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संभावित नये जिलों की सूची में सिलीगुड़ी का नाम नहीं
सिलीगुड़ी: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कालिम्पोंग समेत पांच जगहों बक्शीरहाट, हसनाबाग (सुंदरवन क्षेत्र), आसनसोल व दुर्गापुर की नये जिलों के रूप में जल्द ही आधिकारिक रूप से घोषणा कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक इसके लिए सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी हैं. लेकिन इस बार भी संभावित नये जिलों की सूची में सिलीगुड़ी का […]
सिलीगुड़ी: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कालिम्पोंग समेत पांच जगहों बक्शीरहाट, हसनाबाग (सुंदरवन क्षेत्र), आसनसोल व दुर्गापुर की नये जिलों के रूप में जल्द ही आधिकारिक रूप से घोषणा कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक इसके लिए सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी हैं. लेकिन इस बार भी संभावित नये जिलों की सूची में सिलीगुड़ी का नाम नहीं है. अगर ममता बनर्जी नये जिलों की घोषणा करती हैं और उसमें वे सिलीगुड़ी को शामिल नहीं करती हैं, तो सिलीगुड़ी में इसे लेकर आंदोलन छिड़ सकता है.
सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्षरत आंदोलनकारी संगठन बृहत्तर सिलीगुड़ी नागरिक मंच के उपाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने ममता बनर्जी को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सिलीगुड़ी को जिला घोषित नहीं किया गया, तो एक बार फिर बृहत्तर आंदोलन शुरू किया जायेगा. इस बार सिलीगुड़ी के लोग केवल आवाज बुलंद ही नहीं करेंगे, बल्कि आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. सिलीगुड़ी को नया जिला बनाने के लिए राज्य सरकार को मजबूर कर दिया जायेगा. श्री चटर्जी ने इसके लिए सभी राजनैतिक पार्टियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं शहरवासियों से एकजुट होकर आंदोलन करने का आह्वान किया.
श्री चटर्जी ने कहा कि सिलीगुड़ी को जिला बनाने की मांग कोई नयी नहीं है. वर्षों पुरानी मांग होने के बावजूद ममता ने जलपाईगुड़ी जिले से अलीपुरद्वार को अलग कर नया जिला घोषित कर दिया, लेकिन सिलीगुड़ी की ओर ध्यान नहीं दिया. इस बार भी ममता सिलीगुड़ी के लोगों के साथ धोखा करने जा रही हैं.
आंदोलनकारी अधिवक्ता रतन बनिक ने कहा कि सिलीगुड़ी के लोगों के साथ हमेशा ही दोहरी राजनीति की गयी. सिलीगुड़ी शहर का अधिकांश हिस्सा दार्जिलिंग जिले और कुछ हिस्सा (भक्तिनगर थाना क्षेत्र) जलपाईगुड़ी जिले में पड़ता है. इस वजह से सिलीगुड़ी के लोगों को सरकारी काम-काज एवं कोर्ट-कचहरी के मामले में काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. साथ ही समय एवं रुपये-पैसों की बरबादी होती है.
श्री बनिक ने कहा कि सिलीगुड़ी के लोगों को सरकारी काम-काज निपटाने हेतु करीब 80 किलोमीटर दूर दार्जिलिंग आना-जाना पड़ता है. वहीं शहर का जो हिस्सा जलपाईगुड़ी जिले में पड़ता है, वहां के लोगों को केवल सरकारी काम-काज ही नहीं, बल्कि कोर्ट-कचहरी के मामलों के लिए भी बार-बार करीब 40 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी दौड़ना पड़ता है.
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