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गुस्सा: शिशु शिक्षा केंद्र के बच्चों को नहीं मिल रहा है सरकारी स्कूल ड्रेस, केंद्र सरकार से धन का आवंटन बंद

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी महकमा परिषद के चारों ब्लॉक सहित पूरे उत्तर बंगाल में शिशु शिक्षा केंद्र (एसएसके) व माध्यमिक शिक्षा केंद्र(एमएसके) के छात्रों के स्कूल ड्रेस के लिए केंद्र सरकार ने धन उपलब्ध नहीं कराया है़ शिक्षा सत्र 2014-15 के लिये केंद्र सरकार से इस मद में अभी तक रूपया भी नहीं आया है. फलस्वरूप ठंड […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी महकमा परिषद के चारों ब्लॉक सहित पूरे उत्तर बंगाल में शिशु शिक्षा केंद्र (एसएसके) व माध्यमिक शिक्षा केंद्र(एमएसके) के छात्रों के स्कूल ड्रेस के लिए केंद्र सरकार ने धन उपलब्ध नहीं कराया है़ शिक्षा सत्र 2014-15 के लिये केंद्र सरकार से इस मद में अभी तक रूपया भी नहीं आया है. फलस्वरूप ठंड के इस मौसम में भी गरीब बच्चे अपने घर के फटे-पुराने कपड़े पहन कर ही स्कूल जा रहे हैं.

शिक्षा वर्ष 2014-15 के लिये एसएसके व एमएसके के विद्यार्थियों के ड्रेस के लिये करीब साढ़े आठ करोड़ रूपया आना बाकी है. 2014-15 का शिक्षा सत्र पहले ही समाप्त हो चुका है़ अब तो शिक्षा सत्र 2015-16 भी समाप्त होने की ओर है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी महकमा के माटिगाड़ा ब्लॉक में 70 एसएसके एवं 2 एमएसके है, नक्सलबाड़ी ब्लॉक में 59 एसएसके एवं 2 एमएसके, फांसीदेवा ब्लॉक में 92 एसएसके व 4 एमएसके हैं.

इसके अलावा खोरीबाड़ी ब्लॉक में 61 एसएसके व 2 एमएसके हैं. अगर पूरे उत्तर बंगाल की बात की जाये तो कुल 681 एमएसके है एवं 3682 एसएसके विद्यालय हैं. प्रत्येक एमएसके में औसतन तीस छात्र व एसएसके में औसतन 50 छात्र होते हैं. प्रत्येक वर्ष छात्रों ड्रेस के लिये केंद्र सरकार राज्य सरकार को पैसा देती है़ प्रत्येक विद्यार्थी के लिये चार सौ रूपये के हिसाब से पैसा आता है़ प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षा सत्र 2014-15 का फंड अभी तक नहीं आया है.

फंड नहीं आने की वजह से अधिकांश छात्र-छात्राओं को स्कूल की ओर से ड्रेस नहीं दिया गया है़ वाम मोरचा समर्थित एसएसके व एमएसके शिक्षक समिति के दार्जिलिंग जिला सचिव कृष्णकांत मंडल ने बताया कि सर्वशिक्षा मिशन की ओर से प्रत्येक वर्ष बच्चों के स्कूल ड्रेस के लिए आर्थिक सहायत प्रदान की जाती है़ केंद्र से पैसा मलने के बाद राज्य सरकार यह पैसा स्कूलों को देती है़ दो वर्षों से इस मद में सहायता नहीं मिल रही है़ इसकी कीमत बच्चों को चुकानी पड़ रही है़ श्री मंडल ने बताया कि नवंबर महीने की 15 तारीख को राज्य के पंचायत मंत्री व मुख्य सचिव के समक्ष इस समस्या को रखा गया. उन्होंने समस्या के जल्द समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ.

गौरतलब है कि एसएसके व एमएसके स्कूलों में अधिकांश गरीब बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करने आते है. स्कूल से ड्रेस मिलने की वजह से अभिभावकों को नये कपड़े के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है़. केंद्र व सर्वशिक्षा मिशन के विभिन्न परियोजनाओं की वजह से विद्यालयों में छात्रों की संख्या भी काफी बढ़ी है. बच्चों को स्कूल ड्रेस नहीं मिलने से अभिभावक भी परेशान हैं. अभिभावकों को यह समझाना मुश्किल हो रहा है कि फंड अभी तक नहीं आया है. अभिभावक रोज ही ड्रेस के लिये स्कूल में हंगामा करते हैं. अभिभावकों को लगता है कि स्कूल प्रबंधन ने सारे पैसे की गड़बड़ी की है़ पहले विद्यालय की ओर से ड्रेस बनवा कर बच्चों को दिया जाता था या किसी दर्जी को विद्यालय की ओर से ठेका दे दिया जाता था़ अब पंचायती इलाकों के सेल्फ-हेल्फ ग्रुप को पोशाक वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसमें समस्या यह है कि सभी जगह यह सेल्फ-हेल्फ ग्रुप नहीं है.
क्या कहते हैं परियोजना निदेशक
जिला ग्रामीण विकास विभाग के उप परियोजना निदेशक अनुराग घीसिंग ने बताया कि शिक्षा वर्ष 2014-15 का एसएसके व एमएसके के लिये सर्वशिक्षा मिशन की ओर से फंड नहीं आया है़ इसके साथ ही उन्होंने लेकिन शीघ्र ही फंड आने की उम्मीद भी जतायी है.

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