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तृणमूल के 17 पार्षदों ने गरीबों के नाम किया महीने भर का भत्ता
सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम के तृणमूल के 17 पार्षदों ने अपने महीने भर का भत्ता गरीबों के नाम किया. निगम में प्रतिपक्ष के नेता नान्टू पाल के नेतृत्व में सभी 17 पार्षदों ने निगम के आयुक्त की अनुपस्थिति में सचिव सप्तर्षी नाग को इस संबंध में लिखित अनुरोध सौंप दिया. इस दौरान श्री पाल के […]
सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम के तृणमूल के 17 पार्षदों ने अपने महीने भर का भत्ता गरीबों के नाम किया. निगम में प्रतिपक्ष के नेता नान्टू पाल के नेतृत्व में सभी 17 पार्षदों ने निगम के आयुक्त की अनुपस्थिति में सचिव सप्तर्षी नाग को इस संबंध में लिखित अनुरोध सौंप दिया. इस दौरान श्री पाल के साथ तृणमूल के जिला अध्यक्ष व 20 नंबर वार्ड के पार्षद रंजन सरकार उर्फ राणा, 23 नंबर वार्ड के पार्षद कृष्णचन्द्र पाल, 37 नंबर वार्ड के पार्षद रंजनशील शर्मा, 2 नंबर बोरो कमेटी के चेयरमैन व 9 नंबर वार्ड के पार्षद प्रदीप गोयल उर्फ कालू, 11 नंबर वार्ड की पार्षद मंजूश्री पाल समेत सभी पार्षद मौजूद थे.
नान्टू पाल ने वाम बोर्ड के मेयर अशोक भट्टाचार्य पर झूट बोलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 14 जुलाई को जो बजट पेश हुआ था, उसमें मेयर ने गरीबों को मिलने वाली चावल का कोटा बढ़ाने, गरीब, विकलांग व विधवा भत्ता भी बढ़ाने का वादा किया था. इन्हें बढ़ाने की तो दूर की बात, देना ही बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि निगम की जनता भूखे पेट सोने को मजबूर है लेकिन झूटे मेयर द्वारा संचालित वाम बोर्ड को इससे कोई लेना-देना नहीं है. श्री पाल ने मेयर पर हमला बोलते हुए कहा कि निगम की जनता ने अपने जनप्रतिनिधि के रूप एक मेयर को चुना है न कि झूटे मेयर को. उन्होंने कहा कि मां-माटी-मानुष की तणमूल पार्टी आम लोगों की पार्टी है और हमेशा रहेगी.
एक दिन सरकारी वाहन और पेट्रोल न लेना वाम बोर्ड की नौटंकीः रंजन शील शर्मा
सप्ताह में एक दिन सरकारी वाहन और पेट्रोल न लेना झूटे वाम बोर्ड की मात्र नौटंकी है. वाम बोर्ड पर नौटंकी का यह तमगा लगाया है पांच नंबर बोरो कमेटी के चेयरमेन व 37 नंबर वार्ड के तणमूल पार्षद रंजनशील शर्मा ने. उन्होंने कहा कि इस वाम बोर्ड के मेयर व सभी मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) गरीबों के लिए इतने ही चिंतित हैं तो सप्ताह में मात्र एक दिन ही क्यों हमेशा के लिए सरकारी वाहन छोड़ दे और सरकारी खर्च पर पेट्रोल लेना एवं कार मेंटेनेंस के नाम पर प्रति मास 15 हजार रूपये लेना भी बंद करें. श्री शर्मा ने कहा कि गरीबों को सामाजिक सुरक्षा न मिलते देख अगर विरोधी दल के नेता सरकारी वाहन एवं समस्त सरकारी सुविधाएं ठुकरा सकते हैं तो वाम बोर्ड के सदस्य क्यों नहीं.
मेयर बोलते हैं अधिक : कृष्ण चंद्र पाल
मेयर अशोक भट्टाचार्य बोलते हैं अधिक और काम कम करते हैं. मेयर पर यह आरोप 23 नंबर वार्ड के तणमूल पार्षद कृष्ण चंद्र पाल ने लगाया है. श्री पाल ने कहा कि जुलाई महीने में वाम बोर्ड की पहली बजट में मेयर ने चावल का कोटा, हर तरह का भत्ता बढ़ाने एवं वार्ड उत्सव भी मनाने की बात की थी, लेकिन न तो चावल बढ़ा, न ही भत्ता और अब मेयर वार्ड उत्सव भी नहीं मनाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब मेयर एवं उनकी वाम बोर्ड कोई काम ही नहीं करना चाहती है तो फिर बोलते ही क्यों हैं. विदित हो कि मेयर अशोक भट्टाचार्य ने चार दिन पहले ही मीडिया के सामने गरीबों को चावल नहीं मिलने, और भत्ता न मिलने का हवाला देते हुए सभी वाम एमएमआइसी द्वारा सरकारी खर्च कमाने एवं वाम बोर्ड के सभी 24 पार्षदों द्वारा वार्ड उत्सव न मनाने का एलान किया था.
श्वेत पत्र जारी करने की मांग
तणमूल के दार्जिलिंग जिला (समतल) अध्यक्ष व 20 नंबर वार्ड के पार्षद रंजन सरकार उर्फ राणा दा ने निगम के मेयर से विभिन्न विकास परियोजनाओं एवं विविध मदों पर किये गये खर्चों का ब्योरा देने और श्वेत-पत्र जारी कर जनता के सामने तथ्य उजागर करने की अपील की है. राणा ने कहा कि निगम के विकास के नाम पर मेयर हमेशा राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग न मिलने का रोना रोते हैं. उन्होंने कहा कि वाम बोर्ड गठन होने के बाद ही निगम को मां-माटी-मानुष की तणमूल सरकार ने ही मातृ सदन को अत्याधुनिक करने के लिए 98 लाख रूपये दिये हैं. वाम बोर्ड इसका एक रूपया भी इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकी, मेयर जवाब दें. इस्तेमाल न होने की वजह से ही रूपया वापस चला गया और मातृ सदन के लिए जारी 2.6 करोड़ रूपये को भी रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि तणमूल सरकार ने निर्देश पर अगर उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय निगम का बकाया बिजली बिल 1.25 करोड़ रूपये नहीं देती तो आज सिलीगुड़ी की स्ट्रीट लाइटें भी नहीं जलती और पूरा शहर अंधकार में डूबा रहता. दूसरी ओर मेयर बीते वर्ष की तुलना इस आय में काफी इजाफा होने की बात कर रहे हैं.
तृणमूल पार्षदों को मेयर का करारा जवाब
मेयर अशोक भट्टाचार्य ने तणमूल पार्षदों को करारा जवाब देते हुए कहा कि सिर्फ महीने भर के भत्ते से गरीबों की पेट नहीं भरेगा. उन्होंने कहा कि एक पार्षद को प्रति महीने में तीन हजार रूपये भत्ता मिलता है. तणमूल के 17 पार्षदों के हिसाब से एक महीने का भत्ता केवल 51 हजार रूपये होता है. इतने कम रूपये से न तो निगम के सभी गरीबों को चावल और न ही गरीब, वृद्धा, विधवा और विकलांगों को भत्ता देना संभव है. इसके बावजूद श्री भट्टाचार्य ने तणमूल पार्षदों के इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर विरोधी प्रत्येक महीने ही अपना भत्ता गरीबों के नाम करने का फैसला करते तो और अच्छा होता.
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