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बम विस्फोट में पुलिसकर्मियों की मौत का मामला: पुलिस के खिलाफ भड़का परिवार वालों का गुस्सा

मालदा. वैष्णवनगर थाना अंतर्गत जौनपुर गांव में हुए बम विस्फोट में दो सीआइडी अधिकारियों की मौत के बाद परिवार वालों का गुस्सा भड़क गया है़ परिवार ने पुलिस पर नाकामी का आरोप लगाया है. मृत अधिकारियों के परिवार का आरोप है कि जिला पुलिस की ओर से बम विस्फोट कांड में जख्मी होने व मौत […]

मालदा. वैष्णवनगर थाना अंतर्गत जौनपुर गांव में हुए बम विस्फोट में दो सीआइडी अधिकारियों की मौत के बाद परिवार वालों का गुस्सा भड़क गया है़ परिवार ने पुलिस पर नाकामी का आरोप लगाया है. मृत अधिकारियों के परिवार का आरोप है कि जिला पुलिस की ओर से बम विस्फोट कांड में जख्मी होने व मौत की खबर मंगलवार की सुबह तक नहीं दी गयी.

घायल सीआइडी अधिकारियों को देखने गये परिजनों को पुलिस ने मिलने तक नहीं दिया. सोमवार की रात ही इन अधिकारियों की स्थिति देखकर चिकित्सकों ने कोलकाता रेफर कर दिया. उस दौरान एबुलेंस में तेल डालने के लिये परिवार के लोगों से रुपये मांगे गये. उस एंबुलेंस में कोई भी चिकित्सक या अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद नहीं थे. यहां तक कि गाड़ी में ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं था.

मृत एएसआइ विशुद्धानंद मिश्र रतुआ थाना अंतर्गत एकवर्णा गांव के निवासी थे. परिवार में मां-पिता के अलावा उनके तीन भाई भी हैं. विशुद्धानंद अपनी पत्नी पापिया मिश्र व 11 वर्षीय बेटी तृषा के साथ मालदा के गंगाबाग इलाके में एक किराये के मकान में रहते थे.
दूसरी ओर और एक मृत सीआइडी अधिकारी सुब्रत चौधरी कालियाचक थाना अंतर्गत मोथाबाड़ी इलाके में अपने परिवार के साथ रहते थे. माता-पिता के अलावा इनके दो भाई हैं. इनकी पत्नी शम्पा छह महीने की गर्भवती हैं. इसके अतिरिक्त इन दोनों का एक डेढ वर्ष का बेटा आर्य भी है.
मंगलवार को मालदा मेडिकल कॉलेज में परिजन पुलिस के विरुद्ध अपना गुस्सा प्रकट कर रहे थे. मृत विशुद्धानंद मिश्र के बड़े भाई आलोक मिश्र ने कहा कि वर्ष 1997 में उन्होंने पुलिस में नौकरी ज्वाइन की. बम निरोधी दस्ते का कठोर प्रशिक्षण लेने के बाद भी भाई की मौत इस तरह होगी, कभी सोचा भी नहीं था. उन्होंने कहा पुलिस की नाकामी की वजह से मौतें हुई हैं. पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि बम निष्क्रिय करने वाले सभी यंत्र मालखाने में बंद था. मालखाने की चाभी एक अन्य अधिकारी के पास थी. चाभी लाने के लिये 10 मिनट की मांग विशुद्धानंद ने पुलिस से की थी. जिला पुलिस अधिकारियों ने उनकी बात को कोई महत्व ही नहीं दिया. विशुद्धानंद के नेतृत्व में पांच लोगों की एक टीम बम निष्क्रिय करने के लिये जौनपुर गांव गयी थी. उन्होंने आगे कहा कि विशुद्धानंद ने पूरे इलाके की घेराबंदी करने के अलावा दमकल वालों को भी बुलाने की मांग पुलिस से की थी. इतनी देर में बम निष्क्रिय करने का यंत्र भी आ जाता. पुलिस ने उनकी यह बात भी नहीं मानी.

इसके बाद बम विस्फोट हुआ. घटना के काफी देरतक घायल सीआइडी अधिकारी छटपटाते रहे लेकिन अस्पताल पहुंचाने वाला कोई नहीं था. अंत में पुलिस के सामने कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने घायल अधिकारियों को वेदरावाद ग्रामीण अस्पताल पहुंचाया. यहां से शाम के पांच बजे मालदा मेडकिल कॉलेज ले जाया गया. इसके कुछ ही देर बाद इन तीन घायल अधिकारियों को कोलकाता रेफर कर दिया गया. इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी पुलिस ने परिवार को जानकारी नहीं दी. दोनों परिवार के लोगों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. परिवार का कहना है कि जांच में दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

दूसरी तरफ मृत सीआइडी अधिकारी सुब्रत चौधरी के चाचा प्रताप चौधरी ने कहा कि बिना किसी यंत्र या साधन के पुलिस इन तीनों को बम का पता लगाने कैसे भेज सकती है? साधारण परिवार से नाता रखने वाले इन कर्मचारियों की जान की कोई कीमत नहीं है. घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस ने परिवार को जानकारी नहीं दी. इन दोनों सीआइडी अधिकारियों की मौत के लिये एकमात्र पुलिस प्रशासन ही जिम्मेवार है. उन्होंने भी उच्चस्तरीय जांच की मांग की.
पुलिस अधीक्षक ने दी सफाई
इस दर्दनाक हादसे के संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक सैयद वकार रेजा ने बताया कि परिवार की ओर से उठाये गये सभी सवालों की जांच होगी. प्रत्येक प्रश्न का जवाब दिया जायेगा. जिस 10 मिनट मांगे जाने का आरोप लगाया जा रहा है, उसके बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं. निष्पक्षता के साथ मामले की जांच की जायेगी.

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