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जनसभा: न बंगाल बंटेगा, न गोरखालैंड बनेगा : राहुल

दार्जिलिंग: बंगाल विभाजन नहीं होगा और गोरखालैंड नहीं बनेगा. यह कहा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने. गुरुवार को दार्जिलिंग में भाजपा की पहली जनसभा को संबोधित करने के बाद श्री सिन्हा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि भाजपा बंगाल के विभाजन और गोरखालैंड के गठन के पक्ष में नहीं […]

दार्जिलिंग: बंगाल विभाजन नहीं होगा और गोरखालैंड नहीं बनेगा. यह कहा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने. गुरुवार को दार्जिलिंग में भाजपा की पहली जनसभा को संबोधित करने के बाद श्री सिन्हा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि भाजपा बंगाल के विभाजन और गोरखालैंड के गठन के पक्ष में नहीं है.

विभाजन किसी समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग में विकास नहीं हुआ है. यहां बेरोजगारी है. परंतु विभाजन समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है. 2016 में बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत होगी. जब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार हो जायेगी, तो पहाड़ विकास से खिल उठेगा. भाजपा के चुनावी घोषणापत्र से पीछे हटने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा के घोषणापत्र में गोरखालैंड के गठन का नहीं, बल्कि गोरखा आदिवासियों की समस्या का उल्लेख है.

क्या भाजपा पहाड़ की तीनों विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार देगी, इस पर श्री सिन्हा ने कहा कि गोजमुमो भाजपा का सहयोगी दल है इसलिए इस संदर्भ में पार्टी में मन्थन किये जाने के बाद तय किया जायेगा. इससे पूर्व जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ममता दीदी बार-बार दार्जिलिंग आती हैं और घूम-फिरकर चली जाती हैं. ममता दीदी के लिए दार्जिलिंग मनोरंजन की जगह बनी हुई है. लेकिन अब भाजपा ऐसा होने नहीं देगी. अब दीदी जब पहाड़ आयेंगी, तो उन्हें यहां के विकास की योजनाओं को घोषित करना होगा और उन्हें कार्य रूप में परिणत करना होगा. यदि ऐसा नहीं हुआ तो दीदी को पहाड़ से समतल में उतरने नहीं दिया जायेगा. इस जनसभा को पंचनन्द रावत, रतिन घोष, मनोज देवान आदि ने भी संबोधित किया.
राहुल के बयान से पहाड़ की राजनीति में भूचाल, गोजमुमो पर अन्य गोरखालैंड समर्थक पार्टियों ने साधा निशाना
दार्जिलिंग. राहुल सिन्हा के गोरखालैंड विरोधी मंतव्य से पहाड़ की राजनीति में भूचाल आ गया है. भाजपा की सहयोगी गोरखा जन मुक्ति मोरचा (गोजमुमो) व गोरखालैंड समर्पित अन्य राजनैतिक पार्टियां इस बयान पर भड़की हुई हैं. गोजमुमो के केन्द्रीय सहसचिव ज्योति कुमार राई ने राहुल सिन्हा के बयान पर खेद प्रकट करते हुए इसे उनकी राजनैतिक बाध्यता करार दिया. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ होने की बात करते हुए भाजपा के जरिये ही गोरखालैंड राज्य का गठन होने का दावा किया.

इधर क्रामाकपा के केन्द्रीय प्रवक्ता गोविन्द छेत्री ने कहा कि हम शुरू से ही कहते आ रहे थे कि भाजपा गोरखालैंड की पक्षधर नहीं है, हमारी बातों को सुनने को कोई तैयार नहीं था. गोजमुमो ने गोरखालैंड के लिए समर्पित मतदाताओं का वोट दिलवाकर दो-दो बार भाजपा का सांसद बनवाया, अब उन्हें हकीकत पता चल गयी होगी. उन्होंने कहा कि यदि हम लोगों ने अपने इलाके के आदमी को यहां का सांसद बनाकर संसद में भेजा होता, तो आज स्थिति दूसरी होती. उन्होंने कहा कि अब गोजमुमो दिल्ली में भाजपा के खिलाफ रैली निकाले और सांसद सुरेन्द्र सिंह अहलुवालिया से इस विषय को संसद में उठाने को कहे. गोरखा लीग के केन्द्रीय उपाध्यक्ष लक्षुमान प्रधान ने भी कहा कि भाजपा गोरखालैंड की पक्षधर नहीं है. सन 2000 में जब केन्द्र में भाजपा की सरकार था, तब गोरखा लीग ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भेंट करके गोरखालैंड की मांग की थी. तब श्री वाजपेयी ने राज्य की अनुमति के बगैर गोरखालैंड गठन के पक्ष में ना होने की बात कही थी. गोरामुमो के केन्द्रीय नेता एवं पूर्व विधायक एनवी छेत्री ने कहा कि गोजमुमो का शीर्ष नेतृत्व भाजपा के लॉलीपॉप में फंसा हुआ है. इसी लालच में उसने गोरखालैंड के लिए समर्पित मतदाताओं का वोट भी उसे बेच दिया. अब इसका नतीजा देखने को मिल रहा है. इसी संदर्भ में भाजपा के दार्जिलिंग जिला संयोजक मनोज देवान से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा के बयान पर हम लोग प्रदेश कमिटि में चर्चा करेंगे.

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