जहां तक तृणमूल कांग्रेस की बात है तो यहां पार्टी ने अपने पुराने विधायक अनंत देव अधिकारी पर ही दाव लगाया है़ सबसे मजेदार बात यह है कि पिछला वर्ष 2011 का चुनाव श्री अधिकारी ने आरएसपी उम्मीदवार के रूप में जीता था़ वह बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे़ वह करीब तीन वर्षों तक आरएपी के विधायक रहने के बाद ना केवल पाटी अपितु विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था़ वह ममता लहर पर सवार होने के लिए तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे़ उसके बाद वर्ष 2014 में मैयनागुड़ी विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ और अनंतदेव अपनी नयी पार्टी तृणमूल के टिकट पर चुनाव में बाजी मार ले गए़ इस तरह से कहें तो वह पांच वर्ष के अंदर ही दो बार दो अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़े और जीतने में कामयाब रहे़ इस बार यदि वहचुनाव जीतते हैं तो विधानसभा पहुंचने की उनकी हैटट्रिक होगी़ लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी ही पूर्व पार्टी आरएसपी की छाया दे राय को पटकनी देनी होगी़ हांलाकि यह सबकुछ इतना आसान नहीं दिख रहा है़ अनंतदेव अधिकारी को छाया दे राय के साथ ही भाजपा के विश्वजीत राय का भी मुकाबला करना होगा़ हांलाकि अभी विश्वजीत राय थोड़े कमजोर दिख रहे हैं,लेकिन कल गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीरपाड़ा में रैली के बाद समीकरण बदल भी सकता है़ यही वजह है कि राजनीतिक विश्लेषक इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जाहिर कर रहे हैं. ऐसे इस बार यहां से कुल सात उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसमें से तृणमूल,आरएसपी और भाजपा उम्मीदवारों को छोड़ दें तो अन्य सभी बस नाम के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.
इन तीनों पार्टियों के अलावा बसपा से अमित कुमार सरकार,केपीपीयू से कौशिक राय,आमरा बंगाली से विनय सरकार और भाकपा माले से रूपेश्वर राय मैदान में हैं.अब जरा वर्ष 2011 के चुनाव परिणाम की बात करें तो तब आरएसपी के अनंतदेव अधिकारी ने तृणमूलके ज्युतिका राय बासुनिया को हराया था़ इसबार,अनंतदेव तृणमूल की रथ पर सवार हैं. दूसरी ओर आरएसपी ने भी नयी उम्मीदवार छाया दे राय पर दाव खेला है़ इसबीच सभी उम्मीदवार ही अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. परिणाम क्या होगा,यह तो 19 मइ को ही पता चलेगा़ ऐसे यहां 17 अप्रैल को मतदान होना है़