने में ही परेशानी अधिक हो गई है. अभिभावकों ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए वार्ड मास्टर के कार्यालय का घेराव कर दिया.
बाद में कई अभिभावकों ने कार्यालय में तोड़-फोड़ की. एक अभिभावक रहीम शेख ने कहा कि रात में बीमार बच्चों को बार-बार गोद में उठाकर इधर से उधर करना पड़ रहा है. कई बच्चों का स्लाइन चल रहा है, तो कइयों को ऑक्सीजन पर रखा गया है. बगैर स्ट्रेचर के ही अभिभावकों को गोद में उठाकर बीमार बच्चों को लाना ले जाना पड़ रहा है. सभी अभिभावकों ने बार-बार वार्ड नहीं बदलने की मांग की, जिसे मेडिकल प्रबंधन ने अनसुना कर दिया. इसी वजह से सभी लोगों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया.