इस दौरान उन्होंने कालिम्पोंग को जिला बनाने के लिए जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सराहना की, वहीं इसे कालिम्पोंगवासियों की जीत करार दी. श्री पाखरीन ने दावा किया कि कालिम्पोंग को जिला बनाने के लिए सबसे पहले उन्होंने ही आवाज बुलंद की थी. इसके तहत 2011 में कालिम्पोंग को जिला बनाने के लिए राज्य सरकार के पास पत्राचार किया गया था. उन्होंने कहा कि नये जिला बनने से कालिम्पोंग क्षेत्र के लोगों का और अधिक विकास होगा. इसके साथ-साथ दार्जिलिंग जिले का भी विकास होगा. कालिम्पोंग जिले को पर्यटन के क्षेत्र में और अधिक विकसित किया जायेगा. इसकी कई भावी योजनाएं गोरखालैंड राज्य निर्माण मोरचा तैयार कर चुकी है और राज्य सरकार को प्रस्ताव भी दी गई है.
श्री पाखरीन ने कहा कि गोजमुमो द्वारा जिला की मांग तो दूर की बात, गोरखालैंड के मुद्दे पर भी उस पार्टी की नीति साफ नहीं है. गोजमुमो का गोरखालैंड आंदोलन केवल राजनैतिक ड्रामा है. गोजमुमो ने कभी भी गोरखालैंड की मांग सही तरीके एवं सही जगह नहीं की. उनका आंदोलन कभी भी लक्ष्य तक ही नहीं पहुंचा. गोरखालैंड के नाम पर गोजमुमो नेताओं का बार-बार दिल्ली दौरा केवल गोरखाओं को दिखाने के लिए है, न कि गोरखालैंड राज्य गठन के लिए. श्री पाखरीन सिलीगुड़ी में मीडिया से बातचीत करने के बाद पार्टी की केन्द्रीय मीटिंग हेतु दिल्ली रवाना हो गये.